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पण्डित राजन-साजन मिश्र से सुनिए मियाँ की मल्हार

    स्वरगोष्ठी – 129 में आज भूले-बिसरे संगीतकार की कालजयी कृति – 9 राग मियाँ मल्हार पर आधारित एक अनूठा गीत-   ‘नाच मेरे मोर जरा नाच...’ इन दिनों ‘रेडियो प्लेबैक इण्डिया’ के साप्ताहिक मंच ‘स्वरगोष्ठी’ पर जारी है, लघु श्रृंखला ‘भूले-बिसरे संगीतकार की कालजयी कृति’। इस श्रृंखला की नौवीं कड़ी के साथ मैं कृष्णमोहन मिश्र आप सब संगीत-प्रेमियों की इस संगोष्ठी में उपस्थित हूँ और आपका हार्दिक स्वागत करता हूँ। इस श्रृंखला के अन्तर्गत हम आपको राग-आधारित कुछ ऐसे फिल्मी गीत सुनवा रहे हैं, जो छः दशक से भी पूर्व के हैं। रागों के आधार के कारण ये गीत आज भी सदाबहार गीत के रूप में हमारे बीच प्रतिष्ठित हैं। परन्तु इनके संगीतकार हमारी स्मृतियों में धूमिल हो गए हैं। इस श्रृंखला को प्रस्तुत करने का हमारा उद्देश्य यही है कि इन कालजयी, राग आधारित गीतों के माध्यम से हम उन भूले-बिसरे संगीतकारों को स्मरण करें। आज के अंक में हम आपके लिए वर्षाकालीन राग मियाँ की मल्हार पर आधारित लगभग लुप्तप्राय एक फिल्मी गीत, इस गीत के विस्मृत संगीतकार शान्ति कुमार देसाई का परिचय और राग मियाँ की मल्हार में नि

सिने पहेली – 73 - मुकाबला चालू आहे

सिने पहेली – 7 3 मुकाब ला चालू आहे !     सि ने पहेली के 7 2 वें अंक के परिणाम आ चुके हैं. इस बार काफी उलट पुलट हुई है. 73 वें अंक में सभी प्रतियोगियों का मैं आपका साथी अमित तिवारी स्वागत करता हूँ.   इस बार केवल विजय कुमार व्यास जी ही सभी प्रश्नों के सही जवाब देकर पूरे अंक प्राप्त करने में सफल रहे. अंक तालिका में बदलाव आया है. पर कोई बात नहीं अभी पूरे आठ कड़ी बची हैं आठवें सेगमेंट की.  इन्दू जी आप कहाँ गायब हो गयीं ? आप सवालों से घबराने वालों में से तो नहीं हैं. आ जाइए हमारे धुरंधरों को टक्कर देने के लिए. अगर आपने ध्यान दिया हो तो अंको विभाजन का तरीका अलग क र  दिया गया है इस सेगमेंट में. इससे सभी को क हीं न कहीं रेस में वापस ऊपर आने का मौका मिलेगा.  आज की पहेली के पाँच सवाल नीचे हैं , ध्यान से उत्तर दीजिये और पूरे अंक प्राप्त करने का मौका मत छोड़िये. आज की पहेली के लिए आप सबको शुभकामनाएँ. इस अंक से प्रतियोगिता में जुड़ने वाले नये खिलाड़ियों का स्वागत करते हुए हम उन्हें यह भी बताना चाहेंगे कि अभी भी कुछ देर नहीं हुई है। आज से इस प्रतियोगिता में जुड़ कर भी आ

तारों की छांव में प्रीत की बायर

गोल्ड सीरिस - खरा सोना गीत ०६ टिम टिम टिम तारों के दीप जले.... स्वर  - लता, तलत शब्द - भरत व्यास संगीत - वसंत देसाई कार्यक्रम स्क्रिप्ट - सुजॉय चट्टरजी प्रस्तुतकर्ता एवं कार्यक्रम संचालक - संज्ञा टंडन

राग मेघ मल्हार की फुहार में भीगे फ़िल्मी गीत

राग मेघ मल्हार पर आधारित फ़िल्मी गीत  स्क्रिप्ट : कृष्णमोहन मिश्र  स्वर एवं प्रस्तुति : संज्ञा टंडन 

बोलती कहानियाँ: मुंशी प्रेमचन्द कृत अग्निसमाधि

इस साप्ताहिक स्तम्भ "बोलती कहानियाँ" के अंतर्गत हम हर सप्ताह आपको सुनवाते रहे हैं प्रसिद्ध कहानियाँ। पिछले सप्ताह आपने माधवी चारुदत्ता के स्वर में अनुराग शर्मा की व्यंग्यात्मक कहानी " सम्बन्ध " का पाठ सुना था। आज हम आपकी सेवा में प्रस्तुत कर रहे हैं मुंशी प्रेमचन्द की मार्मिक कहानी अग्निसमाधि जिसे स्वर दिया है हिन्दी और मराठी की एक सफल वॉइस ओवर आर्टिस्ट माधवी चारुदत्ता ने। उनके स्वर में आचार्य विनोबा भावे द्वारा धुले जेल में मराठी भाषा में दिये गए गीता प्रवचन यहाँ सुने जा सकते हैं। प्रस्तुत कथा का गद्य " भारत कोश " पर उपलब्ध है। "अग्निसमाधि" का कुल प्रसारण समय 28 मिनट 18 सेकंड है। सुनें और बतायें कि हम अपने इस प्रयास में कितना सफल हुए हैं। यदि आप भी अपनी मनपसंद कहानियों, उपन्यासों, नाटकों, धारावाहिको, प्रहसनों, झलकियों, एकांकियों, लघुकथाओं को अपनी आवाज़ देना चाहते हैं तो अधिक जानकारी के लिए कृपया admin@radioplaybackindia.com पर सम्पर्क करें। मैं एक निर्धन अध्यापक हूँ ... मेरे जीवन मैं ऐसा क्या ख़ास है जो मैं किसी से कहू

बिजलियाँ गिराती अदाओं से ज़रा बच के

गोल्ड सीरिस - खरा सोना गीत (अंक ५) शोख नज़र की बिजलियाँ ... फिल्म  - वो कौन थी स्वर - आशा भोसले शब्द - राजा मेहदी अली खान संगीत - मदन मोहन स्क्रिप्ट - सुजॉय चट्टरजी प्रस्तुतकर्ता  - लिंटा मनोज एपिसोड निर्देशिका - संज्ञा टंडन

स्वरगोष्ठी में आज : राग भूपाली के दो रंग

    स्वरगोष्ठी – 128 में आज भूले-बिसरे संगीतकार की कालजयी कृति – 8 राग भूपाली पर आधारित एक मनभावन गीत- ‘पंख होते तो उड़ आती रे...’ इन दिनों ‘रेडियो प्लेबैक इण्डिया’ के साप्ताहिक मंच ‘स्वरगोष्ठी’ पर जारी है, लघु श्रृंखला ‘भूले-बिसरे संगीतकार की कालजयी कृति’। इस श्रृंखला की आठवीं कड़ी के साथ मैं कृष्णमोहन मिश्र आप सब संगीत-प्रेमियों की इस संगोष्ठी में उपस्थित हूँ और आपका हार्दिक स्वागत करता हूँ। इस श्रृंखला के अन्तर्गत हम आपको राग-आधारित कुछ ऐसे फिल्मी गीत सुनवा रहे हैं, जो छः दशक से भी पूर्व के हैं। रागों के आधार के कारण ये गीत आज भी सदाबहार गीत के रूप में हमारे बीच प्रतिष्ठित हैं। परन्तु इनके संगीतकार हमारी स्मृतियों में धूमिल हो गए हैं। इस श्रृंखला को प्रस्तुत करने का हमारा उद्देश्य यही है कि इन कालजयी, राग आधारित गीतों के माध्यम से हम उन भूले-बिसरे संगीतकारों को स्मरण करें। आज के अंक में हम आपको भारतीय संगीत के एक अत्यन्त मधुर राग ‘भूपाली’ पर आधारित, फिल्म ‘सेहरा’ का एक गीत सुनवाएँगे और इस गीत के विस्मृत संगीतकार रामलाल का स्मरण करेंगे। इसके साथ ही हम