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"दस तोला" सोना लेकर आये गुलज़ार, सन्देश के साथ तो प्रीतम ने धमाल किया "गोलमाल" के साथ

ताज़ा सुर ताल ४३/२०१० सुजॊय - 'ताज़ा सुर ताल' के सभी चाहनेवालों को हमारा नमस्कार! सजीव जी, विश्व दीपक जी तो दीपावली की छुट्टियों में घर गए हुए हैं, और आशा है उन्होंने यह त्योहार बहुत अच्छी तरह से मनाया होगा। सजीव - सभी को मेरा भी नमस्कार, दीवाली अच्छी रही। और बॊलीवूड की यह रवायत रही है कि दीवाली में कोई ना कोई बड़ी बजट की फ़िल्म रिलीज़ होती आई है। इस परम्परा को बरकरार रखते हुए इस बार दीवाली की शान बनी है दो फ़िल्में - 'ऐक्शन रिप्ले' और 'गोलमाल-३'। सुजॊय - 'ऐक्शन रिप्ले' के गानें हमने पिछले हफ़्ते सुने थे, आज बारी 'गोलमाल-३' की। और साथ ही हम 'दस तोला' फ़िल्म के गीत भी सुनेंगे। शुरु करते हैं 'गोलमाल-३-' से। रोहित शेट्टी निर्देशित इस मल्टि-स्टारर फ़िल्म के मुख्य कलाकार हैं मिथुन चक्रवर्ती, अजय देवगन, करीना कपूर, अरशद वारसी, तुषार कपूर, श्रेयास तलपडे, कुणाल खेमू, रत्ना पाठक, जॊनी लीवर, संजय मिश्रा, व्रजेश हिरजी, अशिनी कल्सेकर, मुरली शर्मा और मुकेश तिवारी। फ़िल्म में गीत संगीत का ज़िम्मा उठाया है कुमार और प्रीतम ने। इस ऐल्बम के पह

संगीत समीक्षा : गुजारिश - संगीत निर्देशन में भी अव्वल साबित हुए संजय लीला भंसाली...तुराज़ के शब्दों ने रचा एक अनूठा संसार

दोस्तों आज टी एस टी मैं आप मुझे देखकर हैरान हो रहे होंगें, दरअसल सुजॉय छुट्टी पर हैं, और मैंने वी डी को पटा कर ये मौका ढूंढ लिया कि मैं आपको उस अल्बम के संगीत के बारे में बता सकूँ जिसने मेरे दिलो जेहन पर इन दिनों जादू सा कर दिया है. जब बात संगीत की चलती है, और जब कोई मुझसे पूछता है कि मुझे किस तरह का संगीत पसंद है तो मैं बड़ी उलझन में फंस जाता हूँ, क्योंकि मुझे लगभग हर तरह का संगीत पसंद आता है, पुराने, नए, शास्त्रीय, हिप होप, ग़ज़ल सभी कुछ तो सुनता हूँ मैं, फिर किसे कहूँ कि ये मुझे नापसंद नहीं....खैर पसंद भी कई तरह की होती है, कुछ गीतों के शब्द हमें भा जाते हैं (मसलन गुलाल) तो कुछ उसके खालिस संगीत संयोजन की वजह से मन को लुभा जाते (जैसे रोबोट और अजब प्रेम की गजब कहानी) हैं....हाँ पर ऐसी अल्बम्स तो मैं उँगलियों पे गिन सकता हूँ जिसने मुझे संगीत की सम्पूर्ण संतुष्ठी दी है. ऐसा संगीत जिसे सुन तन मन और आत्मा भी संतुष्ट हो जाए.....संजय लीला बंसाली एक ऐसे निर्देशक हैं, जिनकी फ़िल्में रुपहले पर्दे पर कविता लिखती है, वो शुद्ध भारतीय सोच के निर्देशक हैं जो बिना गीत संगीत के फिल्मों की कल्पना नहीं

दिल खोल के लेट्स रॉक....करण जौहर लाये हैं एक बार फिर "फैमिली" में शंकर एहसान लॉय के संगीत का तड़का

ताज़ा सुर ताल ३२/२०१० सुजॊय - नमस्कार! आप सभी को रक्षाबंधन की हार्दिक शुभकामनएँ और विश्व दीपक जी, आपको भी। विश्व दीपक - सभी श्रोताओं व पाठकों और सुजॉय, तुम्हे भी मेरी ओर से ढेरों शुभकमानाएँ! सुजॉय, रक्षाबंधन भाई बहन के प्यार का पर्व है। इस दिन बहन अपने भाई की कलाई पर राखी बाँधते हुए उसके सुरक्षा की कामना करती है और भाई भी अपनी बहन को ख़ुश रखने और उसकी रक्षा करने का प्रण लेता है। कुल मिलाकर पारिवारिक सौहार्द का यह त्योहार है। सुजॉय - जी हाँ, यह एक पारिवारिक त्योहार है और आपने परिवार, यानी फ़ैमिली का ज़िक्र छेड़ा तो मुझे याद आया कि पिछले हफ़्ते हमने वादा किया था कि इस हफ़्ते हम 'टी.एस.टी' में 'वी आर फ़ैमिली' के गानें सुनवाएँगे। तो लीजिए, रक्षाबंधन पर आप सभी अपने फ़मिली के साथ आनंद लीजिए इसी फ़िल्म के गानों का। आज छुट्टी का दिन है, आप सब के फ़ैमिली मेम्बर्स घर पर ही मौजूद होंगे, तो राखी पर्व की ख़ुशियाँ मनाइए 'वी आर फैमिली' के गीतों को सुनते हुए। विश्व दीपक - इससे पहले की फ़िल्म का पहला गाना सुनें, मैं यह बता दूँ कि यह धर्मा प्रोडक्शन्स यानी कि करण जोहर की निर्

जब हुस्न-ए-इलाही बेपर्दा हुआ वी डी, ऋषि और नए गायक श्रीराम के रूबरू

Season 3 of new Music, Song # 17 सूफी गीतों का चलन इन दिनों इंडस्ट्री में काफी बढ़ गया है. लगभग हर फिल्म में एक सूफियाना गीत अवश्य होता है. ऐसे में हमारे संगीतकर्मी भी भला कैसे पीछे रह सकते हैं. सूफी संगीत की रूहानियत एक अलग ही किस्म का आनंद लेकर आती है श्रोताओं के लिए, खास तौर पे जब बात हुस्न-ए-इलाही की तो कहने ही क्या. जिगर मुरादाबादी के कलाम को विस्तार दिया है विश्व दीपक तन्हा ने. दोस्तों गुलज़ार साहब इंडस्ट्री में इस फन के माहिर समझे जाते हैं. ग़ालिब, मीर आदि उस्ताद शायरों के शेरों को मुखड़े की तरह इस्तेमाल कर आगे एक मुक्कमल गीत में ढाल देने का काम बेहद खूबसूरती से अंजाम देते रहे हैं वो. हम ये दावे के साथ कह सकते हैं इस बार हमारे गीतकार उनसे इक्कीस नहीं तो उन्नीस भी नहीं हैं यहाँ. ऋषि ने पारंपरिक वाद्यों का इस्तेमाल कर सुर रचे हैं तो गर्व के साथ हम लाये हैं एक नए गायक श्रीराम को आपके सामने जो दक्षिण भारतीय होते हुए भी उर्दू के शब्दों को बेहद उ्म्दा अंदाज़ में निभाने का मुश्किल काम कर गए हैं इस गीत में. साथ में हैं श्रीविद्या, जो इससे पहले " आवारगी का रक्स " गा चुकी हैं हम

मुंबई है एक बार फिर फिल्म का विषय, और गैंगस्टरों की मारधाड के बीच भी है संगीत में मधुरता

ताज़ा सुर ताल २५/२०१० सुजॊय - सजीव, बहुत दिनों के बाद आप से इस 'टी.एस.टी' के स्तंभ में मुलाक़ात हो रही है। और बताइए, हाल में आपने कौन कौन सी नई फ़िल्में देखीं और आपके क्या विचार हैं उनके बारे में? सजीव - सुजॉय मैंने "काईट्स", "रावण" और "राजनीति" देखी. रावण और राजनीति मुझे पैसा वसूल लगी तो काईट्स उबाऊ. रावण बेशक चली नहीं पर जहाँ तक मेरा सवाल है मैं फिल्मों को सिर्फ कहानी के लिए नहीं देखता हूँ, मैं जिस मणि का कायल हूँ निर्देशन के लिए वही मणि "युवा" और "दिल से" के बाद मुझे यहाँ दिखे....जबरदस्त संगीत और छायाकारी है फिल्म की. राजनीति भी रणबीर और कंपनी के शानदार अभिनय के लिए देखी जा सकती है, बस मुझे कर्ण के पास कुंती के जाने वाला एपिसोड निरर्थक लगा, नाना पाटेकर हमेशा की तरह....सोलिड....खैर छोडो ये सब....आज का मेनू बताओ... सुजॊय - जैसे कि इस साल का सातवाँ महीना शुरु हो गया है, तो ऐसे में अगर हम पिछले ६ महीनों की तरफ़ अपनी नज़र घुमाएँ, तो आपको क्या लगता है कौन कौन से गीत उपरी पायदानों पर चल रहे हैं इस साल? मेरे सीलेक्शन कुछ इस तरह के

प्रीतम लाए हैं बदमाश कम्पनी वाली अय्याशी तो शंकर एहसान लॊय के साथ है धन्नो की हाउसफुल महफ़िल

ताज़ा सुर ताल १८/२०१० सुजॊय - विश्व दीपक जी, साल २०१० के चार महीने बीत चुके हैं, लेकिन मुझे ऐसा लगता है कि वह एक गीत अभी तक नहीं आ सका है जिसे इस साल का 'सॊंग ऒफ़ दि ईयर' कहा जा सकता हो। मेरे हिसाब से तो इस साल का संगीत कुछ ठंडा ठंडा सा चल रहा है। आपके क्या विचार हैं? विश्व दीपक - सुजॊय जी, मैं आपकी बात से एक हद तक सहमत हूँ। फिर भी मुझे न जाने क्यों "रावण" के "रांझा-रांझा" से ढेर सारी उम्मीदें हैं। अभी तक जितने भी गाने इस साल आए हैं, यह गाना मुझे सबसे ज्यादा पसंद है। आगे क्या होगा, यह कहा तो नहीं जा सकता, लेकिन बस चार महीने में 'सॊंग ऒफ़ दि ईयर' का निर्णय कर देना तो जल्दीबाजी हीं होगी। इसलिए धैर्य रखिए.... मुझे पूरा विश्वास है कि बाकी के आठ महीनों में कुछ न कुछ कमाल तो ज़रूर हीं होगा, नहीं तो रावण है हीं। खैर ये बताईये कि आज हम किस फिल्म या फिर किन फ़िल्मों के गानों की चर्चा करने जा रहे हैं। सुजॊय - आज हमने इस स्तंभ के लिए दो ऐसी फ़िल्मों के तीन-तीन गीत चुने हैं जो फ़िल्में हाल ही में प्रदर्शित हो चुकी हैं। ये दो फ़िल्में हैं 'बदमाश कंपनी' और

बुल्ले शाह के "रांझा-रांझा" को "रावण" के रंग में रंग दिया रहमान और गुलज़ार ने... साथ है "बीरा" भी

ताज़ा सुर ताल १६/२०१० सुजॊय - ताज़ा सुर ताल' के एक नए अंक के साथ हम सभी श्रोताओं व पाठकों का हार्दिक स्वागत करते हैं। पिछले हफ़्ते किसी कारण से 'टी.एस.टी' की यह महफ़िल सज नहीं पाई थी। दोस्तों, सजीव जी इन दिनों छुट्टियों के मूड में हैं, इसलिए आज मेरे साथ 'ताज़ा सुर ताल' में उनकी जगह पर हैं विश्व दीपक तन्हा जी। विश्व दीपक जी, वैसे तो आप 'आवाज़' में नए नहीं हैं, लेकिन इस स्तंभ में आप पहली बार मेरे साथ हैं। इसलिए मैं आपका स्वागत करता हूँ। विश्व दीपक - शुक्रिया सुजॊय जी! मुझे भी बेहद आनंद आ रहा है इस स्तंभ में शामिल हो कर। वैसे मैं एक बार आपकी अनुपस्थिति में फ़िल्म 'रण' के गीत संगीत की चर्चा कर चुका हूँ इसी स्तंभ में। इसलिए यह कह सकते हैं कि यह दूसरी मर्तबा है कि मैं इस स्तंभ में शामिल हूँ बतौर होस्ट और जिस तरह का सजीव जी का मूड है, उस हिसाब से मुझे लगता है कि अगले एक-डेढ महीने तक मैं आपके साथ रहूँगा। खैर यह बताईये कि आज किस फ़िल्म के संगीत की चर्चा करने का इरादा है? सुजॊय - देखिए इन दिनों जिन फ़िल्मों के प्रोमोज़ और गीतों की झलकियाँ दिखाई व सुनाई दे रहीं

राजेश रोशन के सुरों की डोर पर संगीत का आसमां छूती "काईट्स"

ताज़ा सुर ताल १५/२०१० सुजॊय - सजीव, कुछ निर्देशक और अभिनेता ऐसे हैं जिनकी फ़िल्मों का लोग बेसबरी से इंतज़ार करते हैं। ये कलाकार ना केवल बहुत कम फ़िल्में बनाते हैं, बल्कि हर फ़िल्म में कुछ नया इस फ़िल्म जगत को देते हैं। राकेश रोशन और उनके सुपुत्र हृतिक रोशन के फ़िल्मों का जो कारवाँ 'कहो ना प्यार है' की ज़बरदस्त कामयाबी से शुरु हुआ था, वह कारवाँ उसी कामयाबी की राह पर आगे बढ़ता हुआ, 'कोई मिल गया' और 'क्रिश' जैसी ब्लॊकबस्टर फ़िल्मों के पड़ाव से गुज़र कर अब एक और महत्वपूर्ण पड़ाव की ओर अग्रसर हो रहा है, जिस पड़ाव का नाम है 'काइट्स'। सजीव - 'काइट्स' की चर्चा काफ़ी समय से हो रही है और इस फ़िल्म से लोगों को बहुत सी उम्मीदें हैं। लेकिन इस फ़िल्म को राकेश रोशन ने ज़रूर प्रोड्युस किया है, लेकिन इस बार निर्देशन की बगडोर उन्होने अपने हाथ में नहीं लिया, बल्कि यह भार सौंपा गया 'लाइफ़ इन अ मेट्रो' और 'गैंगस्टर' जैसी सफल फ़िल्मों के निर्देशक अनुराग बासु को। सुजॊय - संगीत की बात करें तो अनुराग बासु की फ़िल्मों में अक्सर प्रीतम का ही संगीत होता है।