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स्मृतियों के झरोखों से - सुनीता सानू

मैंने देखी पहली फिल्म भारतीय सिनेमा के शताब्दी वर्ष में ‘रेडियो प्लेबैक इण्डिया’ द्वारा आयोजित विशेष अनुष्ठान- ‘स्मृतियों के झरोखे से’ में आप सभी सिनेमा प्रेमियों का हार्दिक स्वागत है। आज माह का दूसरा गुरुवार है और आज बारी है- ‘मैंने देखी पहली फिल्म’ की। इस द्विसाप्ताहिक स्तम्भ के पहले दो अंकों में हमने गैरप्रतियोगी संस्मरण प्रस्तुत किये थे। आज से हम प्रतियोगी वर्ग के संस्मरणों की शुरुआत कर रहे हैं। ‘मैंने देखी पहली फिल्म’ प्रतियोगिता की पहली प्रविष्टि सुनीता शानू की है। आप भी उनकी देखी पहली फिल्म ‘अर्पण’ के संस्मरण का आनन्द लीजिए। पहली फिल्म जो यादगार बन गई मै पिलानी (राजस्थान) में पली-बड़ी। पिलानी आज एक खूबसूरत शहर के रूप में जाना जाता है लेकिन उस समय एक कस्बा ही था। जहाँ शहर की हवा नही चली थी। समय पंख लगा कर उड़ गया। गुड्डे-गुड़िया खेलते-खेलते कब फ़िल्म देखने का शौक चर्राया पता ही नही चला। दोनो बड़ी बहनें, अपनी सहेलियों के संग फ़िल्म देखने जाती थी मगर ‘मै छोटी हूँ’ कह कर घर छोड़ जाती थी। माँ को शिकायत करने पर भी झिड़क दी जाती थी कि बच्चे फ़िल्म नही देखा करते। कहने की बात यह है