ओल्ड इस गोल्ड शृंखला # 629/2010/329 फ़ि ल्म जगत के प्रथम सिंगिंग् सुपरस्टार कुंदन लाल सहगल को समर्पित 'ओल्ड इज़ गोल्ड' की लघु शृंखला 'मधुकर श्याम हमारे चोर' की नौवीं कड़ी में आप सब का एक बार फिर बहुत बहुत स्वागत है। १९४२ में 'भक्त सूरदास' और १९४३ में 'तानसेन' में अभिनय व गायन करने के बाद १९४४ में सहगल साहब और रणजीत मूवीटोन के संगम से बनीं एक और लाजवाब म्युज़िकल फ़िल्म 'भँवरा'। लेकिन इस फ़िल्म को वो बुलंदी नहीं मिली जो 'भक्त सूरदास' और 'तानसेन' को मिली थी। आपको शायद याद होगा इस फ़िल्म का अमीरबाई के साथ उनका गाया गीत " क्या हमने बिगाड़ा है, क्यों हमको सताते हो " हमनें 'ओल्ड इज़ गोल्ड' की लघु शृंखला 'गीत गड़बड़ी वाले' में सुनवाया था और बताया कि किस तरह से सहगल साहब नें इस गाने में गड़बड़ी की थी। ख़ैर, इसी साल १९४४ में सहगल साहब वापस कलकत्ता गये और उसी न्यु थिएटर्स के लिए एक फ़िल्म में अभिनय/गायन किया जिस न्यु थिएटर्स से वो शोहरत की बुलंदियों तक पहुँचे थे। यह फ़िल्म थी 'माइ सिस्टर'। पंडित भूषण के लिख