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१४ मार्च- आज का गाना

गाना: मेरी भैंस को डंडा क्यों मारा चित्रपट: पगला कहीं का संगीतकार: शंकर जयकिशन गीतकार: हसरत जयपुरी स्वर: मन्ना डे क्यूं मारा -५ क्यूं -६ मेरी भैंस को डंडा मेरी भैंस को डंडा क्यूं मारा वो खेत में चारा चरती थी तेरे बाप का वो क्या करती थी मेरी भैंस को डंडा क्यूं मारा वो खेत में चारा चरती थी तेरे बाप का है वो क्या करती थी मेरी भैंस को डंडा क्यूं मारा वो लड्डू पेड़े खाती है वो पेड़ों पे चढ जाती है वो लड्डू पेड़े खाती है वो पेड़ों पे चढ जाती है ये मच्छर बीन बजाते हैं वो अपना राग सुनाती है वो ठुम्मक ठुम्मक नाचे जब मैं दिल का बजाऊँ मैं दिल का बजाऊँ इकतारा मेरी भैंस को डंडा मेरी भैंस को डंडा क्यूं मारा वो खेत में चारा चरती थी तेरे बाप का है वो क्या करती थी मेरी भैंस को डंडा क्यूं मारा अरे घर का ये इक स्टेशन है और झंडी प्यारी प्यारी है अरे घर का ये इक स्टेशन है और झंडी प्यारी प्यारी है सब हम तो रेल के डिब्बे हैं वो अपनी इंजन गाड़ी है वो गुस्सा जब भी करती है तो बन जाती है तो बन जाती है अंगारा मेरी भैंस को डंडा मेरी भैंस को डंडा क्यूं मारा वो खे

आई हैं पल्लवी सक्सेना अपनी पसंद के गीतों के साथ रश्मि जी के कार्यक्रम में

आज की पसंद पल्लवी सक्सेना जी के संग. पल्लवी सक्सेना जी से जब मैंने ५ गीतों की चर्चा की तो उन्होंने कहा - " मैं, यह तो नहीं जानती कि आपको यह गाने क्यूँ चाहिए, मगर इतना ज़रूर कहूँगी, कि यह तो बड़ा ही कठिन सवाल है। फिर भी कुछ गाने है। जो दिल को छु ही जाते हैं। मगर आपने इतने कम गाने चुनने को कहे कि मेरा तो मन ही नहीं भरेगा इसलिए मैं आपको 5 से ज्यादा गाने भेज रही हूँ। जो मुझे बेहद पसंद है और कहीं न कहीं मेरी ज़िंदगी के गुजरे हुए लम्हों से जुड़े हुए है। जो मेरी ज़िंदगी के प्यार और दोस्ती के पवित्र रिश्तों से जुड़े हुए हैं। हर एक गाने में मुझे ज़िंदगी की सच्चाई महसूस होती है। हर गाने में यही महसूस होता है कि यह मेरी ही ज़िंदगी है हर एक गीत में इसलिए मुझे यह सारे गाने बहुत-बहुत अच्छे लगते हैं। मेरी माने तो एक बार you tube पर यह सारे गाने सुनकर देखिये गा आपका भी मन खिल जाएगा गा सच्ची। वैसे तो मेरी लिस्ट कभी खत्म होने वाली नहीं क्यूंकि मुझे गाने सुनना बहुत पसंद है मगर फिलहाल मेरी पसंद के कुछ गीत मैं आपको भेज रही हूँ। " तो लीजिए पल्लवी की पसंद के गीतों में सुनते हैं ये ५ गीत.

१३ मार्च- आज का गाना

गाना: दर्शन दो घनश्याम नाथ चित्रपट: नरसी भगत संगीतकार: रवी गीतकार: गोपाल दास नेपाली स्वर: हेमंत कुमार, सुधा मल्होत्रा दर्शन दो घनश्याम नाथ मोरी अँखियाँ प्यासी रे .. मंदिर मंदिर मूरत तेरी फिर भी न दीखे सूरत तेरी . युग बीते ना आई मिलन की पूरनमासी रे .. दर्शन दो घनश्याम नाथ मोरि अँखियाँ प्यासी रे .. द्वार दया का जब तू खोले पंचम सुर में गूंगा बोले . अंधा देखे लंगड़ा चल कर पँहुचे काशी रे .. दर्शन दो घनश्याम नाथ मोरि अँखियाँ प्यासी रे .. पानी पी कर प्यास बुझाऊँ नैनन को कैसे समजाऊँ . आँख मिचौली छोड़ो अब तो घट घट वासी रे .. दर्शन दो घनश्याम नाथ मोरि अँखियाँ प्यासी रे ..

सिने-पहेली # 11 (पहला सेगमेंट परिणाम विशेष)

जाँचिए अपना फिल्म-संगीत ज्ञान रे डियो प्लेबैक इण्डिया के सभी श्रोता-पाठकों का ‘ सिने-पहेली ’ के एक नए अंक में कृष्णमोहन मिश्र की ओर से हार्दिक स्वागत और अभिनन्दन है। विश्वास है कि आपने रंगों का पर्व धूम-धाम से मनाया होगा। इससे पहले कि हम ' सिने-पहेली ' की 11 वीं कड़ी के प्रश्नों का सिलसिया आरम्भ करें , पहले आपकी उत्सुकता का समाधान करते हुए ‘ सिने-पहेली ’ की पहली दस कड़ियों की श्रृंखला (पहले सेगमेण्ट) के विजेता के नाम की घोषणा आवश्यक है। दोस्तों , हमारी पहली श्रृंखला के पहले विजेता हैं , लखनऊ के श्री प्रकाश गोविन्द , जिन्होने 39 अंक अर्जित कर प्रतियोगिता में प्रथम स्थान प्राप्त किया है। प्रकाश जी की भागीदारी पहेली की सभी दस कड़ियों में रही और आरम्भ से ही उन्होने अपनी बढ़त को कायम रखा। प्रतियोगिता के उपविजेता , बैगलुरु के श्री पंकज मुकेश रहे , जिन्होने 35 अंक अर्जित किए और प्रकाश जी को कड़ी टक्कर दी। 30 अंक पाकर इन्दौर की श्रीमती क्षिति तिवारी ने तीसरा और 29 अंक अर्जित कर मुम्बई के श्री रीतेश खरे ने प्रतियोगिता में चौथा स्थान प्राप्त किया। इनके अलावा श्री

१२ मार्च- आज का गाना

गाना: ये आँखें, उफ़ युम्मा! चित्रपट: जब प्यार किसी से होता है संगीतकार: शंकर - जयकिशन गीतकार: हसरत स्वर: रफ़ी, लता रफ़ी: ये आँखें, उफ़ युम्मा! ये सूरत, उफ़ युम्मा! प्यार क्यूँ ना होगा, ये अदायें, उफ़ युम्मा! लता: ये मौसम, उफ़ युम्मा! ये धड़कन, उफ़ युम्मा! कैसे दिल को रोकूँ, कोइ थामें, उफ़ युम्मा! रफ़ी: ये आँखें, उफ़ युम्मा! तुम दिल हो दिलरुबा हो, तुम पर जहाँ फ़िदा हो \- २ हम तो हैं क्या, कुछ भी नहीं तुम सा हसीन कोई नहीं, तुम तो चांद का टुकड़ा हो ये शोखी, उफ़ युम्मा! ये शरारत, उफ़ युम्मा! प्यार क्यूँ ना होगा, ये अदायें, उफ़ युम्मा! ये आँखें, उफ़ युम्मा! लता: कब तक रहूँ छुपाये, सीने में आग, हाय \- २ जलने लगा ये सारा बदन समझो ज़रा ये दिल की अगन तुम जो मिलो चैन आ जाये ये उमंगें, उफ़ युम्मा! ये तरंगें, उफ़ युम्मा! कैसे दिल को रोकूँ, कोई थामें, उफ़ युम्मा!

स्वरगोष्ठी – 61 विविध संगीत शैलियो में होली के इन्द्रधनुषी रंग

स्वरगोष्ठी – ६१ में आज ‘चोरी चोरी मारत हो कुमकुम.....’ भारतीय पर्वों में होली एक ऐसा पर्व है, जिसमें संगीत-नृत्य की प्रमुख भूमिका होती है। जनसामान्य अपने उल्लास को व्यक्त करने के लिए मुख्य रूप से देशज संगीत का सहारा लेता है। इस अवसर पर प्रस्तुत की जाने वाली रचनाओं में लोक-संगीत की प्रधानता के बावजूद सभी भारतीय संगीत शैलियों में होली की रचनाएँ प्रमुख रूप से उपलब्ध हैं। आज के अंक में हम आपके लिए कुछ संगीत शैलियों में रंगोत्सव के चुनिन्दा गीतों पर चर्चा करेंगे।     इ न्द्रधनुषी रंगों में भींगे तन-मन लिये ‘स्वरगोष्ठी’ के अपने समस्त पाठकों-श्रोताओं का, मैं कृष्णमोहन मिश्र एक बार पुनः अबीर-गुलाल के साथ स्वागत और अभिनन्दन करता हूँ। रंगोत्सव के उल्लासपूर्ण परिवेश में ‘स्वरगोष्ठी’ के पिछले अंक में हमने आपके लिए राग काफी में निबद्ध कुछ संगीत-रचनाओं को प्रस्तुत किया था। आज के अंक में हम यह सिलसिला जारी रखते हुए कुछ अन्य संगीत शैलियों की फाल्गुनी रचनाएँ लेकर उपस्थित हुए हैं। आज प्रस्तुत की जाने वाली होली रचनाएँ हमने राग काफी से इतर रागों में चुनी है। आज की इस सतरंगी गोष्ठी का आरम्भ हम एक

११ मार्च- आज का गाना

गाना: हाल\-ए\-दिल हमा चित्रपट: श्रीमान सत्यवादी संगीतकार: दत्ताराम गीतकार: हसरत जयपुरी स्वर: मुकेश हाल\-ए\-दिल हमारा, जाने न बेवफ़ा ये ज़माना ज़माना \- २ सुनो दुनिया वालों आएगा लौट के दिन सुहाना सुहाना हाले\-ए\-दिल हमारा एक दिन दुनिया बदलकर रास्ते पे आएगी आज ठुकराती है हमको कल मगर शर्माएगी बात को तुम मान लो अरे जान लो भैया हाल\-ए\-दिल हमारा ... दाग हैं दिल पर हज़ारों हम तो फिर भी शाद हैं आस के दीपक जलाये देख लो आबाद हैं तीर दुनिया के सहे पर खुश रहे भैया हाल\-ए\-दिल हमारा ... झूठ की मंज़िल पे यारों हम ना हर्गिज़ जायेंगे हम ज़मीं की खाक सही आसमां पर छाएंगे क्यूं भला दबकर रहें डरते नहीं भैया हाल\-ए\-दिल हमारा, जाने न बेवफ़ा ये ज़माना ज़माना सुनो दुनिया वालों आयेगा लौट के दिन सुहाना सुहाना हाल\-ए\-दिल हमारा