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मेरी प्यास हो न हो जग को...मैं प्यासा निर्झर हूँ...- कवि गीतकार पंडित नरेंद्र शर्मा जी की याद में

महान कवि और गीतकार पंडित नरेन्द्र शर्मा जी को उनकी पुण्यतिथि पर याद कर रही है सुपुत्री लावण्य शाह - काव्य सँग्रह "प्यासा ~ निर्झर" की शीर्ष कविता मेँ कवि नरेँद्र कहते हैँ- "मेरे सिवा और भी कुछ है, जिस पर मैँ निर्भर हूँ मेरी प्यास हो ना हो जग को, मैँ,प्यासा निर्झर हूँ" हमारे परिवार के "ज्योति -कलश" मेरे पापा और फिल्म "भाभी की चूडीयाँ " फिल्म के गीत मेँ,"ज्योति कलश छलके" शब्द भी उन्हीँ के लिखे हुए हैँ जिसे स्वर साम्राज्ञी लता दीदी ने भूपाली राग मेँ गा कर फिल्मोँ के सँगीत मेँ साहित्य का,सुवर्ण सा चमकता पृष्ठ जोड दिया !"यही हैँ मेरे लिये पापा"! हमारे परिवार के सूर्य ! जिनसे हमेँ ज्ञान, भारतीय वाँग्मय, साहित्य,कला,संगीत,कविता तथा शिष्टाचार के साथ इन्सानियत का बोध पाठ भी सहजता से मिला- ये उन के व्यक्तित्त्व का सूर्य ही था जिसका प्रभामँडल "ज्योति कलश" की भाँति, उर्जा स्त्रोत बना हमेँ सीँचता रहा - मेरे पापा उत्तर भारत, खुर्जा ,जिल्ला बुलँद शहर के जहाँगीरपुर गाँव के पटवारी घराने मेँ जन्मे थे.प्राँरभिक शिक्षा खुर्जा मेँ हुई