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सिने पहेली - 71

सिने पहेली – 71 आठवें सेगमेंट की पहली पहेली     सि ने पहेली के 71वें अंक में  मैं आपका साथी अमित तिवारी आप सबका स्वागत करता हूँ.  सिने पहेली का सातवाँ सेगमेंट खत्म हुआ और हम आ पहुंचे हैं आठवें सेगमेंट पर. क्या गजब का रहा सातवाँ सेगमेंट. उतार चढ़ाव, सभी प्रतिभागी एक दूसरे को जमकर टक्कर देते हुए. कुछ नये खिलाड़ी हमसे जुड़े भी. सातवें सेगमेंट की अंतिम पहेली में सबसे पहले सभी जवाब सही देकर सरताज प्रतियोगी बने बेंगुलुरू के पंकज मुकेश जी. सातवें सेगमेंट में शुरू से अपनी बढ़त बनाये रखी लखनऊ से प्रकाश गोविन्द जी ने और सातवें सेगमेंट में निर्णायक रूप से प्रथम स्थान प्राप्त किया. दूसरे और तीसरे स्थान पर क्रमशः बीकानेर से विजय कुमार व्यास जी और लखनऊ से चंद्रकांत दीक्षित जी रहे.  पंकज मुकेश जी ने कड़ी टक्कर दी लेकिन उन्हें सिने पहेली के 62 वें और 64 वें अंक में भाग नहीं लेने की वजह से नुकसान उठाना पड़ा.  बहरहाल सभी विजेताओं को बधाईयाँ और अन्य सभी को आठवें सेगमेंट के लिए शुभकामनायें. इस अंक से प्रतियोगिता में जुड़ने वाले नये खिलाड़ियों का स्वागत करते हुए हम उन्हें यह भी बताना

प्रेरणात्मक स्वरों में मस्ती की झनकार और मासूम प्रेम की पुकार -'मिल्खा' का जीवन सार

कु छ एलबम्स ऐसी होती हैं जिनके बारे में लिखते हुए वाकई दिल से खुशी का अनुभव मिलता है, क्योंकि खुशियों की ही तरह अच्छे संगीत को बांटना भी बेहद सुखद सा एहसास होता है, आज हम एक ऐसे ही एल्बम का जिक्र आपसे साँझा करने वाले हैं. वैसे इन दिनों हिंदी फिल्म संगीत प्रेमियों की चांदी है. राँझना , और लूटेरा  का संगीत पहले ही संगीत प्रेमियों को खूब रास आ रहा है ऐसे में एक और दमदार एल्बम की आमद हो जाए तो और भला क्या चाहिए. दोस्तों बायोपिक यानी किसी व्यक्ति विशेष के जीवन पर हमारे यहाँ बहुत कम फ़िल्में बनी हैं, शायद इसकी वजह निर्माता निर्देशकों के विवादों और कानूनी झमेलों से बचने की प्रवर्ति है, खैर आज हम चर्चा करेंगें भाग मिल्खा भाग  के संगीत पक्ष की. भाग मिल्खा... धावक मिल्खा सिंह की जीवनी है जहाँ मिल्खा बने हैं फरहान अख्तर. फिल्म का संगीत पक्ष संभाला है शंकर एहसान लॉय की तिकड़ी ने और गीत लिखे हैं प्रसून जोशी ने.  एल्बम की शुरुआत दिलेर मेहदी के रूहानी स्वर में नानक नाम जहाज़ दा  से होती है. मात्र डेढ़ मिनट की इस गुरबानी से बेहतर शुरुआत भला क्या हो सकती थी. इसके तुरंत बाद शुरू होता है गीत जिंद

5 सुनहरे साल रेडियो प्लेबैक इंडिया के - आभार समस्त श्रोताओं का

दो स्तों आप लोग सोच रहे होंगें कि आज गुरूवार है और आज तो दिन है 'खरा सोना गीत' के पोडकास्ट का, तो फिर ये ख़ामोशी क्यों है भाई...? तो दोस्तों हम आपको बता दें कि आज है ५ जुलाई और आज से ठीक ५ साल पहले यानी ५ जुलाई २००८ को रेडियो प्लेबैक इंडिया (पूर्व में आवाज़) की विधिवत शुरुआत हुई थी. यानी आज रेडियो प्लेबैक की ५ वीं सालगिरह है और हमारे अभासिया स्टूडियो में एक जबरदस्त पार्टी चल रही है, और हमारे सारे पॉडकास्टर वहीँ व्यस्त हैं, चलिए वहीँ चलें और देखें कि क्या क्या हो रहा है वहाँ...  लीजिए द्वार पर ही हमें मिल गए हैं पीट्सबर्ग  के 'स्मार्ट इंडियन' यानी सुनो कहानी स्तंभ के कर्ता धर्ता अनुराग शर्मा जी. अरे अरे रुकिए अनुराग जी RPI के ५ साल पूरे होने की बहुत बहुत बधाई, आज पीछे मुड़कर देखते हैं तो कैसा लगता है ये सफर ?  अनुराग शर्मा - छोटी सी ज़िंदगी ने मुझे भारत और बाहर बहुत सी जगहें देखने और साथ ही बहुत से काम करने के अवसर दिये। बहुत कुछ सीखा और किया लेकिन यह मन किसी भी काम में लंबे समय तक नहीं लग सका। जो भी किया वह सब कुछ महीने से लेकर अधिकतम 3-4 साल तक ही चला

बोलती कहानियाँ: अनुराग शर्मा कृत संबंध

इस साप्ताहिक स्तम्भ "बोलती कहानियाँ" के अंतर्गत हम हर सप्ताह आपको सुनवाते रहे हैं प्रसिद्ध कहानियाँ। पिछले सप्ताह आपने माधवी चारुदत्ता के स्वर में आराधना चतुर्वेदी 'मुक्ति' की रहस्य-कथा " आदत " का पाठ सुना था। आज हम आपकी सेवा में प्रस्तुत कर रहे हैं अनुराग शर्मा की व्यंग्यात्मक कहानी सम्बन्ध जिसे स्वर दिया है हिन्दी और मराठी की एक सफल वॉइस ओवर आर्टिस्ट माधवी चारुदत्ता ने। उनके स्वर में आचार्य विनोबा भावे द्वारा धुले जेल में मराठी भाषा में दिये गए गीता प्रवचन यहाँ सुने जा सकते हैं। कहानी सम्बन्ध का गद्य " बर्ग वार्ता ब्लॉग " पर उपलब्ध है। "सम्बन्ध" का कुल प्रसारण समय 8 मिनट 5 सेकंड है। सुनें और बतायें कि हम अपने इस प्रयास में कितना सफल हुए हैं। यदि आप भी अपनी मनपसंद कहानियों, उपन्यासों, नाटकों, धारावाहिको, प्रहसनों, झलकियों, एकांकियों, लघुकथाओं को अपनी आवाज़ देना चाहते हैं तो अधिक जानकारी के लिए कृपया admin@radioplaybackindia.com पर सम्पर्क करें। शक्ति के बिना धैर्य ऐसे ही है जैसे बिना बत्ती के मोम।  ~ अनुराग शर्

सी ए टी कैट, कैट माने बिल्ली...एक खिलखिलाता गीत

खरा सोना गीत ०२  गीत : सी ए टी कैट, कैट माने बिल्ली... गायक  कलाकार : किशोर और आशा  गीतकार : मजरूह सुल्तानपुरी संगीतकार : रवि  स्क्रिप्ट  :  सुजॉय चट्टर्जी स्वर  : श्वेता  प्रस्तुति  : संज्ञा टंडन संकल्पना  : सजीव सारथी 

विदुषी मीता पण्डित से सुनिए राम-सिया की होली

स्वरगोष्ठी – 126 में आज भूले-बिसरे संगीतकार की कालजयी कृति – 6 राग काफी पर आधारित गीत- ‘कासे कहूँ मन की बात...’     ‘रेडियो प्लेबैक इण्डिया’ के साप्ताहिक स्तम्भ ‘स्वरगोष्ठी’ पर जारी लघु श्रृंखला ‘भूले-बिसरे संगीतकार की कालजयी कृति’ की इस छठी कड़ी में मैं कृष्णमोहन मिश्र आप सब संगीत-प्रेमियों का हार्दिक अभिनन्दन करता हूँ। इस श्रृंखला के अन्तर्गत हम आपको राग-आधारित कुछ ऐसे फिल्मी गीत सुनवा रहे हैं, जो आधी शताब्दी से भी अधिक अवधि बीत जाने के बावजूद सदाबहार गीत के रूप में हमारे बीच प्रतिष्ठित हैं। ये गीत सदाबहार तो हैं, परन्तु इनके संगीतकार हमारी स्मृतियों में धूमिल हो गए हैं। इस श्रृंखला को प्रस्तुत करने का उद्देश्य ही यही है कि इन कालजयी, राग आधारित गीतों के माध्यम से हम कुछ भूले-बिसरे संगीतकारों को स्मरण करें। आज के अंक में हम आपको राग काफी पर आधारित एक मधुर फिल्मी गीत सुनवाएँगे और इस गीत के संगीतकार एन. दत्ता का स्मरण करेंगे। इसके साथ ही सुप्रसिद्ध युवा गायिका विदुषी मीता पण्डित से इसी राग में निबद्ध रस से भरी एक होरी भी सुनेगे। एन. दत्ता 195