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आईये घूम आयें बचपन की गलियों में इन ताज़ा गीतों के संग

ताज़ा सुर ताल - 2014 -07 - बचपन विशेष  जेब (बाएं) और हनिया  ताज़ा सुर ताल की एक और कड़ी में आपका स्वागत है, आज जो दो नए गीत हम चुनकर लाये हैं वो यक़ीनन आपको आपके बचपन में लौटा ले जायेगें. हाईवे  के संगीत की चर्चा हमने पिछले अंक में भी की थी, आज भी पहला गीत इसी फिल्म से. दोस्तों बचपन की सबसे खूबसूरत यादों में से एक होती है माँ की मीठी मीठी लोरियाँ जिसे सुनते हुए कब बरबस ही नींद आँखों में समा जाती थी पता भी नहीं चलता था. इन दिनों फिल्मों में लोरियाँ लौट सी आई है, तभी तो राऊडी राठोड  जैसी जबरदस्त व्यवसायिक फिल्मों में भी लोरियाँ सुनने को मिल जाती हैं. पर यकीन मानिये हाईवे की ये लोरी अब तक की सुनी हुई सब लोरियों से अल्हदा है, इस गीत में गीतकार इरशाद की मेहनत खास तौर पे कबीले तारीफ है. सुहा यानी लाल, और साहा यानी खरगोश, माँ अपने लाडले को लाल खरगोश कह कर संबोधित कर रही है, शब्दों का सुन्दर मेल इरशाद ने किया है उसका आनंद लेने के लिए आपको गीत बेहद ध्यान से सुनना पड़ेगा. रहमान की धुन ऐसी कि सुन कर उनके कट्टर आलोचक भी भी उनकी तारीफ किये बिना नहीं रह पायेगें. आखिर यूहीं तो नहीं उन्हें

नए साल पर टी सीरीस का एक संगीतमय तोहफा : "आई लव न्यू ईयर"

टी सीरीस के भूषण कुमार संगीतमयी रोमांटिक फिल्मों के सफल निर्माता रहे हैं. चूँकि इन फिल्मों का संगीत भी दमदार रहता है तो उनके लिए दोहरे फायदे का सौदा साबित होता है. इस साल आशिकी २ और नौटंकी साला की जबरदस्त सफलता के बाद वो हैट्रिक लगाने की तैयारी में थे आई लव न्यू ईयर के साथ. मगर फिल्म की प्रदर्शन तिथि, एक के बाद एक कारणों से टलती चली गयी. पहले यमला पगला दीवाना २ के प्रमोशन के चलते फिल्म का प्रदर्शन अप्रैल-मई से टल कर सितम्बर कर दिया गया. फिर भूषण और फिल्म के नायक सन्नी देओल के बीच कुछ धन राशि के भुगतान को लेकर मामला छिड़ गया. अब जाकर फिल्म को दिसंबर के अंतिम सप्ताह में जारी करने की सहमती बनी है. फिल्म के शीर्षक के लिहाज से भी ये एक सही कदम है. पर अभी तक फिल्म का प्रचार ठंडा ही दिखाई दे रहा है. बहरहाल हम फिल्म के संगीत की चर्चा तो कर ही सकते हैं.  फिल्म में प्रीतम प्रमुख संगीतकार हैं, मगर एक एक गीत फलक शबीर ( नौटंकी साला वाले), और अनुपम अमोद के हिस्से भी आया है, साथ ही पंचम द के एक पुराने हिट गीत को भी एल्बम में जोड़ा गया है. गीत मयूर पुरी, सईद कादरी और फलक शबीर ने लिखे हैं. फ

'गन्दी बात' में भी बहुत कुछ अच्छा है प्रीतम दा के साथ

बॉ लीवुड में दक्षिण की सफल फिल्मों का रिमेक जोरों पे जारी है. सभी बड़े सुपर स्टार जैसे सलमान, अजय देवगन, अक्षय कुमार आदि इन फिल्मों से सफलता का स्वाद चख चुके हैं, अब शाहिद कपूर भी आ रहे हैं रेम्बो राजकुमार बनकर....ओह माफ कीजियेगा आर...राजकुमार बनकर. फिल्म के नाम में रेम्बो का इस्तेमाल वर्जित (कोपीराईट कारणों से) होने के कारण फिल्म के नाम में ये बदलाव करना पड़ा. फिल्म में संगीत है हिट मशीन प्रीतम का, आईये नज़र डालें इस फिल्म के एल्बम पर, और जानें कि संगीत प्रेमियों के लिए क्या है इस एक्शन कोमेडी फिल्म के गीतों में.  एल्बम के पहले तीन गीत पूरी तरह से दक्षिण के तेज रिदम वालों गीतों से प्रेरित हैं. इनमें प्रीतम की झलक कम और दक्षिण के संगीतकारों की छवि अधिक झलकती है. पहला गीत गन्दी बात एक मस्त मलंग गीत है जिसकी ताल और धुन इतनी जबरदस्त है कि सुनकर कोई भी खुद को कदम थिरकाने से नहीं रोक पायेगा. अनुपम अमोद के शब्द चटपटे हैं और कुछ पारंपरिक श्रोताओं को आपत्तिजनक भी लग सकते हैं. मिका की आवाज़ इस गीत के लिए एकदम सही चुनाव है पर गीत का सुखद आश्चर्य है कल्पना पटोवरी की जोशीली आवाज़ जिसने मि

दबंग सलमान खान "रेड्डी" हैं प्रीतम के साथ एक और संगीत धमाके के लिए

Taaza Sur Taal (TST) - 13/2011 - REDDY दोस्तों एक बार फिर से मैं हाज़िर हूँ एक और नयी फिल्म के संगीत पर अपनी राय लेकर. आज हम बात करेंगें "दबंग" सलमान खान की आने वाली फिल्म – रेड्डी की. टी सिर्रिस के भूषण कुमार ने इस फिल्म के लिए विश्वास जताया है अपने दोस्त प्रीतम पर. और जाहिर प्रीतम ने उन्हें निराश नहीं किया है एक बार फिर, बल्कि अपने पेट्ट गायकों को लेकर शायद इस साल की सबसे बड़ी हिट अल्बम देने में भी कामियाब हुए हैं. चलिए बात करते हैं इस अल्बम के गीतों की. कैरक्टर ढीला अल्बम का पहला गीत है, नीरज श्रीधर और अमृता काक की आवाजों में. अभी हाल ही में अनु मालिक ने इस फूट टेप्पिंग गीत के अंतरे की धुन अपने एक पुराने गीत से मिलता जुलता बताया था. खैर वो ९० का दशक था अनु मालिक का और अब जब प्रीतम की तूती बोल रही हो तो अनु की आवाज़ कौन सुने. खैर गीत का फिल्माकन देख कर लगता है कि सलमान इस गीत के माध्यम से राज कपूर, दिलीप कुमार और धमेन्द्र को टारगेट कर रहे हैं. पर यही तीन कलाकार ही क्यों कोई समझे तो कृपया बताएं. अमिताभ भट्टाचार्य के शब्द कुछ बहत प्रभावी नहीं लगे मुझे पर संगीत बीट्स और संयोजन

दिल तो बच्चा है जी.....मधुर भण्डारकर की रोमांटिक कोमेडी में प्रीतम ने भरे चाहत के रंग

Taaza Sur Taal 01/2011 - Dil Toh Bachha Hai ji 'दिल तो बच्चा है जी'...जी हाँ साल २०१० के इस सुपर हिट गीत की पहली पंक्ति है मधुर भंडारकर की नयी फिल्म का शीर्षक भी. मधुर हार्ड कोर संजीदा और वास्तविक विषयों के सशक्त चित्रिकरण के लिए जाने जाते हैं. चांदनी बार, पेज ३, ट्राफिक सिग्नल, फैशन, कोपरेट, और जेल जैसी फ़िल्में बनाने के बाद पहली बार उन्होंने कुछ हल्की फुल्की रोमांटिक कोमेडी पर काम किया है, चूँकि इस फिल्म में संगीत की गुंजाईश उनकी अब तक की फिल्मों से अधिक थी तो उन्होंने संगीतकार चुना प्रीतम को. आईये सुनें कि कैसा है उनके और प्रीतम के मेल से बने इस अल्बम का ज़ायका. नीलेश मिश्रा के लिखे पहले गीत “अभी कुछ दिनों से” में आपको प्रीतम का चिर परिचित अंदाज़ सुनाई देगा. मोहित चौहान की आवाज़ में ये गीत कुछ नया तो नहीं देता पर अपनी मधुरता और अच्छे शब्दों के चलते आपको पसंद न आये इसके भी आसार कम है. “है दिल पे शक मेरा...” और प्रॉब्लम के लिए “प्रोब” शब्द का प्रयोग ध्यान आकर्षित करता है. दरअसल ये एक सामान्य सी सिचुएशन है हमारी फिल्मों की जहाँ नायक अपने पहली बार प्यार में पड़ने की अनुभूति व्यक

ऐक्शन रिप्ले के सहारे इरशाद कामिल और प्रीतम ने बाकी गीतकार-संगीतकार जोड़ियों को बड़े हीं जोर का झटका दिया

ताज़ा सुर ताल ४२/२०१० सुजॊय - 'ताज़ा सुर ताल' की एक और कड़ी के साथ हम हाज़िर हैं, और आप सभी का हार्दिक स्वागत है इस साप्ताहिक स्तंभ में! विश्व दीपक जी, पता है जब भी मैं इस स्तंभ के लिए आप से बातचीत का सिलसिला शुरु करता हूँ तो मुझे क्या याद आता है? विश्व दीपक - अरे पहले मुझे सभी को नमस्ते तो कह लेने दो! सभी पाठकों व श्रोताओं को मेरा नमस्कार और सुजॊय, आप को भी! हाँ, अब बताइए आप को किस बात की याद आती है। सुजॊय - जब मैं छोटा था, और गुवाहाटी में रहता था, तो उस ज़माने में तो फ़िल्मी गानें केवल रेडियो पर ही सुनाई देते थे, तभी से मुझे रेडियो सुनने में और ख़ास कर फ़िल्म संगीत में दिलचस्पी हुई। तो आकाशवाणी के गुवाहाटी केन्द्र से द्पहर के वक़्त दो घंटे के लिए सैनिक भाइयों का कार्यक्रम हुआ करता था (आज भी होता है) , जिसके अंतर्गत कई दैनिक, साप्ताहिक और मासिक कार्यक्रम प्रस्तुत होते थे फ़िल्मी गीतों के, कुछ कुछ विविध भारती अंदाज़ के। तो हर शुक्रवार के दिन एक कार्यक्रम आता था 'एक ही फ़िल्म के गीत', जिसमें किसी नए फ़िल्म के सभी गीत बजाए जाते थे। तो गर्मी की छुट्टियों में या कभी भी ज

"क्रूक" में कुमार के साथ तो "आक्रोश" में इरशाद कामिल के साथ मेलोडी किंग प्रीतम की जोड़ी के क्या कहने!!

ताज़ा सुर ताल ३८/२०१० सुजॊय - दोस्तों, नमस्कार, स्वागत है आप सभी का इस हफ़्ते के 'ताज़ा सुर ताल' में। विश्व दीपक जी, इस बार के लिए मैंने दो फ़िल्में चुनी हैं, और ये फ़िल्में हैं 'क्रूक' और 'आक्रोश'। विश्व दीपक - सुजॊय जी, क्या कोई कारण है इन दोनों को इकट्ठे चुनने के पीछे? सुजॊय - जी हाँ, मैं बस उसी पे आ रहा था। एक नहीं बल्कि दो दो समानताएँ हैं इन दोनों फ़िल्मों में। एक तो यह कि दोनों के संगीतकार हैं प्रीतम। और उससे भी बड़ी समानता यह है कि इन दोनों की कहानी दो ज्वलंत सामयिक विषयों पर केन्द्रित है। जहाँ एक तरफ़ 'क्रूक' की कहानी आधारित है हाल में ऒस्ट्रेलिया में हुए भारतीयों पर हमले पर, वहीं दूसरी तरफ़ 'आक्रोश' केन्द्रित है हरियाणा में आये दिन हो रहे ऒनर किलिंग्स की घटनाओं पर। विश्व दीपक - वाक़ई ये दो आज के दौर की दो गम्भीर समस्यायें हैं। तो शुरु किया जाए 'क्रूक' के साथ। मुकेश भट्ट निर्मित और मोहित सूरी निर्देशित 'क्रूक' के मुख्य कलाकार हैं इमरान हाश्मी, अर्जुन बजवा और नेहा शर्मा। प्रीतम का संगीत और कुमार के गीत। पहला गीत सुनते हैं

सलीम-सुलेमान की आशाएँ ढल गई हैं धीमी गति के प्रेरक गीतों में.. साथ हैं प्रीतम और शिराज़ भी

ताज़ा सुर ताल ३०/२०१० सुजॊय - 'ताज़ा सुर ताल' के सभी श्रोताओं व पाठकों को हमारा प्यार भरा नमस्कार! दोस्तों, इसे इत्तेफ़ाक़ ही कहिए या कुछ और, हमारी फ़िल्म इंडस्ट्री में कुछ नायक ऐसे हुए हैं जिनकी फ़िल्मों के गानें हमेशा ही सुपरहिट हुआ करते हैं। जैसे कि राजेश खन्ना की शायद ही कोई फ़िल्म ऐसी होगी जिसके गानें चले ना हों। नए दौर में सलमान ख़ान ऐसे नायक बनें जिनकी फ़िल्मों के गानें बेहद लोकप्रिय होते आए हैं और आज भी होते हैं। ऐसे ही एक और अभिनेता हैं जॊन एब्राहम जिनकी फ़िल्मों का संगीत भी चलता आया है, फिर चाहे फ़िल्म चले या ना चले। विश्व दीपक - 'जिस्म', 'साया', 'धूम', 'सलाम-ए-इश्क़', 'काल', 'गरम मसाला', 'दोस्ताना', 'गोल', 'न्यू यार्क', 'पाप', 'टैक्सी नंबर ९ २ ११', ये सारी जॉन की फ़िल्में संगीत के लिहाज़ से सफल ही मानी जाएंगी। आज हम जॉन की नई फ़िल्म 'आशाएँ' के गानें लेकर उपस्थित हुए हैं, और इन गीतों को सुनने के बाद हमें और आपको मिलकर यह निर्णय लेना है कि क्या जॉन की पिछली सारी फ़िल्मों क

महंगाई डायन को दुत्कारकर बाहर किया "पीपलि" वालों ने और "खट्टे-मीठे" पलों को कहा नाना ची टाँग

ताज़ा सुर ताल २८/२०१० सुजॊय - 'ताज़ा सुर ताल' के सभी श्रोताओं व पाठकों का स्वागत है इस स्तंभ में, और विश्व दीपक जी, आपको भी नमस्कार! विश्व दीपक - नमस्कार दोस्तों! आज की कड़ी में हम दो फ़िल्मों के गानें सुनने जा रहे हैं। भले ही इन दो फ़िल्मों की कहानी और संगीत में कोई समानता नज़र ना आए, लेकिन इन दो फ़िल्मों में एक समानता ज़रूर है कि इनके निर्माता फ़िल्म जगत के अनूठे फ़िल्मकार के रूप में जाने जाते हैं, और इन दोनों की फ़िल्मों में कुछ अलग हट के बात ज़रूर होती है। अपने अपने तरीके से और अपने अपने मैदानों में ये दोनों ही अपने आप को परफ़ेक्शनिस्ट सिद्ध करते आए हैं। इनमें से एक हैं प्रियदर्शन और दूसरे हैं आमिर ख़ान। जी हाँ, वही अभिनेता आमिर ख़ान जो हाल के समय से निर्माता भी बन गए हैं अपने बैनर 'आमिर ख़ान प्रोडक्शन्स' से ज़रिए। सुजॊय - प्रियदर्शन की फ़िल्म 'खट्टा-मीठा' और आमिर ख़ान की 'पीपलि लाइव' की संगीत-समीक्षा के साथ हम हाज़िर हैं दोस्तों। पहले कुछ 'खट्टा-मीठा' हो जाए! इस फ़िल्म के मुख्य कलाकार हैं अक्षय कुमार, त्रिशा कृष्णन और राजपाल यादव। प्रीतम

मुंबई है एक बार फिर फिल्म का विषय, और गैंगस्टरों की मारधाड के बीच भी है संगीत में मधुरता

ताज़ा सुर ताल २५/२०१० सुजॊय - सजीव, बहुत दिनों के बाद आप से इस 'टी.एस.टी' के स्तंभ में मुलाक़ात हो रही है। और बताइए, हाल में आपने कौन कौन सी नई फ़िल्में देखीं और आपके क्या विचार हैं उनके बारे में? सजीव - सुजॉय मैंने "काईट्स", "रावण" और "राजनीति" देखी. रावण और राजनीति मुझे पैसा वसूल लगी तो काईट्स उबाऊ. रावण बेशक चली नहीं पर जहाँ तक मेरा सवाल है मैं फिल्मों को सिर्फ कहानी के लिए नहीं देखता हूँ, मैं जिस मणि का कायल हूँ निर्देशन के लिए वही मणि "युवा" और "दिल से" के बाद मुझे यहाँ दिखे....जबरदस्त संगीत और छायाकारी है फिल्म की. राजनीति भी रणबीर और कंपनी के शानदार अभिनय के लिए देखी जा सकती है, बस मुझे कर्ण के पास कुंती के जाने वाला एपिसोड निरर्थक लगा, नाना पाटेकर हमेशा की तरह....सोलिड....खैर छोडो ये सब....आज का मेनू बताओ... सुजॊय - जैसे कि इस साल का सातवाँ महीना शुरु हो गया है, तो ऐसे में अगर हम पिछले ६ महीनों की तरफ़ अपनी नज़र घुमाएँ, तो आपको क्या लगता है कौन कौन से गीत उपरी पायदानों पर चल रहे हैं इस साल? मेरे सीलेक्शन कुछ इस तरह के