Skip to main content

Posts

चित्रकथा - 7: अभिनेत्री व फ़िल्म निर्मात्री आशालता बिस्वास पर बातचीत

अंक - 7 अभिनेत्री व फ़िल्म निर्मात्री आशालता बिस्वास पर बातचीत “ घर यहाँ बसाने आये थे... ” 'रेडियो प्लेबैक इण्डिया' के सभी श्रोता-पाठकों को सुजॉय चटर्जी का प्यार भरा नमस्कार। समूचे विश्व में मनोरंजन का सर्वाधिक लोकप्रिय माध्यम सिनेमा रहा है और भारत कोई व्यतिक्रम नहीं है। बीसवीं सदी के चौथे दशक से सवाक् फ़िल्मों की जो परम्परा शुरु हुई थी, वह आज तक जारी है और इसकी लोकप्रियता निरन्तर बढ़ती ही चली जा रही है। और हमारे यहाँ सिनेमा के साथ-साथ सिने-संगीत भी ताल से ताल मिला कर फलती-फूलती चली आई है। सिनेमा और सिने-संगीत, दोनो ही आज हमारी ज़िन्दगी के अभिन्न अंग बन चुके हैं। हमारी दिलचस्पी का आलम ऐसा है कि हम केवल फ़िल्में देख कर या गाने सुनने तक ही अपने आप को सीमित नहीं रखते, बल्कि फ़िल्म संबंधित हर तरह की जानकारियाँ बटोरने का प्रयत्न करते रहते हैं। इसी दिशा में आपके हमसफ़र बन कर हम आ रहे हैं हर शनिवार ’चित्रकथा’ लेकर। ’चित्रकथा’ एक ऐसा स्तंभ है जिसमें बातें होंगी चित्रपट की और चित्रपट-संगीत की। फ़िल्म और फ़िल्म-संगीत से जुड़े विषयों से सुसज्जित इस पाठ्य स्तंभ के पहले अंक

"खाने के बिना शायद रह लूँ, पर गाने के बिना नहीं"- रितु पाठक || एक मुलाकात ज़रूरी है

एक मुलाकात ज़रूरी है  एपिसोड - 50 Finale Episode of Season 01 "गन्दी बात", "जलेबी बाई", "रज़िया", "पापा जग जायेगा", "अल्लाह दुहाई है", "छान के मोहल्ला" जैसे एक से बढ़कर एक हिट आइटम गीतों की आवाज़ रितु पाठक हैं हमारी आज के इस विशेष और इस सीसन के अंतिम एपिसोड की विशेष मेहमान. सुनिए इस लाजवाब गायिका के संघर्ष और सफलता की कहानी. प्ले पर क्लिक करें और आनंद लें.  ये एपिसोड आपको कैसा लगा, अपने विचार आप 09811036346 पर व्हाट्सएप भी कर हम तक पहुंचा सकते हैं, आपकी टिप्पणियां हमें प्रेरित भी करेगीं और हमारा मार्गदर्शन भी....इंतज़ार रहेगा. एक मुलाकात ज़रूरी है इस एपिसोड को आप  यहाँ  से डाउनलोड करके भी सुन सकते हैं, लिंक पर राईट क्लीक करें और सेव एस का विकल्प चुनें मिलिए इन जबरदस्त कलाकारों से भी - श्रीराम अय्यर , पंकज सुबीर ,  राशिद खान , दिग्विजय सिंह परियार ,  राकेश चतुर्वेदी ओम , अनवर सागर ,  संजीवन लाल ,  कुणाल वर्मा ,  आदित्य शर्मा ,  निखिल कामथ ,  मंजीरा गांगुली , रितेश शाह

चित्रकथा - 6: फ़िल्मी गीतों में ’आइ लव यू’!

अंक - 6 फ़िल्मी गीतों में ’आइ लव यू’! “लो आज मैं कहती हूँ, आइ लव यू...” 'रेडियो प्लेबैक इण्डिया' के सभी श्रोता-पाठकों को सुजॉय चटर्जी का प्यार भरा नमस्कार। समूचे विश्व में मनोरंजन का सर्वाधिक लोकप्रिय माध्यम सिनेमा रहा है और भारत कोई व्यतिक्रम नहीं है। बीसवीं सदी के चौथे दशक से सवाक् फ़िल्मों की जो परम्परा शुरु हुई थी, वह आज तक जारी है और इसकी लोकप्रियता निरन्तर बढ़ती ही चली जा रही है। और हमारे यहाँ सिनेमा के साथ-साथ सिने-संगीत भी ताल से ताल मिला कर फलती-फूलती चली आई है। सिनेमा और सिने-संगीत, दोनो ही आज हमारी ज़िन्दगी के अभिन्न अंग बन चुके हैं। हमारी दिलचस्पी का आलम ऐसा है कि हम केवल फ़िल्में देख कर या गाने सुनने तक ही अपने आप को सीमित नहीं रखते, बल्कि फ़िल्म संबंधित हर तरह की जानकारियाँ बटोरने का प्रयत्न करते रहते हैं। इसी दिशा में आपके हमसफ़र बन कर हम आ रहे हैं हर शनिवार ’चित्रकथा’ लेकर। ’चित्रकथा’ एक ऐसा स्तंभ है जिसमें बातें होंगी चित्रपट की और चित्रपट-संगीत की। फ़िल्म और फ़िल्म-संगीत से जुड़े विषयों से सुसज्जित इस पाठ्य स्तंभ के पहले अंक में आपका हार्दिक स

"आजकल पार्श्वगायन में भी गायक को बहुत फ्रीडम मिलता है"- श्रीराम अय्यर || एक मुलाकात ज़रूरी है

एक मुलाकात ज़रूरी है  एपिसोड - 49 इकबाल, नो वन किल्ल्ड जेसिका, शोर इन द सिटी, जैसी फिल्मों के लिए गा चुके श्रीराम अय्यर दुनिया भर में हजारों लाईव शोस कर चुके है, संगीत में पारंगत श्रीराम हर जोनर में अव्वल दर्जे के गायक और संगीतकार भी हैं, आईये आज मिलें इस लाजवाब गायक से, प्ले पर क्लिक करें और सुनें.   ये एपिसोड आपको कैसा लगा, अपने विचार आप 09811036346 पर व्हाट्सएप भी कर हम तक पहुंचा सकते हैं, आपकी टिप्पणियां हमें प्रेरित भी करेगीं और हमारा मार्गदर्शन भी....इंतज़ार रहेगा. एक मुलाकात ज़रूरी है इस एपिसोड को आप  यहाँ  से डाउनलोड करके भी सुन सकते हैं, लिंक पर राईट क्लीक करें और सेव एस का विकल्प चुनें मिलिए इन जबरदस्त कलाकारों से भी - पंकज सुबीर ,  राशिद खान , दिग्विजय सिंह परियार ,  राकेश चतुर्वेदी ओम , अनवर सागर ,  संजीवन लाल ,  कुणाल वर्मा ,  आदित्य शर्मा ,  निखिल कामथ ,  मंजीरा गांगुली , रितेश शाह , वरदान सिंह , यतीन्द्र मिश्र , विपिन पटवा , श्रेया शालीन , साकेत सिंह , विजय अकेला , अज़ीम शिराज़ी , संजोय चौधरी , अरविन्द तिवारी

युगल की लघुकथा पेट का कछुआ

लोकप्रिय स्तम्भ " बोलती कहानियाँ " के अंतर्गत हम हर सप्ताह आपको सुनवाते रहे हैं नई, पुरानी, अनजान, प्रसिद्ध, मौलिक और अनूदित, यानि के हर प्रकार की कहानियाँ। इस शृंखला में पिछली बार आपने  पूजा अनिल  के स्वर में रश्मि रविजा के उपन्यास काँच के शामियाने के एक अंश का वाचन सुना था। आज हम आपकी सेवा में प्रस्तुत कर रहे हैं प्रसिद्ध लेखक और पत्रकार युगल की लघुकथा   पेट का कछुआ  जिसे स्वर दिया है अनुराग शर्मा ने। प्रस्तुत अंश का कुल प्रसारण समय 4 मिनट 33 सेकंड है। सुनें और बतायें कि हम अपने इस प्रयास में कितना सफल हुए हैं। इस लघुकथा का गद्य अंतर्राष्ट्रीय द्वैभाषिक पत्रिका सेतु पर उपलब्ध है। यदि आप भी अपनी मनपसंद कहानियों, उपन्यासों, नाटकों, धारावाहिको, प्रहसनों, झलकियों, एकांकियों, लघुकथाओं को अपनी आवाज़ देना चाहते हैं तो अधिक जानकारी के लिए कृपया admin@radioplaybackindia.com पर सम्पर्क करें। “17 अक्टूबर 1925 को जन्मे लब्ध प्रतिष्ठित साहित्यकार, कथाकार सह वयोवृद्ध पत्रकार श्री युगल लघुकथा के विधागत गठन के प्रमुख सर्जकों में शामिल हैं। उनके तीन उपन्यास, तीन कहानी सं

राग मारवा और मारूबिहाग : SWARGOSHTHI – 304 : RAG MARAVA & MARUBIHAG

स्वरगोष्ठी – 304 में आज राग और गाने-बजाने का समय – 4 : दिन के चौथे प्रहर के राग राग मारवा की बन्दिश - ‘गुरु बिन ज्ञान नाहीं पावे...’ ‘रेडियो प्लेबैक इण्डिया’ के साप्ताहिक स्तम्भ ‘स्वरगोष्ठी’ के मंच पर हमारी श्रृंखला- “राग और गाने-बजाने का समय” की चौथी कड़ी में मैं कृष्णमोहन मिश्र आप सब संगीत-प्रेमियों का हार्दिक स्वागत करता हूँ। है। उत्तर भारतीय रागदारी संगीत की अनेक विशेषताओं में से एक विशेषता यह भी है कि संगीत के प्रचलित राग परम्परागत रूप से ऋतु प्रधान हैं या प्रहर प्रधान। अर्थात संगीत के प्रायः सभी राग या तो अवसर विशेष या फिर समय विशेष पर ही प्रस्तुत किये जाने की परम्परा है। बसन्त ऋतु में राग बसन्त और बहार तथा वर्षा ऋतु में मल्हार अंग के रागों के गाने-बजाने की परम्परा है। इसी प्रकार अधिकतर रागों को गाने-बजाने की एक निर्धारित समयावधि होती है। उस विशेष समय पर ही राग को सुनने पर आनन्द प्राप्त होता है। भारतीय कालगणना के सिद्धान्तों का प्रतिपादन करने वाले प्राचीन मनीषियों ने दिन और रात के चौबीस घण्टों को आठ प्रहर में बाँटा है। सूर्योदय से लेकर सूर्

चित्रकथा - 5: गुलज़ार के गीतों में विरोधाभास

अंक - 5 गुलज़ार के गीतों में विरोधाभास “एक पल रात भर नहीं गुज़रा...” 'रेडियो प्लेबैक इण्डिया' के सभी श्रोता-पाठकों को सुजॉय चटर्जी का प्यार भरा नमस्कार। समूचे विश्व में मनोरंजन का सर्वाधिक लोकप्रिय माध्यम सिनेमा रहा है और भारत कोई व्यतिक्रम नहीं है। बीसवीं सदी के चौथे दशक से सवाक् फ़िल्मों की जो परम्परा शुरु हुई थी, वह आज तक जारी है और इसकी लोकप्रियता निरन्तर बढ़ती ही चली जा रही है। और हमारे यहाँ सिनेमा के साथ-साथ सिने-संगीत भी ताल से ताल मिला कर फलती-फूलती चली आई है। सिनेमा और सिने-संगीत, दोनो ही आज हमारी ज़िन्दगी के अभिन्न अंग बन चुके हैं। हमारी दिलचस्पी का आलम ऐसा है कि हम केवल फ़िल्में देख कर या गाने सुनने तक ही अपने आप को सीमित नहीं रखते, बल्कि फ़िल्म संबंधित हर तरह की जानकारियाँ बटोरने का प्रयत्न करते रहते हैं। इसी दिशा में आपके हमसफ़र बन कर हम आ रहे हैं हर शनिवार ’चित्रकथा’ लेकर। ’चित्रकथा’ एक ऐसा स्तंभ है जिसमें बातें होंगी चित्रपट की और चित्रपट-संगीत की। फ़िल्म और फ़िल्म-संगीत से जुड़े विषयों से सुसज्जित इस पाठ्य स्तंभ के पहले अंक में आपका हार्दिक स्वाग