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तुझसे नाराज़ नहीं ज़िन्दगी - 09: अरशद वारसी

तुझसे नाराज़ नहीं ज़िन्दगी - 09   अरशद वारसी   ’रेडियो प्लेबैक इण्डिया’ के सभी दोस्तों को सुजॉय चटर्जी का सप्रेम नमस्कार। दोस्तों, किसी ने सच ही कहा है कि यह ज़िन्दगी एक पहेली है जिसे समझ पाना नामुमकिन है। कब किसकी ज़िन्दगी में क्या घट जाए कोई नहीं कह सकता। लेकिन कभी-कभी कुछ लोगों के जीवन में ऐसी दुर्घटना घट जाती है या कोई ऐसी विपदा आन पड़ती है कि एक पल के लिए ऐसा लगता है कि जैसे सब कुछ ख़त्म हो गया। पर निरन्तर चलते रहना ही जीवन-धर्म का निचोड़ है। और जिसने इस बात को समझ लिया, उसी ने ज़िन्दगी का सही अर्थ समझा, और उसी के लिए ज़िन्दगी ख़ुद कहती है कि 'तुझसे नाराज़ नहीं ज़िन्दगी'। इसी शीर्षक के अन्तर्गत इस नई श्रृंखला में हम ज़िक्र करेंगे उन फ़नकारों का जिन्होंने ज़िन्दगी के क्रूर प्रहारों को झेलते हुए जीवन में सफलता प्राप्त किये हैं, और हर किसी के लिए मिसाल बन गए हैं।  आज का यह अंक केन्द्रित है फ़िल्म जगत सुप्रसिद्ध अभिनेता अरशद वारसी पर।    अ रशद वारसी आज एक सफल अभिनेता हैं, उनका जन्म भी एक अच्छे खासे खाते-पीते परिवार में हुआ। लेकिन

दंगा - सर्वेश तिवारी "श्रीमुख"

लोकप्रिय स्तम्भ "बोलती कहानियाँ" के अंतर्गत हम हर सप्ताह आपको सुनवाते रहे हैं नई, पुरानी, अनजान, प्रसिद्ध, मौलिक और अनूदित, यानि के हर प्रकार की कहानियाँ। पिछली बार आपने अनुराग शर्मा के स्वर में काजल कुमार की लघुकथा " शिकार " का वाचन सुना था। आज हम आपकी सेवा में प्रस्तुत कर रहे हैं सर्वेश तिवारी "श्रीमुख" लिखित लघुकथा दंगा , जिसे स्वर दिया है अनुराग शर्मा ने। इस कहानी दंगा का कुल प्रसारण समय 9 मिनट 2 सेकंड है। इसका गद्य फेसबुक पर उपलब्ध है। सुनें और बतायें कि हम अपने इस प्रयास में कितना सफल हुए हैं। यदि आप भी अपनी मनपसंद कहानियों, उपन्यासों, नाटकों, धारावाहिको, प्रहसनों, झलकियों, एकांकियों, लघुकथाओं को अपनी आवाज़ देना चाहते हैं तो अधिक जानकारी के लिए कृपया admin@radioplaybackindia.com पर सम्पर्क करें। फेसबुक पर हज़ारों की फॉलोअरशिप वाले "मोतीझील वाले बाबा" सर्वेश तिवारी "श्रीमुख" एक उदीयमान लेखक हैं। वे गोपालगंज में रहते हैं। हर सप्ताह यहीं पर सुनें एक नयी हिन्दी कहानी "इधर की दुल्हनें चौथ का चाँद अके

स्वागत नववर्ष 2016 : SWARGOSHTHI – 251 : RAG BHAIRAVI AND DHANI

नववर्ष पर सभी पाठकों और श्रोताओं को हार्दिक शुभकामना  स्वरगोष्ठी – 251 में आज मंगलध्वनि और चौथे महाविजेता की प्रस्तुति राग भैरवी में शहनाई और राग धानी में सितार वादन से नववर्ष का अभिनन्दन ‘रेडियो प्लेबैक इण्डिया’ के साप्ताहिक स्तम्भ ‘स्वरगोष्ठी’ के मंच पर सभी संगीत-प्रेमियों का नए वर्ष के पहले अंक में हार्दिक अभिनन्दन है। इसी अंक से आपका प्रिय स्तम्भ ‘स्वरगोष्ठी’ छठें वर्ष में प्रवेश कर रहा है। विगत पाँच वर्षों से हमें असंख्य पाठकों, श्रोताओं, संगीत शिक्षकों और वरिष्ठ संगीतज्ञों का प्यार, दुलार और मार्गदर्शन इस स्तम्भ को मिलता रहा है। इन्टरनेट पर शास्त्रीय, उपशास्त्रीय, लोक, सुगम और फिल्म संगीत विषयक चर्चा का सम्भवतः यह एकमात्र नियमित साप्ताहिक स्तम्भ है, जो विगत पाँच वर्षों से निरन्तरता बनाए हुए है। इस पुनीत अवसर पर मैं कृष्णमोहन मिश्र, ‘रेडियो प्लेबैक इण्डिया’ के संचालक मण्डल के सभी सदस्यों- सजीव सारथी, सुजॉय चटर्जी, अमित तिवारी, अनुराग शर्मा, विश्वदीपक और संज्ञा टण्डन के साथ अपने सभी पाठकों और श्रोताओं प्रति आभार प्रकट करता हूँ। आज

"याद आ रही है, तेरी याद आ रही है..." - क्यों पंचम इस गीत के ख़िलाफ़ थे?

नववर्ष पर सभी पाठकों और श्रोताओं को हार्दिक शुभकामनाएँ    एक गीत सौ कहानियाँ - 73   'याद आ रही है, तेरी याद आ रही है...'   रेडियो प्लेबैक इण्डिया' के सभी श्रोता-पाठकों को सुजॉय चटर्जी का प्यार भरा नमस्कार। दोस्तों, हम रोज़ाना रेडियो पर, टीवी पर, कम्प्यूटर पर, और न जाने कहाँ-कहाँ, जाने कितने ही गीत सुनते हैं, और गुनगुनाते हैं। ये फ़िल्मी नग़में हमारे साथी हैं सुख-दुख के, त्योहारों के, शादी और अन्य अवसरों के, जो हमारे जीवन से कुछ ऐसे जुड़े हैं कि इनके बिना हमारी ज़िन्दगी बड़ी ही सूनी और बेरंग होती। पर ऐसे कितने गीत होंगे जिनके बनने की कहानियों से, उनसे जुड़े दिलचस्प क़िस्सों से आप अवगत होंगे? बहुत कम, है न? कुछ जाने-पहचाने, और कुछ कमसुने फ़िल्मी गीतों की रचना प्रक्रिया, उनसे जुड़ी दिलचस्प बातें, और कभी-कभी तो आश्चर्य में डाल देने वाले तथ्यों की जानकारियों को समेटता है 'रेडियो प्लेबैक इण्डिया' का यह स्तम्भ 'एक गीत सौ कहानियाँ'।  इसकी 73-वीं कड़ी में आज जानिए 1981 की फ़िल्म ’लव स्टोरी’ के म

काजल कुमार की लघुकथा शिकार

लोकप्रिय स्तम्भ "बोलती कहानियाँ" के अंतर्गत हम हर सप्ताह आपको सुनवाते रहे हैं नई, पुरानी, अनजान, प्रसिद्ध, मौलिक और अनूदित, यानि के हर प्रकार की कहानियाँ। पिछली बार आपने उषा छाबड़ा के स्वर में उन्हीं की लघुकथा " प्रश्न " का वाचन सुना था। आज हम आपकी सेवा में प्रस्तुत कर रहे हैं काजल कुमार लिखित लघुकथा शिकार , जिसे स्वर दिया है अनुराग शर्मा ने। इस कहानी शिकार  का कुल प्रसारण समय 1 मिनट 57 सेकंड है। इसका गद्य कथा-कहानी ब्लॉग पर उपलब्ध है। सुनें और बतायें कि हम अपने इस प्रयास में कितना सफल हुए हैं। यदि आप भी अपनी मनपसंद कहानियों, उपन्यासों, नाटकों, धारावाहिको, प्रहसनों, झलकियों, एकांकियों, लघुकथाओं को अपनी आवाज़ देना चाहते हैं तो अधिक जानकारी के लिए कृपया admin@radioplaybackindia.com पर सम्पर्क करें। कवि, कथाकार और कार्टूनिस्ट काजल कुमार के बनाए चरित्र तो आपने देखे ही हैं। उनकी व्यंग्यात्मक लघुकथायेँ " समय" , " एक था गधा ", " ड्राइवर ", " लोकतनतर ", और कुत्ता आप पहले सुन चुके हैं। काजल कुमार दिल्ली में रहते ह

नौशाद के गीतों में राग-दर्शन : SWARGOSHTHI – 250 : RAG BASED SONGS BY NAUSHAD

स्वरगोष्ठी – 250 में आज संगीत के शिखर पर – 11 : फिल्म संगीतकार नौशाद अली फिल्मों में रागदारी संगीत की सुगन्ध बिखेरने वाले अप्रतिम साधक नौशाद अली ‘रेडियो प्लेबैक इण्डिया’ के साप्ताहिक स्तम्भ ‘स्वरगोष्ठी’ के मंच पर जारी हमारी सुरीली श्रृंखला – ‘संगीत के शिखर पर’ की ग्यारहवीं कड़ी में मैं कृष्णमोहन मिश्र आप सब संगीत-रसिकों का एक बार पुनः हार्दिक स्वागत करता हूँ। इस श्रृंखला में हम भारतीय संगीत की विभिन्न विधाओं में शिखर पर विराजमान व्यक्तित्व और उनके कृतित्व पर चर्चा कर रहे हैं। संगीत गायन और वादन की विविध लोकप्रिय शैलियों में किसी एक शीर्षस्थ कलासाधक का चुनाव कर हम उनके व्यक्तित्व का उल्लेख और उनकी कृतियों के कुछ उदाहरण प्रस्तुत कर रहे हैं। आज श्रृंखला की ग्यारहवीं कड़ी में हम आपको फिल्म संगीत के माध्यम से रागों की सुगन्ध बिखेरने वाले अप्रतिम संगीतकार नौशाद अली के व्यक्तित्व और कृतित्व पर चर्चा कर रहे हैं। आपको हम यह भी अवगत कराना चाहते हैं कि दो दिन पूर्व, अर्थात 25 दिसम्बर को नौशाद अली का 96वीं जयन्ती थी। इस उपलक्ष्य में हम ‘स्वरगोष्ठी’ क

2015 के कमचर्चित सुरीले गीतों की हिट परेड - The Unsung Melodies of 2015

चित्रशाला - नववर्ष विशेष  2015 के कमचर्चित सुरीले गीतों की हिट परेड The Unsung Melodies of 2015 रेडियो प्लेबैक इण्डिया' के सभी पाठकों को सुजॉय चटर्जी का प्यार भरा नमस्कार! प्रस्तुत है फ़िल्म और फ़िल्म-संगीत के विभिन्न पहलुओं से जुड़े विषयों पर आधारित शोधालेखों का स्तंभ ’चित्रशाला’। वर्ष 2015 हमसे विदा लेना चाहता है। और इसी वर्ष के समाप्त होने से इस दशक का पूर्वार्ध भी समाप्त हो जाएगा। इस दशक में फ़िल्म संगीत का जो स्वरूप अब अक हम सबसे देखा, उससे यही कहा जा सकता है कि वही गाने हिट हो रहे हैं, या उन्हीं गानों को बढ़ावा मिल रहा है जिनमें कोई पंच लाइन, या आइटम वाली बात, और इस तरह का कोई मसाला हो। हर वर्ष की तरह इस वर्ष भी कुछ ऐसे गुमनाम गीत आए जिनकी तरफ़ किसी का भी ध्यान नहीं गया, पर स्तर की दृष्टि से ये गीत बहुत से लोकप्रिय और हिट गीतों के मुकाबले कहीं अधिक उत्कृष्ट हैं। ऐसे ही दस गीत को चुन कर आज के ’चित्रशाला’ का यह नववर्ष विशेषांक प्रस्तुत कर रहे हैं। तो पेश है वर्ष 2015 का कमचर्चित हिट परेड, The Top-10 Unsung Melodies of 2015. 10:  " साईं बाबा के दरबार