संगीत समीक्षा - गेंगस ऑफ़ वासेपुर - २ दोस्तों जब हमने गैंग्स ऑफ वासेपुर के पहले भाग के संगीत की समीक्षा की थी और उसे ४.३ की रेटिंग दी थी, तो कुछ श्रोताओं ने पूछा था कि क्या वाकई ये अल्बम इस बड़ी रेटिंग की हकदार है? तो दोस्तों हम आपको बता दें कि हमारा मापदंड मुख्य रूप से इस तथ्य में रहता है कि संगीत में कितनी रचनात्मकता है और कितना नयापन है. क्योंकि इस कड़ी प्रतियोगिता के समय में अगर कोई कुछ नया करने की हिम्मत करता है तो उसे सराहना मिलनी चाहिए. तो इसी बात पर जिक्र करें गैंग्स ऑफ वासेपुर के द्रितीय भाग के संगीत की. संगीत यहाँ भी स्नेहा कंवलकर का है और गीत लिखे हैं वरुण ग्रोवर ने. एक बार फिर इस टीम ने कुछ ऐसा रचा है जो बेहद नया और ओरिजिनल है, लेकिन याद रखें अगर आप भी हमारी तरह नयेपन की तलाश में हैं तभी आपको ये अल्बम रास आ सकती है. १२ साल की दुर्गा, चलती रेल में गाकर अपनी रोज़ी कमाती थी, मगर स्नेहा ने उसकी कला को समझा और इस अल्बम के लिए उसे मायिक के पीछे ले आई. दुर्गा का गाया ‘छी छी लेदर” सुनने लायक है, दुर्गा की ठेठ और बिना तराशी आवाज़ का खिलंदड़पन गीत का सबसे बड़ा आकर्