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"मैं हूँ ख़ुशरंग हिना" - फ़िल्म इतिहास में कोई रंग नहीं राज कपूर की फ़िल्मों के बिना

एक गीत सौ कहानियाँ - 31   ‘ मैं हूँ ख़ुशरंग हिना... ’ 'रेडियो प्लेबैक इण्डिया' के सभी श्रोता-पाठकों को सुजॉय चटर्जी का प्यार भरा नमस्कार! दोस्तों, हम रोज़ाना रेडियो पर, टीवी पर, कम्प्यूटर पर, और न जाने कहाँ-कहाँ, जाने कितने ही गीत सुनते हैं, और गुनगुनाते हैं। ये फ़िल्मी नग़में हमारे साथी हैं सुख-दुख के, त्योहारों के, शादी और अन्य अवसरों के, जो हमारी ज़िन्दगियों से कुछ ऐसे जुड़े हैं कि इनके बिना हमारी ज़िन्दगी बड़ी ही सूनी और बेरंग होती। पर ऐसे कितने गीत होंगे जिनके बनने की कहानियों से, उनसे जुड़ी दिलचस्प क़िस्सों से आप अवगत होंगे? बहुत कम, है न? कुछ जाने-पहचाने, और कुछ कम सुने फ़िल्मी गीतों की रचना प्रक्रिया, उनसे जुड़ी दिलचस्प बातें, और कभी-कभी तो आश्चर्य में डाल देने वाले तथ्यों की जानकारियों को समेटता है 'रेडियो प्लेबैक इण्डिया' का यह साप्ताहिक स्तम्भ 'एक गीत सौ कहानियाँ'। इसकी 31वीं कड़ी में आज जानिये फ़िल्म 'हिना' के लोकप्रिय शीर्षक गीत "मैं हूँ ख़ुशरंग हिना" के बारे में। रा ज कपूर न केवल एक फ़िल्मकार थे, संगीत की समझ भी उनमें उतन

"आप जैसा कोई मेरी ज़िन्दगी में आये...", सच में नाज़िया और बिद्दु ने बात बना दी थी इस गीत में

एक गीत सौ कहानियाँ - 30   'आप जैसा कोई मेरी ज़िन्दगी में आये तो बात बन जाये...'  'रेडियो प्लेबैक इण्डिया' के सभी श्रोता-पाठकों को सुजॉय चटर्जी का प्यार भरा नमस्कार। दोस्तों, हम रोज़ाना रेडियो पर, टीवी पर, कम्प्यूटर पर, और न जाने कहाँ-कहाँ, जाने कितने ही गीत सुनते हैं, और गुनगुनाते हैं। ये फ़िल्मी नग़में हमारे साथी हैं सुख-दुख के, त्योहारों के, शादी और अन्य अवसरों के, जो हमारी ज़िन्दगियों से कुछ ऐसे जुड़े हैं कि इनके बिना हमारी ज़िन्दगी बड़ी ही सूनी और बेरंग होती। पर ऐसे कितने गीत होंगे जिनके बनने की कहानियों से, उनसे जुड़ी दिलचस्प क़िस्सों से आप अवगत होंगे? बहुत कम, है न? कुछ जाने-पहचाने, और कुछ कम सुने फ़िल्मी गीतों की रचना प्रक्रिया, उनसे जुड़ी दिलचस्प बातें, और कभी-कभी तो आश्चर्य में डाल देने वाले तथ्यों की जानकारियों को समेटता है 'रेडियो प्लेबैक इण्डिया' का यह साप्ताहिक स्तम्भ 'एक गीत सौ कहानियाँ'। इसकी 30वीं कड़ी में आज जानिये फ़िल्म 'क़ुर्बानी' के गीत "आप जैसा कोई मेरी ज़िन्दगी में आये..." के बारे में। नाज़िया

"गोरी हैं कलाइयाँ" -- यही था उस साल का सर्वश्रेष्ठ गीत; जानिये कुछ बातें इस गीत से जुड़े...

एक गीत सौ कहानियाँ - 29   ‘ गोरी हैं कलाइयाँ, तू ला दे मुझे हरी-हरी चूड़ियाँ... ’ 'रेडियो प्लेबैक इण्डिया' के सभी श्रोता-पाठकों को सुजॉय चटर्जी का प्यार भरा नमस्कार! दोस्तों, हम रोज़ाना रेडियो पर, टीवी पर, कप्यूटर पर, और न जाने कहाँ-कहाँ, जाने कितने ही गीत सुनते हैं, और गुनगुनाते हैं। ये फ़िल्मी नग़में हमारे साथी हैं सुख-दुख के, त्योहारों के, शादी और अन्य अवसरों के, जो हमारी ज़िन्दगियों से कुछ ऐसे जुड़े हैं कि इनके बिना हमारी ज़िन्दगी बड़ी ही सूनी और बेरंग होती। पर ऐसे कितने गीत होंगे जिनके बनने की कहानियों से, उनसे जुड़ी दिलचस्प क़िस्सों से आप अवगत होंगे? बहुत कम, है न? कुछ जाने-पहचाने, और कुछ कमसुने फ़िल्मी गीतों की रचना प्रक्रिया, उनसे जुड़ी दिलचस्प बातें, और कभी-कभी तो आश्चर्य में डाल देने वाले तथ्यों की जानकारियों को समेटता है 'रेडियो प्लेबैक इण्डिया' का यह साप्ताहिक स्तंभ 'एक गीत सौ कहानियाँ'। इसकी 29-वीं कड़ी में आज जानिये फ़िल्म 'आज का अर्जुन' के गीत "गोरी हैं कलाइयाँ" के बारे में ...  बप्पी दा और लता जी ब प

साहिर और रोशन की अनूठी जुगलबंदी से बनी ये नायाब कव्वाली

खरा सोना गीत - निगाहें मिलाने को जी चाहता है  प्रस्तोता - रचिता टंडन  स्क्रिप्ट - सुजॉय चट्टर्जी  प्रस्तुति - संज्ञा टंडन 

होली के रंगों के साथ वापसी 'एक गीत सौ कहानियाँ' की...

एक गीत सौ कहानियाँ - 24   ‘मोहे पनघट पे नन्दलाल छेड़ गयो रे...’ हम रोज़ाना न जाने कितने ही गीत सुनते हैं, और उन्हें गुनगुनाते हैं। पर ऐसे बहुत कम ही गीत होंगे जिनके बनने की कहानी से हम अवगत होंगे। फ़िल्मी गीतों की रचना प्रक्रिया, उनसे जुड़ी दिलचस्प बातें, और कभी-कभी आश्चर्य में डाल देने वाले तथ्यों की जानकारियों को समेटता है 'रेडियो प्लेबैक इण्डिया' का साप्ताहिक स्तम्भ 'एक गीत सौ कहानियाँ'। एक लम्बे अन्तराल के बाद आज से इस स्तम्भ का पुन: शुभारम्भ हो रहा है। आज इसकी 24-वीं कड़ी में जानिये फ़िल्म 'मुग़ल-ए-आज़म' के गीत "मोहे पनघट पे नन्दलाल छेड़ गयो रे..." के बारे में...  'मु ग़ल-ए-आज़म', 1960 की सर्वाधिक चर्चित फ़िल्म। के. आसिफ़ निर्देशित इस महत्वाकांक्षी फ़िल्म की नीव सन् 1944 में रखी गयी थी। दरअसल बात ऐसी थी कि आसिफ़ साहब ने एक नाटक पढ़ा। उस नाटक की कहानी शाहंशाह अकबर के राजकाल की पृष्ठभूमि में लिखी गयी थी। कहानी उन्हें अच्छी लगी और उन्होंने इस पर एक बड़ी फ़िल्म बनाने की सोची। लेकिन उन्हें उस वक़्त यह अन्दाज़ा भी नहीं हुआ होगा कि उनके इस

सुर, स्वर ओर शब्दों का अनूठा मेल है ये युगल गीत

खरा सोना गीत # तेरे सुर ओर मेरे गीत  प्रस्तोता - रचेता टंडन स्क्रिप्ट - सुजॉय चट्टर्जी प्रस्तुति - संज्ञा टंडन 

भटियाली संगीत की मिठास बर्मन दा के साथ

खरा सोना गीत # सुन मेरे बंधू रे  प्रस्तोता - दीप्ती सक्सेना स्क्रिप्ट - सुजॉय चट्टर्जी प्रस्तुति - संज्ञा टंडन 

किशोर के इस खिलंदड अंदाज़ का कोई सानी नहीं

खरा सोना गीत : इना मीना डीका प्रस्तोता - लिंटा मनोज  स्क्रिप्ट - सुजॉय चट्टर्जी  प्रस्तुति - संज्ञा टंडन 

जब वहीदा रहमान ने यादगार बना डाला इस गीत को

खरा सोना गीत : बदले बदले से मेरे सरकार नज़र आते हैं... प्रस्तोता  : अंतरा चक्रवर्ती  स्क्रिप्ट : सुजॉय चट्टर्जी  प्रस्तुति : संज्ञा टंडन