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चित्रकथा - 54: अभिनेत्री सुप्रिया चौधरी और उनकी तीन हिन्दी फ़िल्में

अंक - 54 सुप्रिया चौधरी और उनकी तीन हिन्दी फ़िल्में "जिन रातों की भोर नहीं है..." रेडियो प्लेबैक इण्डिया’ के सभी श्रोता-पाठकों को सुजॉय चटर्जी का प्यार भरा नमस्कार! स्वागत है आप सभी का ’चित्रकथा’ स्तंभ में। समूचे विश्व में मनोरंजन का सर्वाधिक लोकप्रिय माध्यम सिनेमा रहा है और भारत कोई व्यतिक्रम नहीं। सिनेमा और सिने-संगीत, दोनो ही आज हमारी ज़िन्दगी के अभिन्न अंग बन चुके हैं। ’चित्रकथा’ एक ऐसा स्तंभ है जिसमें हम लेकर आते हैं सिनेमा और सिनेमा-संगीत से जुड़े विषय। श्रद्धांजलि, साक्षात्कार, समीक्षा, तथा सिनेमा के विभिन्न पहलुओं पर शोधालेखों से सुसज्जित इस साप्ताहिक स्तंभ की आज 54-वीं कड़ी है। 26 जनवरी 2018 को बांग्ला सिनेमा की सुप्रसिद्ध अभिनेत्री सुप्रिया देवी (सुप्रिया चौधरी) का 86 वर्ष की आयु में निधन हो गया। पद्मश्री, बंग-विभूषण, फ़िल्मफ़ेयर, BFJA आदि पुरस्कारों से सम्मानित सुप्रिया देवी की यादगार बांग्ला फ़िल्मों में उल्लेखनीय नाम हैं ’आम्रपाली’, ’मेघे ढाका तारा’, ’सुनो बरनारी’, ’कोमल गंधार’, ’स्वरलिपि’, ’तीन अध्याय’, ’संयासी राजा’ और ’सिस्टर’ जैसी का

चित्रकथा - 53: पंचम के दो महारथियों का निधन

अंक - 53 पंचम के दो संगीत महारथियों का निधन पंडित उल्हास बापट और अमृतराव काटकर  रेडियो प्लेबैक इण्डिया’ के सभी श्रोता-पाठकों को सुजॉय चटर्जी का प्यार भरा नमस्कार! स्वागत है आप सभी का ’चित्रकथा’ स्तंभ में। समूचे विश्व में मनोरंजन का सर्वाधिक लोकप्रिय माध्यम सिनेमा रहा है और भारत कोई व्यतिक्रम नहीं। सिनेमा और सिने-संगीत, दोनो ही आज हमारी ज़िन्दगी के अभिन्न अंग बन चुके हैं। ’चित्रकथा’ एक ऐसा स्तंभ है जिसमें हम लेकर आते हैं सिनेमा और सिनेमा-संगीत से जुड़े विषय। श्रद्धांजलि, साक्षात्कार, समीक्षा, तथा सिनेमा के विभिन्न पहलुओं पर शोधालेखों से सुसज्जित इस साप्ताहिक स्तंभ की आज 53-वीं कड़ी है। 4 जनवरी 2018 को सुप्रसिद्ध संतूर वादक पंडित उल्हास बापट और 15 जनवरी 2018 को फ़िल्मी गीतों में रेसो रेसो वाद्य के भीष्म पितामह व जाने-माने संगीत संयोजक व वादक श्री अमृतराव काटकर का निधन हो गया। संयोग की बात है कि इन दोनों संगीत महारथियों ने संगीतकार राहुल देव बर्मन के साथ लम्बा सफ़र तय किया, और उससे भी आश्चर्य की बात यह है कि 4 जनवरी को राहुल देव बर्मन की भी पुण्यतिथि है। इस दु

चित्रकथा - 52: वर्ष 2017 के श्रेष्ठ फ़िल्मी गीत

अंक - 52 वर्ष 2017 के श्रेष्ठ फ़िल्मी गीत "मैं फिर भी तुमको चाहूंगा..."  ’रेडियो प्लेबैक इन्डिया’ के सभी श्रोता-पाठकों को सुजॉय चटर्जी का प्यार भरा नमस्कार! मित्रों, आज मेरी और आपकी यह मुलाक़ात वर्ष 2018 की पहली मुलाक़ात है, इसलिए सबसे पहले मैं आप सभी को नववर्ष 2018 की हार्दिक शुभकमानाएँ देता हूँ, और ईश्वर से प्रार्थना करता हूँ कि यह वर्ष आप सभी के जीवन में सफलता, उत्तर स्वास्थ्य और ख़ुशियाँ ले आए। वर्ष 2017 के समाप्त होते ही ’चित्रकथा’ का भी एक वर्ष पूरा हो गया। मुझे बेहद ख़ुशी है कि आप सभी को यह स्तंभ पसंद आया और समय-समय पर अपनी मूल्यवान प्रतिक्रियाओं से इस स्तंभ को और भी बेहतर बनाने के लिए मेरा हौसला अफ़ज़ाई किया। मैं आपको आश्वस्त करता हूँ कि वर्ष 2018 में भी इस स्तंभ में आप बहुत से रोचक लेख पढ़ पाएंगे जो फ़िल्म और फ़िल्म-संगीत के अलग अलग पहलुयों को उजागर करेंगे। लेकिन आज ’चित्रकथा’ की इस साल की पहली कड़ी में हम ज़रा पीछे मुड़ कर देखना चाहेंगे। 2017 में प्रकाशित ’चित्रकथा’ के अंकों पर ग़ौर किया जाए तो हम पाएंगे कि इन्हें हम चार भागों में बाँट सकते हैं। पहल

चित्रकथा - 50: 2017 के सितंबर से दिसंबर तक के प्रदर्शित फ़िल्मों का संगीत

अंक - 50 2017 के सितंबर से दिसंबर तक के प्रदर्शित फ़िल्मों का संगीत "दिल दियां गल्लां..."  ’रेडियो प्लेबैक इण्डिया' के सभी श्रोता-पाठकों को सुजॉय चटर्जी का प्यार भरा नमस्कार। 2017 में अब बस एक सप्ताह शेष बचा है। देखते देखते न जाने कितनी जल्दी बीत जाते हैं ये साल, और साल के अन्त में जब हम पीछे मुड़ कर देखते हैं तो न जाने कितनी यादें याद आ जाती हैं। फ़िल्म और फ़िल्म-संगीत की अगर बात करें तो हर वर्ष की तरह इस वर्ष भी बहुत सी फ़िल्में बनी और इन फ़िल्मों के लिए बहुत सारे गाने भी बने। वर्ष के प्रथम आठ महीनों के फ़िल्म-संगीत की समीक्षा ’चित्रकथा’ में हम कर चुके हैं और आपने भी ज़रूर पढ़े होंगे। अब आज इस वर्ष के इस अन्तिम ’चित्रकथा’ में आइए आज जल्दी से नज़र दौड़ा लें सितंबर से लेकर दिसंबर तक के प्रदर्शित होने वाले महत्वपूर्ण फ़िल्मों के गीत-संगीत पर। ’चित्रकथा’ का यह स्वर्ण-जयन्ती अंक आज के दौर के प्रतिभाशाली युवा संगीत कलाकारों के नाम!  सि तंबर के पहले सप्ताह, या यूं कहें कि पहली ही तारीख़ को दो महत्वपूर्ण फ़िल्में रिलीज़ हुईं - ’बा

चित्रकथा - 49: फ़िल्मी गीतों में मुहावरों का प्रयोग

अंक - 49 फ़िल्मी गीतों में मुहावरों का प्रयोग "ये मुँह और मसूर की दाल..."  भाषा को सुन्दर बनाने के लिए, उसे अलंकृत करने के लिए कई उपाय हैं। विभिन्न अलंकारों, उपमाओं, कहावतों और मुहावरों से भाषा, काव्य और साहित्य की सुन्दरता बढ़ती है। इनसे हमारे फ़िल्मी गीत भी बच नहीं सके। ’चित्रकथा’ के पुराने एक अंक में हमने गुलज़ार के लिखे गीतों में विरोधाभास अलंकार की चर्चा की थी। आज हम लेकर आए हैं उन फ़िल्मी गीतों की बातें जिनमें हिन्दी के मुहावरों का प्रयोग हुआ है। हम यह दावा नहीं करते कि हमने सभी मुहावरों वाले गीतों को खोज निकाला है, पर हाँ, कोशिश ज़रूर की है ज़्यादा से ज़्यादा मुहावरों को चुनने की जिन्हें फ़िल्मी गीतों में जगह मिली है। और हमारे इस लेख को समृद्ध करने में सराहनीय योगदान मिला है श्री प्रकाश गोविन्द के ब्लॉग से, जिसमें इस तरह के मुहावरे वाले गीतों की एक फ़ेहरिस्त उन्होंने तैयार की है श्रीमती अल्पना वर्मा और श्रीमती इन्दु पुरी गोस्वामी के सहयोग से। तो प्रस्तुत है आज के ’चित्रकथा’ में लेख - ’फ़िल्मी गीतों में मुहावरों का प्रयोग’।