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स्मृतियों के झरोखे से : भारतीय सिनेमा के सौ साल -14

मैंने देखी पहली फिल्म भारतीय सिनेमा के शताब्दी वर्ष में ‘रेडियो प्लेबैक इण्डिया’ द्वारा आयोजित विशेष अनुष्ठान- ‘स्मृतियों के झरोखे से’ में आप सभी सिनेमा प्रेमियों का हार्दिक स्वागत है। आज माह का दूसरा गुरुवार है और आज बारी है- ‘मैंने देखी पहली फिल्म’ की। इस द्विसाप्ताहिक स्तम्भ के पिछले अंक में आप श्री शिशिर कृष्ण शर्मा की देखी पहली फिल्म ‘ बीस साल बाद ’ के संस्मरण के साझीदार रहे। आज मनीष कुमार अपने परिवार वालों से अलग अपनी देखी पहली फिल्म ‘परिन्दा’ का संस्मरण प्रस्तुत कर रहे हैं। यह प्रतियोगी वर्ग की प्रविष्टि है।   दोस्तों के साथ ‘ब्ल्यू लैगून’ देखने का साहस नहीं हुआ : मनीष कुमार सि नेमा देखना मेरे लिए कभी लत नहीं बना। शायद ही कभी ऍसा हुआ है कि मैंने कोई फिल्म शो के पहले ही दिन जा कर धक्का-मुक्की करते हुए देख ली हो। पर इसका मतलब ये भी नहीं कि हॉल में जाकर फिल्म देखना अच्छा नहीं लगता था। बस दिक्कत मेरे साथ यही है कि मन लायक फिल्म नहीं रहने पर मुझे तीन घण्टे पिक्चर झेल पाना असह्य कार्य लगता है। इसीलिए आजकल काफी तहकीकात करके ही फिल्म देखने जाता हूँ।