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फ़िल्मी चक्र समीर गोस्वामी के साथ || एपिसोड 21 || शशि कपूर

Filmy Chakra With Sameer Goswami  Episode 21 Shashi Kapoor फ़िल्मी चक्र कार्यक्रम में आप सुनते हैं मशहूर फिल्म और संगीत से जुडी शख्सियतों के जीवन और फ़िल्मी सफ़र से जुडी दिलचस्प कहानियां समीर गोस्वामी के साथ, लीजिये आज इस कार्यक्रम के 21 वें एपिसोड में सुनिए कहानी सजीले शशि कपूर की...प्ले पर क्लिक करें और सुनें.... फिल्मी चक्र में सुनिए इन महान कलाकारों के सफ़र की कहानियां भी - किशोर कुमार शैलेन्द्र  संजीव कुमार  आनंद बक्षी सलिल चौधरी  नूतन  हृषिकेश मुखर्जी  मजरूह सुल्तानपुरी साधना  एस डी बर्मन राजेंद्र कुमार  शकील बदायुनी  जयकिशन गीता दत्त  चित्रगुप्त  आर डी बर्मन  मन्ना डे रविन्द्र जैन  राजेन्द्र कृष्ण  नौशाद 

"यह कहाँ आ गए हम..." और "हम कहाँ खो गए..." गीतों का आपस में क्या सम्बन्ध है?

एक गीत सौ कहानियाँ - 58   ‘ यह कहाँ आ गए हम...’ रेडियो प्लेबैक इण्डिया' के सभी श्रोता-पाठकों को सुजॉय चटर्जी का प्यार भरा नमस्कार। दोस्तों, हम रोज़ाना रेडियो पर, टीवी पर, कम्प्यूटर पर, और न जाने कहाँ-कहाँ, जाने कितने ही गीत सुनते हैं, और गुनगुनाते हैं। ये फ़िल्मी नग़में हमारे साथी हैं सुख-दुख के, त्योहारों के, शादी और अन्य अवसरों के, जो हमारे जीवन से कुछ ऐसे जुड़े हैं कि इनके बिना हमारी ज़िन्दगी बड़ी ही सूनी और बेरंग होती। पर ऐसे कितने गीत होंगे जिनके बनने की कहानियों से, उनसे जुड़े दिलचस्प क़िस्सों से आप अवगत होंगे? बहुत कम, है न? कुछ जाने-पहचाने, और कुछ कमसुने फ़िल्मी गीतों की रचना प्रक्रिया, उनसे जुड़ी दिलचस्प बातें, और कभी-कभी तो आश्चर्य में डाल देने वाले तथ्यों की जानकारियों को समेटता है 'रेडियो प्लेबैक इण्डिया' का यह स्तम्भ 'एक गीत सौ कहानियाँ'। इसकी 58-वीं कड़ी में आज जानिये फ़िल्म ’सिलसिला’ के मशहूर गीत "ये कहाँ आ गए है..." के बारे में जिसे लता मंगेशकर और अमिताभ बच्चन ने गाया था।   फ़ि ल्म ’सिलसिला’ यश

लिखे जो ख़त तुझे वो तेरी याद में...शशि कपूर का रोमांस और रफी साहब का अंदाज़-ए-बयां

ओल्ड इस गोल्ड शृंखला # 156 अ भी दो दिन पहले हम ने आप को प्रेम-पत्र पर लिखा एक मशहूर गीत सुनवाया था फ़िल्म 'संगम' का। रफ़ी साहब का गाया एक और ख़त वाला मशहूर गीत है फ़िल्म 'कन्यादान' का "लिखे जो ख़त तुझे वह तेरी याद में हज़ारों रंग के नज़ारे बन गये"। यह गीत भी उतना ही लोकप्रिय हुआ जितना कि फ़िल्म 'संगम' का गीत। इन दोनों गीतों में कम से कम दो बातें सामान थी, एक तो रफ़ी साहब की आवाज़, और दूसरा शंकर जयकिशन का संगीत। "ये मेरा प्रेम-पत्र" फ़िल्माया गया था राजेन्द्र कुमार पर और फ़िल्म 'कन्यादान' का यह गीत है शशी कपूर के अभिनय से सजा हुआ। जी हाँ, 'दस चेहरे एक आवाज़ - मोहम्मद रफ़ी' के अंतर्गत आज हम जिस चेहरे पर फ़िल्माये गीत से आप का रु-ब-रु करवा रहे हैं, वो शशी कपूर ही हैं। फ़िल्म 'कन्यादान' बनी थी सन् १९६८ में जिसमें शशी कपूर के साथ नायिका की भूमिका में थीं आशा पारेख। मोहन सहगल की यह फ़िल्म एक पारिवारिक सामाजिक फ़िल्म थी जिसका आधार था शादी, झूठ, तथा पुराने और नये ख़यालातों में द्वंद। फ़िल्म तो कामयाब थी ही, उसका गीत संगीत