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राग तिलक कामोद से पूर्णतया भिन्न है राग कामोद के आरोह स्वर

राग कामोद पर आधारित फ़िल्मी गीत स्वर एवं प्रस्तुति - संज्ञा टंडन स्क्रिप्ट - कृष्णमोहन मिश्र

काजल कुमार का व्यंग्य एक था गधा

इस साप्ताहिक स्तम्भ "बोलती कहानियाँ" के अंतर्गत हम हर सप्ताह आपको सुनवाते रहे हैं प्रसिद्ध कहानियाँ। पिछले सप्ताह आपने अनुराग शर्मा के स्वर में हिन्दी के प्रसिद्ध साहित्यकार सच्‍चिदानन्‍द हीरानन्‍द वात्‍स्‍यायन 'अज्ञेय' की भारत के विभाजन के दुष्काल पर आधारित मार्मिक कहानी " मुस्लिम-मुस्लिम भाई-भाई " का पाठ सुना था। आज हम आपकी सेवा में प्रस्तुत कर रहे हैं प्रसिद्ध कार्टूनिस्ट काजल कुमार की व्यंग्यात्मक लघुकथा एक था गधा जिसे स्वर दिया है अनुराग शर्मा ने। कहानी "एक था गधा" का गद्य कथा कहानी ब्लॉग पर उपलब्ध है। इस कथा का कुल प्रसारण समय 1 मिनट 36 सेकंड है। सुनें और बतायें कि हम अपने इस प्रयास में कितना सफल हुए हैं। यदि आप भी अपनी मनपसंद कहानियों, उपन्यासों, नाटकों, धारावाहिको, प्रहसनों, झलकियों, एकांकियों, लघुकथाओं को अपनी आवाज़ देना चाहते हैं तो अधिक जानकारी के लिए कृपया admin@radioplaybackindia.com पर सम्पर्क करें। कवि, कथाकार और कार्टूनिस्ट काजल कुमार के बनाए चरित्र आपने अवश्य देखे होंगे। आज हम आपका परिचय करा रहे हैं उनकी एक कहानी

राम संपथ सफल रहे 'फुकरों' संग एक बार फिर कुछ नया करने में

ताज़ा  सुर ताल - फुकरे अ मित त्रिवेदी की ही तरह राम सम्पंथ भी एक और ऐसे संगीतकार जिनके काम से हमेशा ही नयेपन की उम्मीद रहती है. राम की नयी एल्बम है फिल्म फुकरे  का संगीत. आईये आज की इस महफ़िल में चर्चा करें इसी एल्बम की. यहाँ गीतकार हैं विपुल विग और मुन्ना धिमान. गौरतलब है कि विपुल फिल्म के स्क्रीन लेखक भी हैं.  शीर्षक गीत की रफ़्तार, राम के रचे डी के बॉस  जैसी है, यहाँ भी भूत  है जो लँगोटी लेके भाग  रहा है, पर शाब्दिक रूप से गीत का फ्लेवर काफी अलग है. एक नए गायक अमजद भगडवा की ताज़ी ताज़ी आवाज़ में है ये गीत और शीर्षक गीत अनुरूप पर्याप्त मसाला है गीत में. अमजद की आवाज़ प्रभावी है.  क्लिंटन सेरेजो की दमदार आवाज़ में है अगला गीत रब्बा, जो शुरू तो होता है बड़े ही नर्मो नाज़ुक अंदाज़ में होता है जिसके बाद गीत का रंग ढंग पूरी तरह से बदल जाता है, शब्द बेहद ही खूबसूरत है, और संगीत संयोजन में विविधता भरपूर है जिससे श्रोता पूरे समय गीत से जुड़ा ही रहता है  संगीत  संयोजन की यही विविधता ही अगले गीत जुगाड  की भी शान है, जहाँ धुन कव्वाली नुमा है और बेहद सरल है. जुबान पर चढ़ने में सहज है और त

राग पहाड़ी का जादू

स्वरगोष्ठी – 123 में आज भूले-बिसरे संगीतकार की कालजयी कृति - 3 राग पहाड़ी में पिरोया मोहक गीत- ‘साजन की गलियाँ छोड़ चले...’   ‘रेडियो प्लेबैक इण्डिया’ के साप्ताहिक स्तम्भ ‘स्वरगोष्ठी’ पर जारी लघु श्रृंखला ‘भूले-बिसरे संगीतकार की कालजयी कृति’ के तीसरे अंक में, मैं कृष्णमोहन मिश्र आप सब संगीत-रसिकों का एक बार पुनः हार्दिक स्वागत करता हूँ। आज के अंक में हमने आपके लिए 1949 में प्रदर्शित फिल्म ‘बाज़ार’ का एक लोकप्रिय गीत- ‘साजन की गलियाँ छोड़ चले...’ चुना है। राग पहाड़ी पर आधारित गीतों में यह एक सदाबहार गीत है। इसके संगीतकार श्यामसुन्दर थे, जिनका नाम आज की पीढ़ी के लिए प्रायः अपरिचित सा ही है। इसके साथ ही आज हम आपके लिए विश्वविख्यात संगीतज्ञ द्वय पण्डित हरिप्रसाद चौरसिया और पण्डित शिवकुमार शर्मा की राग पहाड़ी में निबद्ध जुगलबन्दी की एक रचना भी प्रस्तुत कर रहे हैं।    श्यामसुन्दर चौ थे दशक के उत्तरार्द्ध से लेकर छठें दशक के पूर्वार्द्ध तक फिल्म संगीत के क्षेत्र में सक्रिय रहे संगीतकार श्यामसुन्दर के बारे में आज की पीढ़ी प्रायः अनभिज्ञ है। पंजाब के उल्ल

सिने पहली - 66

सिने-पहेली # 66 ' रेडियो प्लेबैक इण्डिया ' के सभी श्रोता-पाठकों को अमित तिवारी का नमस्कार! सिने पहेली के 65 वें अंक में तो वाकई धूम धड़ाका हो गया. आई. पी.एल जरूर ख़त्म हो गया पर लखनऊ से चन्द्रकांत दीक्षित जी ने क्रिस गेल के स्टाइल में शानदार ढंग से पहेली प्रकाशित होने के 15 मिनट के अंदर सभी सवालों के सही उत्तर देकर  सरताज विजेता का ख़िताब अपने नाम कर लिया.  साथ ही इस सेगमेंट में अपना खाता खोला गढ़ बनेली, पूर्णिया बिहार से शोएब अख्तर जी ने. शोएब जी आपका स्वागत है सिने पहेली में. इस बार सभी प्रतियोगी पूर्ण अंक प्राप्त करने में सफल रहे. आप सबको बधाईयाँ. पहेली के उत्तर नीचे दिए गए हैं .  चलिए, अब तैयार हो जाइए अपने-अपने फ़िल्मी ज्ञान को आज़माने के लिए, अपने दिमाग़ पर ज़ोर डालने के लिए और हम शुरू करते हैं एक और नयी ताज़ा पहेली. आज से इस प्रतियोगिता में जुड़ने वाले नये खिलाड़ियों का स्वागत करते हुए हम उन्हें यह भी बताना चाहेंगे कि अभी भी कुछ देर नहीं हुई है , आज से इस प्रतियोगिता में जुड़ कर भी आप महाविजेता बन सकते हैं , यही इस प्रतियोगिता की ख़ासियत है। इस प्रतियोगिता