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गीत अतीत 28 || हर गीत की एक कहानी होती है || बखेड़ा / हंस मत पगली || विक्की प्रसाद || सिद्धार्थ गरिमा || सुखविंदर सिंह || सुनिधि चौहान || अक्षय कुमार

Geet Ateet 28 Har Geet Kii Ek Kahaani Hoti Hai... Bakheda Toilet Ek Prem Katha  Vickey Prasad Also featuring Sidharth-Garima, Sukhvinder Singh & Sunidhi Chauhan " जब मैंने अपनी नानी को देखा कि पिछले तीन चार साल में वो कुछ और बूढी हो गयीं है, तब मैंने अपने आप से पुछा कि अब नहीं तो कब ?...   " -    विक्की प्रसाद  टॉयलेट एक प्रेम कथा के माध्यम से एक ज़रूरी सन्देश दर्शकों तक पहुँचाने की कोशिश की गयी है, फिल्म की सफलता में फिल्म के मधुर संगीत का भी बड़ा योगदान है. युवा संगीतकार विक्की प्रसाद ने आजकल के चालू ट्रेंड से हटकर फिल्म की पृठभूमि के अनुसार इसके गीतों को रचा है, सुनते हैं विक्की प्रसाद से इसी फिल्म के दो सबसे लोकप्रिय गीत "बखेड़ा" और "हंस मत पगली" के बनने की कहानी. प्ले पर क्लिक करें और सुने अपने दोस्त अपने साथी सजीव सारथी के साथ आज का एपिसोड. डाउनलोड कर के सुनें  यहाँ  से.... सुनिए इन गीतों की कहानियां भी - ओ रे रंगरेज़ा (जॉली एल एल बी) मैनरलैस मजनूं (रंनिंग शादी डॉट कॉम) रंग (अरविन्द तिवारी, गैर फ़ि

गीत अतीत 01 || हर गीत की एक कहानी होती है || ओ रे रंगरेज़ा || जॉली एल एल बी || जुनैद वसी

Geet Ateet 01  Har Geet Kii Ek Kahaani Hoti Hai... O Re Ranreza - Jolly LLB Junaid Wasi - Lyricist बहुत दिनों बाद किसी फिल्म में एक बहुत ही दमदार सूफियाना कव्वाली सुनने को मिली है, फिल्म जौली एल एल बी 2 के इस गीत को स्वरबद्ध किया है फिल्म "नीरजा" से चर्चा में आये संगीतकार विशाल खुराना ने, सुखविंदर की दमदार आवाज़ ने इस कव्वाली को एक अलग ही बुलंदी दे दी है. शब्द लिखे हैं जुनैद वसी ने. शब्दों की बानगी देखिये ज़रा - " मैं हूँ माटी जग बाज़ार, तू कुम्हार है, मेरी कीमत क्या लगे सब तेरी मर्जी है, सुबह माथे तू ज़रा सा नूर जो मल दे, तो संवर जाए ये किस्मत इतनी अर्जी है.... " तो सुनते हैं इन्हीं शब्दों के जादूगर जुनैद वसी से इस गीत के बनने की कहानी....प्ले का बट्टन दबाएँ और आनंद लें.... डाउनलोड कर के सुनें यहाँ से....

"क्रूक" में कुमार के साथ तो "आक्रोश" में इरशाद कामिल के साथ मेलोडी किंग प्रीतम की जोड़ी के क्या कहने!!

ताज़ा सुर ताल ३८/२०१० सुजॊय - दोस्तों, नमस्कार, स्वागत है आप सभी का इस हफ़्ते के 'ताज़ा सुर ताल' में। विश्व दीपक जी, इस बार के लिए मैंने दो फ़िल्में चुनी हैं, और ये फ़िल्में हैं 'क्रूक' और 'आक्रोश'। विश्व दीपक - सुजॊय जी, क्या कोई कारण है इन दोनों को इकट्ठे चुनने के पीछे? सुजॊय - जी हाँ, मैं बस उसी पे आ रहा था। एक नहीं बल्कि दो दो समानताएँ हैं इन दोनों फ़िल्मों में। एक तो यह कि दोनों के संगीतकार हैं प्रीतम। और उससे भी बड़ी समानता यह है कि इन दोनों की कहानी दो ज्वलंत सामयिक विषयों पर केन्द्रित है। जहाँ एक तरफ़ 'क्रूक' की कहानी आधारित है हाल में ऒस्ट्रेलिया में हुए भारतीयों पर हमले पर, वहीं दूसरी तरफ़ 'आक्रोश' केन्द्रित है हरियाणा में आये दिन हो रहे ऒनर किलिंग्स की घटनाओं पर। विश्व दीपक - वाक़ई ये दो आज के दौर की दो गम्भीर समस्यायें हैं। तो शुरु किया जाए 'क्रूक' के साथ। मुकेश भट्ट निर्मित और मोहित सूरी निर्देशित 'क्रूक' के मुख्य कलाकार हैं इमरान हाश्मी, अर्जुन बजवा और नेहा शर्मा। प्रीतम का संगीत और कुमार के गीत। पहला गीत सुनते हैं

"तेरे मस्त-मस्त दो नैन" गाता हुआ हुड़हुड़ाता आ पहुँचा है एक दबंग, जिसके लिए मुन्नी भी बदनाम हो गई..

ताज़ा सुर ताल ३१/२०१० विश्व दीपक - 'ताज़ा सुर ताल' के इस अंक में हम सभी का स्वागत करते हैं। सुजॊय जी, अब ऐसा लगने लगा है कि साल २०१० के हिट गीतों की फ़ेहरिस्त ने रफ़्तार पकड़ ली है; एक के बाद एक फ़िल्म आती जा रही है और हर फ़िल्म का कोई ना कोई गीत ज़रूर हिट हो रहा है। सुजॊय - हिट गीतों की अगर बात करें तो कभी कभी कामयाब गीतों का फ़ॊरमुला फ़िल्मकारों और कुछ हद तक अभिनेता पर भी निर्भर करता है, ऐसा अक्सर देखा गया है। अब सलमान ख़ान को ही लीजिए, शायद ही उनका कोई फ़िल्म ऐसा होगा, जिसके गानें हिट ना हुए होंगे। वैसे तो उनकी फ़िल्में भी ख़ूब चलती हैं, लेकिन उनके फ़्लॊप फ़िल्मों के गानें भी कम से कम चल पड़ते हैं। विश्व दीपक - ठीक कहा, इसी साल उनकी फ़िल्म 'वीर' बॉक्स ऑफ़िस पर नाकामयाब रही, लेकिन फ़िल्म के गाने चल पड़े थे, ख़ास कर "सलाम आया" गीत तो बहुत पसंद किया गया। पिछले कुछ सालों से सलमान ख़ान की फ़िल्मों में साजिद-वाजिद संगीत दे रहे हैं। 'तेरे नाम' की अपार कामयाबी के बावजूद सल्लु मिया ने हिमेश रेशम्मिया से साजिद वाजिद पर स्विच-ओवर कर लिया था। पिछले साल '

बुल्ले शाह के "रांझा-रांझा" को "रावण" के रंग में रंग दिया रहमान और गुलज़ार ने... साथ है "बीरा" भी

ताज़ा सुर ताल १६/२०१० सुजॊय - ताज़ा सुर ताल' के एक नए अंक के साथ हम सभी श्रोताओं व पाठकों का हार्दिक स्वागत करते हैं। पिछले हफ़्ते किसी कारण से 'टी.एस.टी' की यह महफ़िल सज नहीं पाई थी। दोस्तों, सजीव जी इन दिनों छुट्टियों के मूड में हैं, इसलिए आज मेरे साथ 'ताज़ा सुर ताल' में उनकी जगह पर हैं विश्व दीपक तन्हा जी। विश्व दीपक जी, वैसे तो आप 'आवाज़' में नए नहीं हैं, लेकिन इस स्तंभ में आप पहली बार मेरे साथ हैं। इसलिए मैं आपका स्वागत करता हूँ। विश्व दीपक - शुक्रिया सुजॊय जी! मुझे भी बेहद आनंद आ रहा है इस स्तंभ में शामिल हो कर। वैसे मैं एक बार आपकी अनुपस्थिति में फ़िल्म 'रण' के गीत संगीत की चर्चा कर चुका हूँ इसी स्तंभ में। इसलिए यह कह सकते हैं कि यह दूसरी मर्तबा है कि मैं इस स्तंभ में शामिल हूँ बतौर होस्ट और जिस तरह का सजीव जी का मूड है, उस हिसाब से मुझे लगता है कि अगले एक-डेढ महीने तक मैं आपके साथ रहूँगा। खैर यह बताईये कि आज किस फ़िल्म के संगीत की चर्चा करने का इरादा है? सुजॊय - देखिए इन दिनों जिन फ़िल्मों के प्रोमोज़ और गीतों की झलकियाँ दिखाई व सुनाई दे रहीं

ऑस्कर जीत के बाद लौटे हैं रहमान मगर इस बार रंग है "ब्लू"

ताजा सुर ताल (24) ताजा सुर ताल में आज में आज सुनिए हिंदुस्तान की अब तक की सबसे महंगी फिल्म "ब्लू" का एक गुस्ताख गीत सुजॉय - सजीव, लगता है कि अब वह वक़्त आ गया है कि हमारे यहाँ भी पारंपरिक फ़िल्मी कहानियों से आगे निकलकर हॉलीवुड की तरह नए नए विषयों पर फ़िल्में बनने लगी हैं। सजीव - किस फ़िल्म की तरफ़ तुम्हारा इशारा है सुजॉय? सुजॉय - अक्षय कुमार की नई फ़िल्म 'ब्लू'। इस ऐक्शन फ़िल्म की कहानी केन्द्रित है समुंदर के नीचे छुपे हुए ख़ज़ाने की जिसकी रखवाली कर रहे हैं शार्क मछलियाँ। अमेरिकी लेखक जोशुआ लुरी और ब्रायान सुलिवन ने इस कहानी को लिखा है और गायिका कायली मिनोग ने भी अतिथी कलाकार के रूप में इस फ़िल्म में एक गीत गाया है जो उन्ही पर फ़िल्माया गया है। सजीव - हाँ, मैने भी सुना है इस फ़िल्म के बारे में। क्यों ना थोड़ी सी जानकारी और दी जाए इस फ़िल्म से संबंधित! कहानी ऐसी है कि सागर और सैम दो भाई हैं, जिन्हे गुप्तधन ढ़ूंढने का ज़बरदस्त शौक है। सागर की पत्नी मोना के साथ वे बहामा के लिए निकल पड़ते हैं समुंदर के २०० फ़ीट नीचे छुपे किसी ख़ज़ाने को ढ़ूंढने के लिए। लेकिन उनकी मुलाक

पतवार पहन जाना... ये आग का दरिया है....गीत संगीत के माध्यम से चेता रहे हैं विशाल और गुलज़ार.

ताजा सुर ताल (16) ता जा सुर ताल में आज पेश है फिल्म "कमीने" का एक थीम आधारित गीत. सजीव - मैं सजीव स्वागत करता हूँ ताजा सुर ताल के इस नए अंक में अपने साथी सुजॉय के साथ आप सब का... सुजॉय - सजीव क्या आप जानते हैं कि संगीतकार विशाल भारद्वाज के पिता राम भारद्वाज किसी समय गीतकार हुआ करते थे। जुर्म और सज़ा, ज़िंदगी और तूफ़ान, जैसी फ़िल्मों में उन्होने गानें लिखे थे.. सजीव - अच्छा...आश्चर्य हुआ सुनकर.... सुजॉय - हाँ और सुनिए... विशाल का ज़िंदगी में सब से बड़ा सपना था एक क्रिकेटर बनने का। उन्होप्ने 'अंडर-१९' में अपने राज्य को रीप्रेज़ेंट भी किया था। हालाँकि उनके पिता चाहते थे कि विशाल एक संगीतकार बने, उन्होने अपने बेटे को क्रिकेट खेलने से नहीं रोका। सजीव - ठीक है सुजॉय मैं समझ गया कि आज आप विशाल की ताजा फिल्म "कमीने" से कोई गीत श्रोताओं को सुनायेंगें, तभी आप उनके बारे में गूगली सवाल कर रहे हैं मुझसे....चलिए इसी बहाने हमारे श्रोता भी अपने इस प्रिय संगीतकार को करीब से जान पायेंगें...आप और बताएं ... सुजॉय - जी सजीव, जाने माने गायक और सुर साधक सुरेश वाडकर ने विशाल

खुदाया तूने कैसे ये जहां सारा बना डाला.....गुलाम अली की मार्फ़त पूछ रहे हैं आनंद बख्शी

महफ़िल-ए-ग़ज़ल #३७ दि शा जी की पसंद की दूसरी गज़ल लेकर आज हाज़िर हैं हम। आज के अंक में जो गज़ल हम आप सबको सुनवाने जा रहे हैं वह वास्तव में तो एक फिल्म से ली हुई है लेकिन हमारे आज के फ़नकार ने इस गज़ल को मंच से इतनी बार पेश किया है कि लोग अब इसे गैर-फ़िल्मी गज़ल मानने लगे हैं। इस गज़ल की गुत्थी इतनी उलझी हुई है कि एकबारगी तो हमें भरोसा हीं नहीं हुआ कि इसे माननीय अनु मलिक साहब ने संगीतबद्ध किया होगा। फिर हमने अंतर्जाल की खाक छान दी ताकि हमें वास्तविक संगीतकार की जानकारी मिल जाए। ज्यादातर जगहों पर अनु मलिक का हीं नाम था ,लेकिन कुछ लोग अब भी यह दावा करते हैं कि इसे गुलाम अली(हमारे आज के फ़नकार) ने खुद हीं संगीतबद्ध किया है। वैसे हमारी खोज को तब विराम मिला जब गुलाम अली साहब का एक साक्षात्कार हमारे हाथ लगा। उन्होंने उस साक्षात्कार में स्वीकार किया है कि इस गज़ल में संगीत अनु मलिक का हीं है। स्क्रीन इंडिया के एक इंटरव्यू में उनसे जब यह पूछा गया कि अनु मलिक का कहना है कि महेश भट्ट की फ़िल्म "आवारगी" की एक गज़ल "चमकते चाँद को टूटा हुआ तारा बना बैठा" को उन्होंने हीं कम्पोज़

आजा आजा दिल निचोड़े....लौट आई है गुलज़ार और विशाल की जोड़ी इस जबरदस्त गीत के साथ

ताजा सुर ताल (9) ब रसों पहले मनोज कुमार की फिल्म आई थी- "रोटी कपडा और मकान", यदि आपको ये फिल्म याद हो तो यकीनन वो गीत भी याद होगा जो जीनत अमान पर फिल्माया गया था- "हाय हाय ये मजबूरी...". लक्ष्मीकांत प्यारेलाल थे संगीतकार और इस गीत की खासियत थी वो सेक्सोफोन का हौन्टिंग पीस जो गीत की मादकता को और बढा देता है. उसी पीस को आवाज़ के माध्यम से इस्तेमाल किया है विशाल भारद्वाज ने फिल्म "कमीने" के 'धन ताना न" गीत में जो बज रहा है हमारे ताजा सुर ताल के आज के अंक में. पर जो भी समानता है उपरोक्त गीत के साथ वो बस यहीं तक खत्म हो जाती है. जैसे ही बीट्स शुरू होती है एक नए गीत का सृजन हो जाता है. गीत थीम और मूड के हिसाब से भी उस पुराने गीत के बेहद अलग है. दरअसल ये धुन हम सब के लिए जानी पहचानी यूं भी है कि आम जीवन में भी जब हमें किसी को हैरत में डालना हो या फिर किसी बड़े राज़ से पर्दा हटाना हो, या किसी को कोई सरप्राईस रुपी तोहफा देना हो, तो हम भी इस धुन का इस्तेमाल करते है, हमारी हिंदी फिल्मों में ये पार्श्व संगीत की तरह खूब इस्तेमाल हुआ है, शायद यही वजह है कि इस ध

"हौले हौले" से "जय हो"...- सुखविंदर सिंह का जलवा

सुनिए गोल्डन ग्लोब के लिए नामांकित फ़िल्म स्लमडोग मिलनिअर का जबरदस्त गीत "जय हो..." आवाज़ के टीम और श्रोताओं ने मिल कर जिस गीत को साल २००८ का सरताज गीत चुना वो है फ़िल्म "रब ने बना दी जोड़ी" का "हौले हौले..." . हौले हौले से जादू बिखेरने वाले इस गीत को गाया है "छैयां छैयां" से रातों रातों सुपर सिंगर बने सुखविंदर सिंह ने. तब से अब तक हर साल सुखविंदर अपने किसी न किसी गीत के माध्यम से टॉप सूची में रहते ही हैं. जहाँ इसी साल फ़िल्म टशन में उनका गाया "दिल हारा रे..." भी हमारी सूची में अपनी जगह बनने में कामियाब रहा वही बीते सालों पर नज़र डालें तो "दर्द-ऐ-डिस्को", "चक दे इंडिया" और ओमकारा के शीर्षक गीत के अलावा इसी फ़िल्म का "बीडी जलाई ले" खासा लोकप्रिय हुआ था. पर कई मायनों में अगर हम देखें तो "हौले हौले" उनकी परिचित शैली से बिल्कुल अलग तरह का गीत है और पहली बार सुनने पर यकीं ही नही होता कि ये वाकई सुखविंदर का गीत है. और अब हॉलीवुड के सबसे बड़े निर्देशक स्टीवन स्पीलबर्ग की फ़िल्म के लिए भी वो गा रहे हैं. ख

सरताज गीत 2008 - आवाज़ की वार्षिक गीतमाला में

वर्ष 2008 के श्रेष्ट 50 फिल्मी गीत (हिंद युग्म के संगीत प्रेमियों द्वारा चुने हुए),पायदान संख्या 10 से 01 तक पिछले अंक में हम आपको 20वें पायदान से 11वें पायदान तक के गीतों से रूबरू करा चुके हैं। उन गीतों का दुबारा आनंद लेने के लिए यहाँ जाएँ। 10वें पायदान - है गुजारिश - फ़िल्म गजिनी अगर इस गीत को आप ध्यान से सुनें तो तो शुरू में और बीच बीच में एक गुनगुनाहट (हम्मिंग) सुनाई देती है, जो सोनू निगम की याद दिलाते हैं, जी हाँ ये हिस्सा सोनू ने ही गाया है, दरअसल इस धुन पर रहमान ने एक गीत बनाया था जिसे सोनू की आवाज़ में रिकॉर्ड किया गया था, पर अफ़सोस वो फ़िल्म नही बन पायी, जब फ़िल्म गजिनी के लिए इसी धुन पर जब प्रसून ने नए शब्द बिठाये, तब सोनू को फ़िर तलब किया गया, पर निगम उन दिनों विदेश में होने के कारण रिकॉर्डिंग के लिए उपलब्ध नही हो पाये तो रहमान ने जावेद अली से गीत को मुक्कमल करवाया पर हम्मिंग सोनू वाली (जो मूल गाने में थी) ही उन्होंने रहने दी. यकीं न हो गीत दुबारा सुनें. 9वें पायदान - इन लम्हों के दामन में - फ़िल्म -जोधा अकबर एक बार रहमान का जादू है यहाँ, कितना खूबसूरत है ये गाना ये आप सुनकर