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बातों बातों में : Interview with Pranay Dixit, Actor of Film 'Roar - Tigers of the Sundarbans'

बातों बातों में फिल्म 'रोर - टाइगर ऑफ सुन्दरवन' से अपना फ़िल्मी सफ़र शुरु करने वाले टीवी अभिनेता प्रणय दीक्षित से सुजॉय चटर्जी की बातचीत सपनों को अगर जीना है तो पागलपन का होना ज़रूरी है...  आगामी शुक्रवार, 31 अकतूबर, 2014 को प्रदर्शित होने जा रही है इस साल की सबसे अनोखी फ़िल्म - 'रोर - टाइगर ऑफ सुन्दरवन'। अबीस रिज़वी निर्मित व कमल सदाना निर्देशित इस ऐक्शन थ्रिलर में अभिनय करने वाले कलाकारों में एक नाम लखनऊ के प्रणय दीक्षित का भी है। टेलीविज़न जगत में 'मिस्टर जुगाड़ूलाल', 'लापतागंज', 'एफ.आई.आर.', 'चिड़ियाघर', 'हम आपके हैं इन-लॉज़', 'बच्चन पाण्डे की टोली', 'गिलि गिलि गप्पा' जैसे धारावाहिकों में अपने हास्य अभिनय से हम सब का मनोरंजन करने वाले प्रणय दीक्षित इस फ़िल्म के माध्यम से अब बड़े परदे पर क़दम रख रहे हैं। आज प्रणय जी 'रेडियो प्लेबैक इण्डिया' के मंच पर मौजूद हैं इसी फ़िल्म से सम्बन्धित कुछ दिलचस्प बातें बताने के लिए। साथ ही अपने करीयर का शुरू से लेकर अब तके के सफ़र की

‘ना रास्ता है ना कोई मंज़िल...’ : TAZA SUR TAAL : Roar - Tigers Of The Sundarban

ताज़ा सुर-ताल   नई फिल्म रोर - टाइगर ऑफ सुन्दरबन के क्लब डांस और रॉक पॉप गीत   'खतरा है, इस बस्ती में, इसमें अब जो फँसा...'   अ पने श्रोताओं / पाठकों को नई फिल्मों के संगीत से परिचित कराने के उद्देश्य से ‘रेडियो प्लेबैक इण्डिया’ के स्तम्भ ‘ताज़ा सुर-ताल’ में हम प्रदर्शित होने वाली किसी फिल्म का गीत-संगीत आपको सुनवाते हैं। आज के अंक में हम आपको अगले सप्ताह 31 अक्तूबर , 2014 को प्रदर्शित होने वाली फिल्म, ‘रोर - टाइगर ऑफ सुन्दरबन’ के दो गाने सुनवा रहे हैं। अबिस रिजवी द्वारा निर्मित और कमल सदाना द्वारा निर्देशित यह फिल्म आदमखोर बाघों से स्वयं को बचाने और बाघों के संरक्षण के संघर्ष की दास्तान है। फिल्म के प्रस्तुत दो गीतों में से पहले गीत का शीर्षक है ‘रूबरू’ और दूसरे गीत का शीर्षक ‘खतरा’ है। इन गीतों के गीतकार क्रमशः इरफान सिद्दीकी और कार्तिक चौधरी हैं। गीतों के संगीतकार रमोना एरेना हैं। पहला ‘रूबरू’ एक क्लब डांस गीत है, जिसे अदिति सिंह ने गाया है। दूसरा गीत ‘खतरा’ रॉक पॉप है, जिसे गायिका नीति मोहन ने आवाज़ दी है। लीजिए, फिल्म ‘रोर टाइगर ऑफ सुन्दरबन’ के इ

शौर्यगाथा : परमवीर चक्र विजेता सूवेदार जोगेन्द्र सिंह

'रेडियो प्लेबैक इण्डिया' की ओर से सभी पाठकों और श्रोताओं को दीपावली पर हार्दिक मंगलकामनाएँ आपकी आवाज़ - हमारा मंच शौर्यगाथा : परमवीर चक्र से विभूषित अमर बलिदानी सूवेदार जोगेन्द्र सिंह इन दिनो ‘रेडियो प्लेबैक इण्डिया’ की ओर से अपने श्रोताओं और पाठकों की अभिरुचि जानने के लिए सर्वेक्षण कार्यक्रम चलाया जा रहा है। नये वर्ष में हम आपकी पसन्द के कार्यक्रमों के साथ आपके बीच आने की तैयारी कर रहे हैं। हमारे एक पाठक और श्रोता निधीश गोयल ने अपनी आवाज़ में अमर बलिदानी, परमवीर चक्र विजेता सूवेदार जोगेन्द्र सिंह की शौर्यगाथा भेजी है। श्रव्य माध्यम में प्रस्तुत इस कार्यक्रम के बारे में आप अपने सुझाव और टिप्पणियाँ भेज सकते हैं।    परमवीर चक्र विजेता सूवेदार जोगेन्द्र सिंह की  धर्मपत्नी श्रीमती गुरदयाल कौर को  23 अक्तूबर 2006 को भारतीय सेना द्वारा  आयोजित एक समारोह में  सम्मानित किया गया सूवेदार जोगेन्द्र सिंह देश की रक्षा में अनेकानेक राष्ट्रभक्तों ने अपने प्राणों की आहुतियाँ दी है। ऐसे ही बलिदानियों की सूची में एक नाम सूवेदार जोगेन्द्र सिं ह

बोलती कहानियाँ: बहू लक्ष्मी - श्यामचंद्र कपूर

रेडियो प्लेबैक इंडिया के सभी श्रोताओं को दीपावली पर्व पर हार्दिक शुभकामनायें! 'बोलती कहानियाँ' इस स्तम्भ के अंतर्गत हम आपको सुनवा रहे हैं नई पुरानी, रोचक कहानियाँ। पिछली बार आपने प्रसिद्ध हिन्दी साहित्यकार जयशंकर प्रसाद की कथा " छोटा जादूगर " का पॉडकास्ट अर्चना चावजी की आवाज़ में सुना था। आज हम लेकर आये हैं लेखक श्याम चंद्र कपूर की कथा " बहू लक्ष्मी ", वाचन अर्चना चावजी द्वारा। कहानी " बहू लक्ष्मी " का कुल प्रसारण समय 7 मिनट 38 सेकंड है। सुनें और बतायें कि हम अपने इस प्रयास में कितना सफल हुए हैं। यदि आप भी अपनी मनपसंद कहानियों, उपन्यासों, नाटकों, धारावाहिको, प्रहसनों, झलकियों, एकांकियों, लघुकथाओं को अपनी आवाज़ देना चाहते हैं तो देर न करें। अधिक जानकारी के लिए कृपया हमें admin@radioplaybackindia.com पर संपर्क करें। वर्तमान में जबकि ‘औरंगजेब की सहिष्णुता’ पर शोध प्रबन्ध लिखे जा रहे हैं, इस विषय का यथातथ्य विश्लेषण परमावश्यक है कि इतिहास को अपने मूलरूप में बनाए रखा जाय। ~ श्यामचंद्र कपूर "बोलती कहानियाँ" में हर सप्त

‘का करूँ सजनी आए न बालम...’ : SWARGOSHTHI – 190 : THUMARI SINDHU BHAIRAVI

स्वरगोष्ठी – 190 में आज फिल्मों के आँगन में ठुमकती पारम्परिक ठुमरी – 9 : ठुमरी सिन्धु भैरवी विरहिणी नायिका की व्यथा : ‘का करूँ सजनी आए न बालम...’ ‘रेडियो प्लेबैक इण्डिया’ के साप्ताहिक स्तम्भ ‘स्वरगोष्ठी’ के मंच पर मैं कृष्णमोहन मिश्र अपनी साथी प्रस्तुतकर्त्ता संज्ञा टण्डन के साथ आप सब संगीत-प्रेमियों का हार्दिक अभिनन्दन करता हूँ। इन दिनों हमारी जारी श्रृंखला 'फिल्मों के आँगन में ठुमकती पारम्परिक ठुमरी’ के नौवें अंक में आज हमने एक ऐसी पारम्परिक ठुमरी का चयन किया है, जिसे कई सुविख्यात गायक-गायिकाओं ने गाया है। इसके अलावा इस ठुमरी के अन्तरों को परिवर्तित कर फिल्म संगीत के रूप में भी आकर्षक प्रयोग किया गया है। इस श्रृंखला में आप कुछ ऐसी पारम्परिक ठुमरियों का रसास्वादन भी कर रहे हैं जिन्हें फिल्मों में कभी यथावत तो कभी परिवर्तित अन्तरे के साथ इस्तेमाल किया जा चुका है। फिल्मों मे शामिल ऐसी ठुमरियाँ अधिकतर पारम्परिक ठुमरियों से प्रभावित होती हैं। आज की ठुमरी का पारम्परिक संस्करण भारतीय संगीत के शीर्षस्थ संगीतज्ञ उस्ताद बड़े गुलाम अली खाँ

"क़िस्मत ने हमें रोने के लिए दुनिया में अकेला छोड़ दिया...", क्यों आँखें भर आईं सुरैया की इस गीत को फ़िल्माते हुए?

एक गीत सौ कहानियाँ - 43   ‘क़िस्मत ने हमें रोने के लिए दुनिया में अकेला छोड़ दिया... ’ 'रेडियो प्लेबैक इण्डिया' के सभी श्रोता-पाठकों को सुजॉय चटर्जी का प्यार भरा नमस्कार। दोस्तों, हम रोज़ाना रेडियो पर, टीवी पर, कम्प्यूटर पर, और न जाने कहाँ-कहाँ, जाने कितने ही गीत सुनते हैं, और गुनगुनाते हैं। ये फ़िल्मी नग़में हमारे साथी हैं सुख-दुख के, त्योहारों के, शादी और अन्य अवसरों के, जो हमारे जीवन से कुछ ऐसे जुड़े हैं कि इनके बिना हमारी ज़िन्दगी बड़ी ही सूनी और बेरंग होती। पर ऐसे कितने गीत होंगे जिनके बनने की कहानियों से, उनसे जुड़ी दिलचस्प क़िस्सों से आप अवगत होंगे? बहुत कम, है न? कुछ जाने-पहचाने, और कुछ कमसुने फ़िल्मी गीतों की रचना प्रक्रिया, उनसे जुड़ी दिलचस्प बातें, और कभी-कभी तो आश्चर्य में डाल देने वाले तथ्यों की जानकारियों को समेटता है 'रेडियो प्लेबैक इण्डिया' का यह स्तम्भ 'एक गीत सौ कहानियाँ'।  इसकी 43-वीं कड़ी में आज जानिये फ़िल्म 'मोतीमहल' के गीत "क़िस्मत ने हमें रोने के लिये दुनिया में अकेला छोड़ दिया" के बारे में।

नई फिल्म - Roar -Tigers Of The Sundarbans : Official Theatrical Trailer

नई फिल्म का परिचय   आदमखोर बाघों और मगरमच्छों के बीच जीवन और मृत्यु का रोमांचक संघर्ष हिंसक पशुओं से आत्मरक्षा की स्वाभाविक प्रवृत्ति मनुष्य में ही नहीं , हर जीव-जन्तु में होती है। आदमखोर बाघों से आत्मरक्षा का भाव होते हुए भी मनुष्य ऐसी प्रजाति को लुप्त होने से बचाने का प्रयास करता रहता है। अगले दो सप्ताह बाद प्रदर्शित होने वाली एक फीचर फिल्म के लिए अभिनेता से फिल्म निर्देशक बने कमल सदाना ने इसी रोमांचक विषय पर एक फीचर फिल्म ‘ रोर – टाइगर ऑफ सुन्दरवन ’ का निर्माण किया है। पिछले दिनों अभिनेता सलमान खान ने फिल्म का ट्रेलर जारी किया। ‘ रेडियो प्लेबैक इण्डिया ’ पर अपने पाठकों, श्रोताओं और दर्शकों के लिए यह ट्रेलर प्रस्तुत है। देश के सभी सिनेमाघरों में इस फिल्म का प्रदर्शन 31 अक्तूबर को हो रहा है।     Roar -Tigers Of The Sundarbans : Official Theatrical Trailer  यह फिल्म देश के सभी सिनेमाघरों में शुक्रवार, 31 अक्तूबर, 2014 को प्रदर्शित होगी। अगले शुक्रवार को इसी साप्ताहिक स्तम्भ में हम आपको इस फिल्म के कुछ गाने सुनवाएँगे। आपको हमारा यह