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8 तरह से सुनें सुमित्रा नंदन पंत की 'प्रथम रश्मि'

गीतकास्ट प्रतियोगिता- परिणाम-2: प्रथम रश्मि सुमित्रा नंदन पंत की कविता 'प्रथम रश्मि' को गीतकास्त प्रतियोगिता की दूसरी कड़ी के लिए जब हमने चुना तो यह डर मन में ज़रूर था कि इस कविता के संस्कृतनिष्ठ-शब्द गायन में कहीं बहुत मुश्किल न खड़ी करें। लेकिन अंतिम तिथि यानी 30 जून 2009 तक जब हमें 19 प्रविष्टियाँ प्राप्त हुईं तो हमें यह अहसास हुआ कि कविताओं के प्रति कविता प्रेमियों, गायकों और संगीतकारों का अतिरिक्त प्रेम के सामने यह बाधा क्षणिक ही है, जो दृढ़ इच्छाशक्ति से पार की जा सकती है। 19 में से 11 प्रविष्टियाँ तो संगीत के साथ सजी-धजी हुई थीं। इनमें से दो प्रविष्टियों में फिल्म सरस्वती चंद के मशहूर गीत 'फूल तुम्हें भेजा है खत में॰॰॰" की धुन थी, जिसपर बहुत ही मनोरंजक तरीके से पिता-पुत्र (अम्बरीष श्रीवास्तव व नील श्रीवास्तव) ने 'प्रथम रश्मि' के शब्दों को बिठाया था। इनमें से कक्षा 8 के छात्र नील श्रीवास्तव का हम विशेष उल्लेख करना चाहेंगे जिन्होंने फिल्मी धुन पर ही सही, यह प्रयास किया। शेष प्रविष्टियों के मध्य बहुत काँटे की टक्कर थी। हमने विविध भारती के प्रसिद्ध रेडियो

कवि हेमंत के शब्द और कुमार आदित्य की संगीत-संगत

पिछले सप्ताह आपने कुमार आदित्य विक्रम द्वारा स्वरबद्ध चाँद शुक्ला की एक ग़ज़ल का आनंद लिया। आदित्य में सूर्य की भाँति न खत्म होने वाली संगीत-संयोजन और गायन की ऊर्जा है। व्यवसायिकरण के इस दौर में भी आदित्य पूरी मुश्तैदी के साथ कविताओं को संगीतबद्ध करने का हौसला रखते हैं। आवाज़ भी ऐसी प्रतिभाओं को सलाम करने से कभी नहीं चूकता। एक बार फिर हम कुमार आदित्य विक्रम की ही प्रस्तुति लेकर हाज़िर हैं जो एक युवाकवि को श्रद्धाँजलि है। कुमार आदित्य ने स्व. कवि हेमंत की दो कविताओं का संगीत भी तैयार किया है और गाया भी है। स्वर्गीय कवि हेमंत जन्म: 23 मई 1977, उज्जैन (म.प्र.) शिक्षा: सॉफ़्टवेयर कम्प्यूटर इंजीनियर लेखन: हिन्दी, अंग्रेज़ी, मराठी में कविता-लेखन रचनाएँ: (1) मेरे रहते (कविता-संग्रह) / सं. डा. प्रमिला वर्मा (2) समकालीन युवा कवियों का संग्रह / सं. डा. विनय (3) सौ-वर्ष की प्रेम कविताओं का संग्रह / सं. वीरेंद्रकुमार बरनवाल निधन: 5 अगस्त 2000 — सड़क दुर्घटना में। हेमंत की मृत्यु के बादः इनकी माँ प्रसिद्ध लेखिका संतोष श्रीवास्तव (अध्यक्ष: हेमंत फाउण्डेशन) ने हेमंत की स्मृति में `हेमंत फाउण्ड

तुझे मैं गुनगुनाना चाहता हूँ - चाँद शुक्ला का कलाम

आवाज़ रह-रह कर नयी प्रतिभाओं से आपको रुबरू करवाता रहता है। ऐसे ही एक नये मगर प्रतिभावान संगीतकार-गायक कुमार आदित्य विक्रम से हमने आपको अक्टूबर 2008 में मिलवाया था। कुमार आदित्य विक्रम मुम्बई फिल्म उद्योग में पैर घुसाने के लिए संघर्ष कर रहे हैं। छोटे-बड़े ग़ज़ल-कंसर्टों की नाव पर अपनी ज़िदंगी की नैया खे रहे हैं। संघर्ष के 2-4 महीनों में ये आवाज़ के लिए कुछ करने का समय निकाल ही लेते हैं। इस बार इनकी आवाज़ में हम लाये हैं चाँद शुक्ला 'हदियाबादी' का क़लाम 'तुम्हें मैं गुनगुनाना चाहता हूँ'। चाँद शुक्ला 'हदियाबादी' अपने 'रेडियो सबरंग' नामक प्रयास के लिए खूब पहचाने जा रहे हैं। इस माध्यम से ये कवियों, कहानीकारों, गीतकारों, गायकों इत्यादी की आवाज़ बुलंद कर रहे हैं। लेकिन आज इनकी उस प्रतिभा का ज़िक्र न करके इनकी क़लम की आवाज़ बुलंद कर रहे हैं। इन्हें ग़ज़लें लिखने का शौक है और कुमार आदित्य विक्रम को गाने का। खुद सुनिए कि इन दो प्रतिभाओं का सार क्या है- चाँद शुक्ला 'हदियाबादी' जन्म : भारत के पंजाब प्रांत के जिला कपूरथला के ऐतिहासिक नगर हादियाबाद में। शि

सारी बस्ती निगल गया है (नई धुन, नई ग़ज़ल)

दूसरे सत्र के २५वें गीत के रूप में सुनिए एक ग़ज़ल कुमार आदित्य नाज़िम नक़वी हम वर्ष २००८ के समापन की ओर बढ़ रहे हैं। हिन्द-युग्म की बड़ी उपलब्धियों में से एक उपलब्धि यह भी रही कि ४ जुलाई से अब तक हमने हर शुक्रवार एक नया गाना रीलिज किया। अब तक १७ संगीतकारों से अपना तार जोड़ा। ऐसे ही एक संगीतकार हमें मिले जो फिल्मों में जाने की तमन्ना रखते हैं, जिनके द्वारा कम्पोज एक गीत हमने पिछले शुक्रवार इस सत्र के २४वें गीत के रूप में ज़ारी किया था। आप इनके ऊर्जावान होने का अंदाज़ा यहाँ से लगा सकते हैं कि यह शुक्रवार आया और इन्हें एक नया गीत तैयार कर लिया। जिसमें फिर से इन्हीं की आवाज़ है। जी हाँ, हम अपने २५ गीत के रूप में हिन्द-युग्म के कवि नाज़िम नक़वी की एक ग़ज़ल 'जिस्म कमाने निकल गया है' रीलिज कर रहे हैं, जिसे संगीतबद्ध किया है ग्वालियर के संगीतकार कुमार आदित्य विक्रम ने और आवाज़ है खुद संगीतकार की। तो चलिए सुनते हैं हिन्द-युग्म का २५वाँ गीत- value="transparent"> (सही उच्चारण के साथ) We are heading towards the end of present session. We have releasing released a fresh song on every

खिलखिलाती याद, मुस्कुराती याद, बिगड़ी हुई सी वो चिढ़ाती याद

दूसरे सत्र के २४वें गीत का विश्वव्यापी उद्घाटन हिन्द-युग्म के १०वें गीत ' खुशमिज़ाज मिट्टी ' के बोलों ने आवाज़ के श्रोताओं पर सर चढ़कर बोला। यह ज़ादू किया था गौरव सोलंकी के गीत ने। गौरव सोलंकी जो हिन्द-युग्म के दूसरे यूनिकवि और पाठकों के सबसे प्रिय कवि भी हैं। आज हम जो २४वाँ गीत 'चाँद का आँगन' लेकर आये हैं, उसके बोल भी गौरव ने लिखे हैं। गीत को स्वरबद्ध किया है ग्वालियर निवासी कुमार आदित्य विक्रम ने। कुमार आदित्य विक्रम की आवाज़ में हमने इन्हीं के कवि पिता डॉ॰ महेन्द्र भटनागर की कविता का पॉडकास्ट प्रसारित किया था, तब ही आवाज़ की टीम ने यह जान लिया था कि इस संगीतकार-गायक के पास कविताओं को कम्पोज़ करने का हुनर है। इसलिए हमने सबसे पहले हमने इन्हें गौरव सोलंकी की कविता 'चाँद कला आँगन' कम्पोज करने के लिए दी। आइए सुनते हैं यह गीत- कुमार आदित्य गौरव सोलंकी When Hind-Yugm released its this session 10th song 'Khushmizaz Mitti' , the lyrics of this song had rocked. This magic was of Hind-Yugm's famous writer and poet Gaurav Solanki's creation. Now this

गीत में तुमने सजाया रूप मेरा

मिलिए संगीत का नया सितारा 'कुमार आदित्य' से हिन्द-युग्म ने 'आवाज़' का बीज इंटरनेट रूपी जमीन में पिछले वर्ष इसलिए बोया ताकि इससे उपजने वाले वटवृक्ष की छाया तले नई प्रतिभाएँ सुस्ताएँ, कुछ आराम महसूस करें, इसकी घनी छायातले सुर-साधना कर सकें। २७ अक्टूबर को आवाज़ ने अपनी पहली वर्षगाँठ भी मनाई। और पिछले एक साल में जिस तरह इस वृक्ष को खाद-पानी मिलता रहा उससे यह लगने लगा कि इसकी जड़ें बहुत गहरी जायेंगी और छाया भी घनी से अत्यधिक घनी होती जायेगी। कुमार आदित्य आज हम आपको एक और नये कलाकार से मिलवाने जा रहे हैं। इस सत्र में आप हमारे अब तक रीलिज्ज़ १७ गीतों के संगीतकारों के अतिरिक्त ग़ज़ल-नज़्म गायक-संगीतकार रफ़ीक़ शेख़ , शिशिर पारखी से मिल चुके हैं। आज सुगम संगीत गायक कुमार आदित्य से आपका परिचय करवाने जा रहे हैं। आदित्य कुमार हिन्दी के सुप्रसिद्ध कवि डॉ॰ महेन्द्र भटनागर के सुपुत्र हैं। संगीत एवं कला की नगरी ग्वालियर के एक सुप्रसिद्ध सुगम संगीत गायक हैं। इनकी ईश्वरीय प्रदत्त मधुर आवाज़ के कारण श्रोताओं और चाहने वालों की संख्या दिन-प्रतिदिन बढ़ती जा रही है। अपनी मधुर आवाज़ में गज़ल गायक क