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Showing posts with the label songs reviews

लाईफ बहुत सिंपल है....वाकई अमोल गुप्ते और हितेश सोनी के रचे इन गीतों सुनकर आपको भी यकीन हो जायेगा

Taaza Sur Taal (TST) - 16/2011 - STANLEY KA DABBA दोस्तों मुझे यकीन है कि "तारे ज़मीन पर" आपकी पसंदीदा फिल्मों में से एक होगी. अगर हाँ तो आप ये भी जानते होंगें कि इस फिल्म के निर्देशक पहले अमोल गुप्ते नियुक्त हुए थे, बाद में कुछ कारणों के चलते अमोल, अमीर से अलग हो गए और अमीर ने खुद फिल्म का निर्देशन किया. पर ये भी सच है कि उस फिल्म में अमोल का योगदान एक लेखक से बहुत कुछ अधिक था, जाहिर है जब उस अमोल की खुद निर्देशित फिल्म आये और उसमें भी बच्चों की ही प्रमुख भूमिकाएं हो तो उम्मीदें बेहद बढ़ जाती है. "तारे ज़मीन पर" में संगीत था शंकर एहसान लॉय की तिकड़ी का और कुछ गीत तो फिल्म के ऐसे थे कि आने वाले कई दशकों तक श्रोताओं को याद रहेंगें. मगर अमोल ने अपनी फिल्म "स्टेनली का डब्बा" के लिए चुना संगीतकार हितेश सोनिक को, और गीतकार की भूमिका खुद उठाने की सोची. हितेश अब तक पार्श्व संगीत के लिए जाने जाते थे और अनुराग कश्यप विशाल भारद्वाज जैसे बड़े संगीतकारों के साथ काम कर चुके है. बतौर स्वतंत्र संगीतकार ये उनकी पहली फिल्म है. बहरहाल हम आते हैं इस अल्बम के गीतों पर. दरअसल

बेहद प्रयोगधर्मी है शोर इन द सिटी का संगीत

Taaza Sur Taal (TST) - 10/2011 - Shor In The City 'ताज़ा सुर ताल' के सभी पाठकों को सुजॉय चटर्जी का नमस्कार! पिछले कई हफ़्तों से 'टी.एस.टी' में हम ऐसी फ़िल्मों की संगीत समीक्षा प्रस्तुत कर रहे हैं जो लीक से हटके हैं। आज भी एक ऐसी ही फ़िल्म को लेकर हाज़िर हुए हैं, जो २०१० में पुसान अंतर्राष्ट्रीय फ़िल्म महोत्सव और दुबई अंतर्राष्ट्रीय फ़िल्म महोत्सव के लिए मनोनीत हुई थी। इस फ़िल्म के लिये निर्देशक राज निदिमोरु और कृष्णा डी.के को सर्वश्रेष्ठ निर्देशक का पुरस्कार भी मिला न्यु यॉर्क के MIAAC में। वैसे भारत के सिनेमाघरों में यह फ़िल्म २८ अप्रैल को प्रदर्शित हो रही है। शोभा कपूर व एकता कपूर निर्मित इस फ़िल्म का शीर्षक है 'शोर इन द सिटी'। 'शोर इन द सिटी' तुषार कपूर, सेन्धिल रामामूर्ती, निखिल द्विवेदी, पितोबश त्रिपाठी, संदीप किशन, गिरिजा ओक, प्रीति देसाई, राधिका आप्टे और अमित मिस्त्री के अभिनय से सजी है। फ़िल्म का पार्श्वसंगीत तैयार किया है रोशन मचाडो नें। फ़िल्म के गीतों का संगीत सचिन-जिगर और हरप्रीत नें तैयार किया हैं। हरप्रीत के दो गीत उनकी सूफ़ी संकलन 'तेरी जुस्तजू

मस्ती, धमाल और धूम धडाके में "शीला की जवानी" का पान....यानी तीस मार खान

टी एस टी यानी ताज़ा सुर ताल में आज हम हाज़िर हैं इस वर्ष की अंतिम बड़ी फिल्म “तीस मार खान” के संगीत का जिक्र लेकर. फराह खान ने नृत्य निर्देशिका के रूप में शुरूआत की थी और निर्देशिका बनने के बाद तो उन्होंने जैसे कमियाबी के झंडे ही गाढ़ दिए. “मैं हूँ न” और “ओम शांति ओम” जैसी सुपर डुपर हिट फिल्म देने वाली ये सुपर कामियाब निर्देशिका अब लेकर आयीं हैं – तीस मार खान. जाहिर है उम्मीदे बढ़ चढ़ कर होंगीं इस फिल्म से भी. पहली दो फिल्मों में शाहरुख खान के साथ काम करने वाली फराह ने इस बार चुना है अक्षय कुमार को और साथ में है कटरीना कैफ. संगीत है विशाल शेखर का और अतिथि संगीतकार की भूमिका में हैं शिरीष कुंदर जो फराह के पतिदेव भी हैं और अक्षय –सलमान को लेकर “जानेमन” जैसी फिल्मों का निर्देशन भी कर चुके हैं. अल्बम की शुरूआत होती है शिशिर के ही गीत से जो कि फिल्म का शीर्षक गीत भी है. इस गीत में यदि आप लचर शब्दों को छोड़ दें तो तीन ऐसी बातें हैं जो इस गीत को तुरंत ही एक हिट बना सकता है. पहला है सोनू की बहुआयामी आवाज़ का जलवा. पता नहीं कितनी तरह की आवाजों में उन्होनें इस गीत गाया है और क्या जबरदस्त अंजाम

जी जान से खेले सोहेल सेन आशुतोष के लिए इस बार और साथ मिला जावेद साहब की अनुभवी कलम का

ताज़ा सुर ताल 45/2010 सुजॊय - 'ताज़ा सुर ताल' के सभी श्रोताओं व पाठकों को मेरा नमस्कार और सजीव जी, आपको भी। सजीव - आप सभी को मेरा भी नमस्कार और सुजॊय, तुम्हे भी। आज हम एक पीरियड फ़िल्म के गानें सुनने जा रहे हैं। आशुतोष गोवारिकर एक ऐसे फ़िल्मकार हैं जो पीरियड फ़िल्मों के निर्माण के लिए जाने जाते हैं। 'लगान' और 'जोधा अकबर' इस जौनर में आते हैं। और 'स्वदेस' में उन्होंने बहुत अच्छा संदेश पहुँचाया था इस देश के युवाओं को। और अब वो लेकर आ रहे हैं 'खेलें हम जी जान से'। आज इसी फ़िल्म और इसके गीत संगीत का ज़िक्र। सुजॊय - मैंने सुना है कि इस फ़िल्म का पार्श्व बंगाल की सरज़मीन है और यह कहानी है आज़ादी के पहले की, आज़ादी के लड़ाई की। 'खेलें हम जी जान से' में मुख्य कलाकार हैं अभिषेक बच्चन, दीपिका पादुकोण, सिकंदर खेर, विशाखा सिंह, सम्राट मुखर्जी, मनिंदर सिंह, फ़ीरोज़ वाहिद ख़ान, श्रेयस पण्डित, अमीन ग़ाज़ी, आदि। जावेद अख़्तर के लिखे गीतों को धुनों में इस बार ए. आर. रहमान ने नहीं, बल्कि सोहैल सेन ने पिरोया है। जी हाँ, वही सोहैल सेन, जिन्होंने आशुतोष की

"दस तोला" सोना लेकर आये गुलज़ार, सन्देश के साथ तो प्रीतम ने धमाल किया "गोलमाल" के साथ

ताज़ा सुर ताल ४३/२०१० सुजॊय - 'ताज़ा सुर ताल' के सभी चाहनेवालों को हमारा नमस्कार! सजीव जी, विश्व दीपक जी तो दीपावली की छुट्टियों में घर गए हुए हैं, और आशा है उन्होंने यह त्योहार बहुत अच्छी तरह से मनाया होगा। सजीव - सभी को मेरा भी नमस्कार, दीवाली अच्छी रही। और बॊलीवूड की यह रवायत रही है कि दीवाली में कोई ना कोई बड़ी बजट की फ़िल्म रिलीज़ होती आई है। इस परम्परा को बरकरार रखते हुए इस बार दीवाली की शान बनी है दो फ़िल्में - 'ऐक्शन रिप्ले' और 'गोलमाल-३'। सुजॊय - 'ऐक्शन रिप्ले' के गानें हमने पिछले हफ़्ते सुने थे, आज बारी 'गोलमाल-३' की। और साथ ही हम 'दस तोला' फ़िल्म के गीत भी सुनेंगे। शुरु करते हैं 'गोलमाल-३-' से। रोहित शेट्टी निर्देशित इस मल्टि-स्टारर फ़िल्म के मुख्य कलाकार हैं मिथुन चक्रवर्ती, अजय देवगन, करीना कपूर, अरशद वारसी, तुषार कपूर, श्रेयास तलपडे, कुणाल खेमू, रत्ना पाठक, जॊनी लीवर, संजय मिश्रा, व्रजेश हिरजी, अशिनी कल्सेकर, मुरली शर्मा और मुकेश तिवारी। फ़िल्म में गीत संगीत का ज़िम्मा उठाया है कुमार और प्रीतम ने। इस ऐल्बम के पह

दिल खोल के लेट्स रॉक....करण जौहर लाये हैं एक बार फिर "फैमिली" में शंकर एहसान लॉय के संगीत का तड़का

ताज़ा सुर ताल ३२/२०१० सुजॊय - नमस्कार! आप सभी को रक्षाबंधन की हार्दिक शुभकामनएँ और विश्व दीपक जी, आपको भी। विश्व दीपक - सभी श्रोताओं व पाठकों और सुजॉय, तुम्हे भी मेरी ओर से ढेरों शुभकमानाएँ! सुजॉय, रक्षाबंधन भाई बहन के प्यार का पर्व है। इस दिन बहन अपने भाई की कलाई पर राखी बाँधते हुए उसके सुरक्षा की कामना करती है और भाई भी अपनी बहन को ख़ुश रखने और उसकी रक्षा करने का प्रण लेता है। कुल मिलाकर पारिवारिक सौहार्द का यह त्योहार है। सुजॉय - जी हाँ, यह एक पारिवारिक त्योहार है और आपने परिवार, यानी फ़ैमिली का ज़िक्र छेड़ा तो मुझे याद आया कि पिछले हफ़्ते हमने वादा किया था कि इस हफ़्ते हम 'टी.एस.टी' में 'वी आर फ़ैमिली' के गानें सुनवाएँगे। तो लीजिए, रक्षाबंधन पर आप सभी अपने फ़मिली के साथ आनंद लीजिए इसी फ़िल्म के गानों का। आज छुट्टी का दिन है, आप सब के फ़ैमिली मेम्बर्स घर पर ही मौजूद होंगे, तो राखी पर्व की ख़ुशियाँ मनाइए 'वी आर फैमिली' के गीतों को सुनते हुए। विश्व दीपक - इससे पहले की फ़िल्म का पहला गाना सुनें, मैं यह बता दूँ कि यह धर्मा प्रोडक्शन्स यानी कि करण जोहर की निर्

मुंबई है एक बार फिर फिल्म का विषय, और गैंगस्टरों की मारधाड के बीच भी है संगीत में मधुरता

ताज़ा सुर ताल २५/२०१० सुजॊय - सजीव, बहुत दिनों के बाद आप से इस 'टी.एस.टी' के स्तंभ में मुलाक़ात हो रही है। और बताइए, हाल में आपने कौन कौन सी नई फ़िल्में देखीं और आपके क्या विचार हैं उनके बारे में? सजीव - सुजॉय मैंने "काईट्स", "रावण" और "राजनीति" देखी. रावण और राजनीति मुझे पैसा वसूल लगी तो काईट्स उबाऊ. रावण बेशक चली नहीं पर जहाँ तक मेरा सवाल है मैं फिल्मों को सिर्फ कहानी के लिए नहीं देखता हूँ, मैं जिस मणि का कायल हूँ निर्देशन के लिए वही मणि "युवा" और "दिल से" के बाद मुझे यहाँ दिखे....जबरदस्त संगीत और छायाकारी है फिल्म की. राजनीति भी रणबीर और कंपनी के शानदार अभिनय के लिए देखी जा सकती है, बस मुझे कर्ण के पास कुंती के जाने वाला एपिसोड निरर्थक लगा, नाना पाटेकर हमेशा की तरह....सोलिड....खैर छोडो ये सब....आज का मेनू बताओ... सुजॊय - जैसे कि इस साल का सातवाँ महीना शुरु हो गया है, तो ऐसे में अगर हम पिछले ६ महीनों की तरफ़ अपनी नज़र घुमाएँ, तो आपको क्या लगता है कौन कौन से गीत उपरी पायदानों पर चल रहे हैं इस साल? मेरे सीलेक्शन कुछ इस तरह के

राजेश रोशन के सुरों की डोर पर संगीत का आसमां छूती "काईट्स"

ताज़ा सुर ताल १५/२०१० सुजॊय - सजीव, कुछ निर्देशक और अभिनेता ऐसे हैं जिनकी फ़िल्मों का लोग बेसबरी से इंतज़ार करते हैं। ये कलाकार ना केवल बहुत कम फ़िल्में बनाते हैं, बल्कि हर फ़िल्म में कुछ नया इस फ़िल्म जगत को देते हैं। राकेश रोशन और उनके सुपुत्र हृतिक रोशन के फ़िल्मों का जो कारवाँ 'कहो ना प्यार है' की ज़बरदस्त कामयाबी से शुरु हुआ था, वह कारवाँ उसी कामयाबी की राह पर आगे बढ़ता हुआ, 'कोई मिल गया' और 'क्रिश' जैसी ब्लॊकबस्टर फ़िल्मों के पड़ाव से गुज़र कर अब एक और महत्वपूर्ण पड़ाव की ओर अग्रसर हो रहा है, जिस पड़ाव का नाम है 'काइट्स'। सजीव - 'काइट्स' की चर्चा काफ़ी समय से हो रही है और इस फ़िल्म से लोगों को बहुत सी उम्मीदें हैं। लेकिन इस फ़िल्म को राकेश रोशन ने ज़रूर प्रोड्युस किया है, लेकिन इस बार निर्देशन की बगडोर उन्होने अपने हाथ में नहीं लिया, बल्कि यह भार सौंपा गया 'लाइफ़ इन अ मेट्रो' और 'गैंगस्टर' जैसी सफल फ़िल्मों के निर्देशक अनुराग बासु को। सुजॊय - संगीत की बात करें तो अनुराग बासु की फ़िल्मों में अक्सर प्रीतम का ही संगीत होता है।

पी से पाठशाला और पी से प्रिंस....दो युवा संगीतकारों ने धाक जमाई इन बड़ी फिल्मों से

ताज़ा सुर ताल १४/२०१० सुजॊय - सजीव, साल २०१० का एक चौथाई पूरा हो चुका है, यानी कि तीन महीने। इन तीन महीनों में हमने जिन जिन फ़िल्मों के संगीत की चर्चा यहाँ की, अपने नए साथियों के लिए बता दें उन फ़िल्मों के नाम। सजीव - बिल्कुल बताओ, इससे इस बरस अब तक बनी फ़िल्मों का एक छोटा सा रीकैप भी हो जाएगा। सुजॊय - ये फ़िल्में हैं दुल्हा मिल गया, वीर, रण, इश्क़िया, माइ नेम इज़ ख़ान, स्टाइकर, रोड टू संगम, लाहौर, सदियाँ, एल.एस.डी, शिवाजी दि बॊस, कार्तिक कॊलिंग् कार्तिक, वेल डन अब्बा। सजीव - और हमने दो ग़ैर फ़िल्मी ऐल्बम्स की भी चर्चा की - अमन की आशा, और अपना होम प्रोडक्शन काव्यनाद। तो अब हम आगे बढ़ते हैं और आज हम लेकर आए हैं दो फ़िल्मों के गानें। पहली फ़िल्म है 'पाठशाला'। इस फ़िल्म की चर्चा और प्रचार काफ़ी पहले से शुरु हो गई थी, लेकिन फ़िल्म के बनने में बहुत लम्बा समय लग गया। सुजॊय - लेकिन इस फ़िल्म का संगीत बिल्कुल फ़्रेश है। फ़िल्म में गीत संगीत हनीफ़ शेख़ का है। फ़िल्म के गीतों को गाया है लकी अली, कैलाश खेर, विशाल दादलानी, तुलसी कुमार और सलीम मरचेंट ने। गीतों में विविधता है, मेलोडी भी है औ

विंटेज रहमान, ठन्डे शंकर, और सक्रिय शांतनु हैं आज के टी एस टी मेनू में

ताज़ा सुर ताल १३/२०१० सजीव - 'ताज़ा सुर ताल' में आज एक नहीं बल्कि तीन तीन फ़िल्मो के गीत गूंजेंगे जो हाल ही में प्रदर्शित हुईं हैं। ये तीनों फ़िल्में एक दूसरे से बिल्कुल अलग है, एक दूजे से बिल्कुल जुदा है। सुजॊय, तुम्हे याद है एक दौर ऐसा था जब ए. आर. रहमान नए नए हिंदी फ़िल्मी दुनिया में आए थे और उस दौर में दक्षिण के कई फ़िल्मों को हिंदी में डब किया जा रहा था जिनमें रहमान का संगीत था। सुजॊय - हाँ, जैसे कि 'हम से है मुक़ाबला', 'दुनिया दिलवालों की', 'रोजा' और बहुत सी ऐसी फ़िल्में जिन्हे हिंदी में डब किया गया था। इन फ़िल्मों के गानें ऒर्जिनली तमिल होने की वजह से इन्ही धुनों पर हिंदी के बोल लिखना भी एक चैलेंज हुआ करता था। सजीव - हाँ, और यह काम उन दिनों भली भाँती कर लिया करते थे गीतकार पी.के. मिश्रा। ख़ैर, वह दौर तो गुज़र चुका है, लेकिन हाल में रहमान की धुनों वाली एक और मशहूर तमिल फ़िल्म को हिंदी में डब किया गया है। यह फ़िल्म है 'शिवाजी दि बॊस'। सुजॊय - सजीव, मुझे याद है २००७ के जून महीने में मैं अपने काम के सिलसिले में चेन्नई गया हुआ था, उन दिनों यह