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चिड़िया रानी

मीनाक्षी धन्वंतरि की आवाज़ में सुषमा गर्ग की बाल-कविता 'गुड़िया रानी' आज कई महीनों के बाद मीनू आंटी बच्चों के लिए एक कविता पॉडकास्ट लेकर आई हैं। मीनू आंटी ने अब से नियमित पॉडकास्ट भेजने का वादा किया है। सुनकर ज़रूर बतायें कि कैसी लगी? नीचे ले प्लेयर से सुनें. (प्लेयर पर एक बार क्लिक करें, कंट्रोल सक्रिय करें फ़िर 'प्ले' पर क्लिक करें।) यदि आप इस पॉडकास्ट को नहीं सुन पा रहे हैं तो नीचे दिये गये लिंकों से डाऊनलोड कर लें (ऑडियो फ़ाइल तीन अलग-अलग फ़ॉरमेट में है, अपनी सुविधानुसार कोई एक फ़ॉरमेट चुनें) VBR MP3 64Kbps MP3 Ogg Vorbis सभी बाल-रचनाएँ सुनने के लिए क्लिक करें। # Baal-Kavita 'Chidiya Rani' of Shushma Garg, # Voice- Meenakshi Dhanvantri 'Meenu'

पहला सुर के गीतों को अपना कॉलर ट्यून बनायें

इंटरनेट के माध्यम से बने पहले संगीतबद्ध एल्बम 'पहला सुर' के गीतों को अपना कॉलर ट्यून बनायें यह बहुत खुशी की बात है कि हिन्द-युग्म के पहले एल्बम 'पहला सुर' के गीतों/ग़ज़लों को आप अपना कॉलर ट्यून बना सकते हैं। अभी यह सुविधा वोडाफोन के साथ है। जल्द ही यह सुविधा हम अन्य मोबाइल नेटवर्क उपभोक्ताओं को भी देंगे। हिन्दी ब्लॉगिंग के लिए भी यह एक सफलता ही है कि ब्लॉगिंग के माध्यम से एक एल्बम बना और वो इतनी जगह, इतनी बार सुना गया और सराहा गया। Friends, We are very happy to announce that the tracks of Hind-Yugm 's very first album of 'Pehla Sur' that was made through internet jamming, are uploaded at Vodafone... You can set those as your caller tune.. CODE SONG_NAME ALBUM_NAME 10600300 Baat Yeh Kya Hai Jo Pehla Sur 10600301 In Dinon Pehla Sur 10600302 Jhalak Pehla Sur 10600303 Mujhe Dard De Pehla Sur 10600304 Sammohan Pehla Sur 10600305 Subah Jeeta Hun Pehla Sur 10600306 Subah Ki Taazgi Pehla Sur 10600307 Tu Hal Dil Ke Paas Pehla Sur 10600308 Wo Narm Si Pehla Sur 1060

पॉडकास्ट कवि सम्मेलन का आमंत्रण अंक

दोस्तो, जैसाकि हमने वादा किया था कि महीने के अंतिम रविवार को पॉडकास्ट सम्मेलन का प्रसारण करेंगे। इंटरनेट की गति हर एक प्रयोक्ता के पास अलग-अलग है, इसलिए हम एक समान गुणवत्ता नहीं तो रख पाये हैं, मगर फिर भी एक सम्मिलित प्रयास किया है। आशा है आप सभी को पसंद आयेगा। नीचे के प्लेयर से सुनें। प्रतिभागी कवि रंजना भाटिया, दिव्य प्रकाश दुबे, मनुज मेहता, नरेश राणा, शोभा महेन्द्रू, शिवानी सिंह, अनिता कुमार, अभिषेक पाटनी संचालक- हरिहर झा उप-संचालक- शैलेश भारतवासी हमें हरिहर झा, ब्रह्मनाथ त्रिपाठी अंजान और पीयूष पण्डया की भी रिकॉर्डिंग प्राप्त हुई थी, लेकिन उन्हें आसानी से सुन पाना सम्भव नहीं था। इसलिए हम उनका इस्तेमाल नहीं कर सके। यदि आप इस पॉडकास्ट को नहीं सुन पा रहे हैं तो नीचे दिये गये लिंकों से डाऊनलोड कर लें (ऑडियो फ़ाइल तीन अलग-अलग फ़ॉरमेट में है, अपनी सुविधानुसार कोई एक फ़ॉरमेट चुनें) VBR MP3 64Kbps MP3 Ogg Vorbis हम सभी कवियों से यह गुज़ारिश करते हैं कि अपनी आवाज़ में अपनी कविता/कविताएँ रिकॉर्ड करके podcast.hindyugm@gmail.com पर भेजें। आपकी ऑनलाइन न रहने की स्थिति में भी हम आपकी आवाज़ का समु

तेरे चेहरे पे, एक खामोशी नज़र आती है...

आवाज़ पर संगीत के दूसरे सत्र के, चौथे गीत का विश्व व्यापी उदघाटन आज. संगीत प्रेमियो, इस शुक्रवार, बारी है एक और नए गीत की, और एक बार फ़िर संगीत पटल पर दस्तक दे रहे हैं एक और युवा संगीतकार अनुरूप , जो अपने साथ लेकर आए हैं, ग़ज़ल-गायन में तेज़ी से अपनी उपस्थिति दर्ज कराती एक आवाज़ निशांत अक्षर . ग़ज़लकार है युग्म के छायाचित्रकार कवि मनुज मेहता . " पहला सुर " की दो ग़ज़लों के कलमकार, निखिल आनंद गिरि का आल इंडिया रेडियो पर साक्षात्कार सुनकर, अनुरूप ने युग्म से जुड़ने की इच्छा जताई और शुरू हुआ संगीत का एक नया सिलसिला. मनुज के बोल और निशांत से स्वर मिलें तो बनी, नए सत्र की यह पहली ग़ज़ल -"तेरे चेहरे पे". तो दोस्तो, आनंद लीजिये इस ताजातरीन प्रस्तुति का, और अपनी मूल्यवान टिप्पणियों से इस नई टीम का मार्गदर्शन / प्रोत्साहन करें. ग़ज़ल को सुनने के लिए नीचे के प्लेयर पर क्लिक करें - Hind Yugm, once again proudly present another, very young ( just 18 yrs old ) and talented composer, Anuroop from New Delhi, for whom composing ghazal is just natural, this ghazal here has been made keepin

सीखिए गायकी के गुर

गाना आए या न आए,गाना चाहिए...जनाब बाथरूम सिंगिंग छोडिये, और महफिलों की जान बनिए, आवाज़ पर संजय पटेल लेकर आए हैं, नए गायकारों के लिए मशहूर संगीतकार कुलदीप सिंह के सुझाये कुछ नायाब टिप्स... दोस्तो, एक संगीत प्रतियोगिता के संचालन के दौरान, मैंने बतौर निर्णायक उपस्थित, जाने माने संगीतकार कुलदीप सिंह (फ़िल्म साथ-साथ और अंकुश से मशहूर), जिन पर ग़ज़ल गायक जगजीत सिंह को पहली बार पार्श्व गायन में उतारने का श्रेय भी है, से जानना चाहा कुछ ऐसे मशवरे, जो उभरते हुए नए गायकों, विशेषकर जो सुगम संगीत (गीत, ग़ज़ल,और भजन आदि ) गा रहे हैं या फ़िर इस क्षेत्र में अपनी किस्मत आजमाना चाहते हैं. कुलदीप जी ने जो बातें बतायीं वो आपके साथ बाँट रहा हूँ, एक बार फ़िर "आवाज़" के मध्यम से, तो गायक दोस्तो, नोट कर लीजिये कुछ अनमोल टिप्स : - ज़्यादातर बाल कलाकार अपने गुरू का रटवाया हुआ गाते हैं.गुरूजनों का दायित्व है कि वे इस बात का ख़ास ख़याल रखें कि क्या जो बच्चे को सिखाया जा रहा है, वह उसकी उम्र पर फ़बता है. - कविता/शायरी की समझ सबसे बड़ी चीज़ है.जब गा रहे हैं ' रंजिश ही सही दिल ही दुखाने के लिये आ’ तो ये जानना ज़र

" मैं निरंतर प्रयत्नशील हूँ, अभी बहुत कुछ सीखना है....", सुभोजित को है अपने संगीत पर विश्वास, आवाज़ पर इस हफ्ते का सितारा.

आवाज़ पर इस हफ्ते के हमारे सितारे हैं, मात्र १६ साल के एक बेहद प्रतिभाशाली संगीतकार - सुभोजित , जिनका पहला स्वरबद्ध किया गीत " आवारा दिल " बीते शुक्रवार आवाज़ पर ओपन हुआ और अत्याधिक सराहा गया. दमदम कैंट, कोलकत्ता के निवासी सुभोजित, ११ वीं कक्षा के छात्र हैं, और संगीत को ही अपनी जिंदगी, अपना कैरियर बनाना चाहते हैं। ९ साल की उम्र से ही सुभोजित ने पियानो से खेलना शुरू कर दिया था, तीसरी कक्षा में थे जब पहली बार सुरों को पिरोकर एक धुन बनायी, धुन तो बचकानी थी, पर जो धुन उसके बाद दिलो-दिमाग पर सवार हुई, वो कभी नही उतारी। मात्र १३ साल की उम्र थी, जब पहली "full fledge composition" बनायी, और तभी से सुभोजित ने यह जान लिया और मान लिया, कि वो संगीत ही है, जिसके लिए उनका जन्म हुआ है. तब से पढ़ाई के बाद जो भी समय उन्हें मिलता है, समर्पित कर देते हैं वो - अपने संगीत को। मोजार्ट, बीथोवन, यानी, और ऐ.आर.रहमान खूब सुनते हैं ये, और संगीत पर लिखी किताबें पढ़ने का शौक रखते हैं। शास्त्रीय संगीत को अपना आधार मानने वाले सुभोजित, पिछले दो सालों से हिन्दुस्तानी गायन में दीक्षा ले रहे हैं। माता-पि

झूमो रे, दरवेश...( भाग १ ), सूफी संगीत परम्परा पर एक विशेष श्रृंखला, अशोक पाण्डे की कलम से

सूफी संगीत यानी, स्वरलहरियों पर तैरकर जाना और ईश्वर रुपी समुंदर में विलीन हो जाना, सूफी संगीत यानी, "मै" का खो जाना और "तू" हो जाना, सदियों से रूह को सकून देते, सूफी संगीत पर "आवाज़" के संगीत विशेषज्ञ, और वरिष्ट ब्लॉगर, अशोक पाण्डे लेकर आए हैं, एक विशेष श्रृंखला, जिसका हर अंक हमें यकीं है, हमारे संगीत प्रेमियों के लिए, एक अनमोल धरोहर साबित होगा. प्रस्तुत है, इस श्रृंखला की पहली कड़ी आज, अशोक पाण्डे की कलम से..... सूफ़ीवाद के प्रवर्तकों में अग्रणी गिने जाने वाले तेरहवीं सदी के महान फ़ारसी कवि जलालुद्दीन रूमी एक जगह लिखते हैं: " मैंने चुपचाप आहें भरीं ताकि आने वाली कई सदियों तक दुनिया में मेरी 'हाय' प्रतिध्वनित होती रहे " विशेषज्ञों ने सूफ़ीवाद को परिभाषित करते हुए उसे एक ऐसा विज्ञान बताया है जिसका उद्देश्य हृदय का परिष्कार करते हुए उसे ईश्वर के अलावा हर दूसरी चीज़ से विरत करना होता है. एक दूसरी परिभाषा के अनुसार सूफ़ीवाद वह विज्ञान है जिसके माध्यम से हम सीख सकते हैं कि किस तरह ईश्वर की उपस्थिति में जीवन बिताते हुए अपने आन्तरिक व्यक्तित्व की अशुद