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क़दम के निशां बनाते चले...सचिन दा के सुरों में देव आनंद

यह सच है कि कई अन्य संगीतकारों नें भी देव आनन्द के साथ काम किया जैसे कि शंकर जयकिशन, सलिल चौधरी, मदन मोहन, कल्याणजी-आनन्दजी,राहुल देव बर्मन, बप्पी लाहिड़ी और राजेश रोशन, लेकिन सचिन दा के साथ जिन जिन फ़िल्मों में उन्होंने काम किया, उनके गीत कुछ अलग ही बने। आज न बर्मन दादा हमारे बीच हैं और अब देव साहब भी बहुत दूर निकल गए, पर इन दोनों नें साथ-साथ जो क़दमों के निशां छोड़ गए हैं, वो आनेवाली तमाम पीढ़ियों के लिए किसी पाठशाला से कम नहीं।

मेरी दुनिया है माँ तेरे आंचल में...

ओल्ड इस गोल्ड शृंखला # 05 दोस्तों, पिछले दिनों मुझे एक एस एम् एस मिला था मेरे किसी दोस्त से, जिसमें माँ पर एक बहुत अच्छी बात कही गयी थी, जो मैं आप के साथ बाँटना चाहूँगा. उस एस एम् एस में लिखा गया था "क्या आप जानते हैं माँ भगवान से भी बढ्कर क्यूँ है? क्यूंकि भगवान तो हमारे नसीब में सुख और दुख दोनो देकर भेजते हैं, लेकिन हमारी माँ हमें सिर्फ़ और सिर्फ़ सुख ही देना चाहती है." सच दोस्तों, इस दुनिया में अगर कोई चीज़ अनमोल है तो वो है माँ की ममता, माँ का प्यार. माँ के आँचल का महत्व वही जान सकता है जिसकी माँ नहीं है. हमारी हिन्दी फिल्मों में भी माँ को एक ऊँचा स्थान दिया गया है. कई गीत भी बने हैं. आज 'ओल्ड इस गोल्ड' में हम हर माँ को कर रहे हैं सलाम फिल्म "तलाश" के एक गीत के ज़रिए. संगीतकार सचिन देव बर्मन ने इस फिल्म में उत्कृष्ट संगीत तो दिया ही था, उन्होने अपनी आवाज़ में एक ऐसा गीत गाया था जो अपने आप में अद्वितीय है, अनूठा है. 1969 में प्रदर्शित ओ पी रलन के इस फिल्म में बर्मन दादा ने गाया था "मेरी दुनिया है माँ तेरे आँचल में". बर्मन दादा के गाए गीतों में