Season 3 of new Music, Song # 12 आज बेहद गर्व के साथ हम युग्म के इस मंच पर पेश कर रहे हैं, दो नए फनकारों को, संगीतकार नितिन दुबे संगीत रचेता होने के साथ-साथ एक संवेदनशील गीतकार भी हैं, जिन्होंने अपने जीवन के अनुभवों को शब्दों और सुरों में पिरो कर एक गीत बनाया, जिसे स्वर देने के लिए उतरे आज के दूसरे नए फनकार उन्नीकृष्णन के बी, जिनका साथ दिया है। इस गीत में महिला स्वरों के लिए सब संगीतकारों की पहली पसंद बन चुकी गायिका कुहू गुप्ता। कुहू और उन्नी के स्वरों में ये गीत यक़ीनन आपको संगीत के उस पुराने सुहाने दौर की याद दिला देगा, जब अच्छे शब्द और मधुर संगीत से सजे युगल गीत हर जुबाँ पर चढ़े होते थे. सुनिए और आनंद लीजिए. गीत के बोल - एक शहर था जिसके सीने में सडकें छोटी थीं, दिल बड़े थे उस शहर से, भरी दोपहर में मैं अकेला चला था इस अकेले सफ़र पे मैं अकेला चला था इस अकेले सफ़र पे क्या हसीं इत्तफाक था बन गए हमसफ़र तुम मेरे दिल के, एक कोने में गहरे कोहरे थे, मुद्दतों से फिर मौसम खुला, तुम दिखे थे पास आकर रुके थे साथ मिलकर चले थे तन्हा ये काफिला था लम्बे ये फासले थे क्या हसीं इत्तफाक था बन गए हमसफ़र