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"छू कर मेरे मन को...", क्यों राजेश रोशन को अपने पैसे से इस गीत को रेकॉर्ड करना पड़ा?

एक गीत सौ कहानियाँ - 59   ‘ छू कर मेरे मन को...’  रेडियो प्लेबैक इण्डिया' के सभी श्रोता-पाठकों को सुजॉय चटर्जी का प्यार भरा नमस्कार। दोस्तों, हम रोज़ाना रेडियो पर, टीवी पर, कम्प्यूटर पर, और न जाने कहाँ-कहाँ, जाने कितने ही गीत सुनते हैं, और गुनगुनाते हैं। ये फ़िल्मी नग़में हमारे साथी हैं सुख-दुख के, त्योहारों के, शादी और अन्य अवसरों के, जो हमारे जीवन से कुछ ऐसे जुड़े हैं कि इनके बिना हमारी ज़िन्दगी बड़ी ही सूनी और बेरंग होती। पर ऐसे कितने गीत होंगे जिनके बनने की कहानियों से, उनसे जुड़े दिलचस्प क़िस्सों से आप अवगत होंगे? बहुत कम, है न? कुछ जाने-पहचाने, और कुछ कमसुने फ़िल्मी गीतों की रचना प्रक्रिया, उनसे जुड़ी दिलचस्प बातें, और कभी-कभी तो आश्चर्य में डाल देने वाले तथ्यों की जानकारियों को समेटता है 'रेडियो प्लेबैक इण्डिया' का यह स्तम्भ 'एक गीत सौ कहानियाँ'। इसकी 59-वीं कड़ी में आज जानिये फ़िल्म ’याराना’ के मशहूर गीत "छू कर मेरे मन को, किया तूने क्या इशारा..." के बारे में जिसे किशोर कुमार ने गाया था।  रबीन्द्र

महानायक के लिए महागायक से बेहतर कौन

आवाज के दो बडे जादूगर--अमिताभ बच्चन और किशोर कुमार वे दोनों ही अपनी आवाज से अनोखा जादू जगाते हैं। उनकी सधी हुई आवाज हमें असीम गहराई की ओर ले जाती है। इन दोनों में से एक महागायक है तो दूसरा महानायक। कभी इस महानायक की बुलंद आवाज को ऑल इंडिया रेडियो ने नकार दिया था और दूसरी दमदार आवाज उस इंसान की है जिनकी आवाज बिमारी के कारण प्रभावित हो गई थी। कालंतर में इन दोनों की आवाज एक दूसरे की सफलता की "वौइस्" बनी. जैसे एक सच्चे तपस्वी ने कठिन तपस्या से अपनी कामनाओं को साध लिया हो उसी तरह इन दोनों महान कलाकारों ने अपनी आवाज को रियाज से साध लिया था। यदि अब तक आप इन दो विभूतियों को ना जान पाये हो तो हम बता देते हैं कि यहाँ बात हो रही है, महान नायक अमिताभ बच्चन और महान गायक स्वर्गीय किशोर कुमार की। किस्मत देर सवेर अपना रंग दिखा ही देती हैं, कभी रेडियो द्वारा अस्वीकृत कर देने वाली अमिताभ बच्चन की आवाज को बाद में महान निदेशक सत्यजीत राय ने अपनी फिल्म शतरंज के खिलाडी में कमेंट्री के लिये चुना था, इससे बेहतर उनकी आवाज की प्रशंसा क्या हो सकती है। उधर किशोर कुमार को भी पहले पहल केवल कुछ हल्के फु