Skip to main content

Posts

Showing posts with the label khushmizaz mitti

पहले चरण की दूसरी समीक्षा में कांटे की टक्कर, सितम्बर के सिकंदरों की

सितम्बर के सिकंदर गीत समीक्षा की पहली परीक्षा से गुजर चुके हैं, आईये जानें हमारे दूसरे समीक्षक की क्या राय है इनके बारे में - पहला गीत खुशमिज़ा़ज मिट्टी । मेरा मानना है कि ये गीत अब तक के सबसे संपूर्ण गीतों में से एक है । इस पर बहस की कोई गुंजाईश ही नहीं है । गायक संगीतकार ने इसके बोलों को बहुत ही संवेदनशीलता के साथ निभाया है । सुबोध साठे को बधाई । गौरव के बोल एक पके हुए गीतकार की कलम से निकले लगते हैं । आवाज़ के सबसे अच्‍छे गीतों में से एक है ये । गीत- 5, धुन और संगीत संयोजन—5, गायकी और आवाज़—5, ओवारोल प्रस्तुति—5 कुल अंक 20 / 20 यानी 10 / 10, कुल अंक अब तक (पहली और दूसरी समीक्षा को मिला कर)= 19 /20 दूसरा गीत— राहतें सारी मुझे लगता है कि इस गाने से किसी भी पक्ष में पूरा न्‍याय नहीं हुआ है । मोहिंदर जी के इस गीत के पहले दो अंतरे अच्‍छे हैं । पर आखिरी दो अंतरे कमजोर लगे । उनमें ‘गेय तत्‍त्‍व’ की कमी नज़र आई । कृष्‍ण राज कुमार ने कोशिश की है कि इस गाने को बहुत ही नाजुक-सा बनाया जाये । पर मुझे लगता है कि इस आग्रह की वजह से गाने के प्रभाव पर बहुत बुरा असर पड़ा है । इस गाने को और चमकाया जा

सितम्बर के सिकंदरों को पहली भिडंत, समीक्षा के अखाडे में...

सितम्बर के सिकंदरों की पहली समीक्षा - समीक्षा ( खुशमिजाज़ मिटटी ) सितम्बर माह का पहला गीत आया है सुबोध साठे की आवाज़ में "खुशमिजाज़ मिट्टी"। गीत लिखा है गौरव सोलंकी ने और संगीतकार खुद सुबोध साठे हैं। गीत के बोल अच्छी तरह से पिरोये गये हैं। गीत की शुरुआत जिस तरह से टुकड़ों में होती है, उसी तरह संगीतकार ने मेहनत करके टुकड़ों में ही शुरुआत दी है। धीमी शुरुआत के बावजूद सुबोध साठे के स्वर मजबूती से जमे हुए नज़र आते हैं। वे एक परिपक्व संगीतकार की तरह गीत की "स्पीड" को "मेण्टेन" करते हुए चलते हैं। असल में गीत का दूसरा और तीसरा अन्तरा अधिक प्रभावशाली बन पड़ा है, बनिस्बत पहले अन्तरे के, क्योंकि दूसरा अन्तरा आते-आते गीत अपनी पूरी रवानी पर आ जाता है। ध्वनि और संगीत संयोजन तो बेहतरीन बन पड़ा ही है इसका वीडियो संस्करण भी अच्छा बना है। कुल मिलाकर एक पूर्ण-परिपक्व और बेहतरीन प्रस्तुति है। गीत के लिये 4 अंक (एक अंक काटने की वजह यह कि गीत की शुरुआत और भी बेहतर हो सकती थी), आवाज और गायकी के लिये 5 अंक (गीत की सीमाओं को देखते हुए शानदार प्रयास के लिये), ध्वनि संयोजन और संगीत के लिय

कुछ बातें गौरव सोलंकी से

आवाज़ पर हमारे इस हफ्ते के सितारे गौरव सोलंकी का सपना है - "ऑस्कर" 7 जुलाई, 1986 को उत्तर प्रदेश के मेरठ जिले के 'जिवाना गुलियान' गाँव में जन्मे गौरव के मन में इंजीनियर बनने की लगन के साथ-साथ एक नन्हे से कवि की कोमल कल्पनायें भी बचपन से पलती रहीं। एक दिन हाथों ने लेखनी को थाम ही लिया और लेखन शुरू हो गया। 15 वर्ष की आयु में काव्य-लेखन आरंभ किया। आई.आई.टी. रुड़की में प्रवेश के बाद शौक अधिक गति से बढ़ने लगा और कवि के शब्दों में अब वे अधिक 'परिपक्व' कविताएँ लिखने लगे हैं। साहित्य पढ़ते समय रुचि अब भी गद्य में ही रही और एक कहानीकार भी भीतर करवट लेने लगा। कहानियाँ लिखनी शुरू की और फिर उपन्यास भी। युग्म के ताज़ा गीत " खुशमिज़ाज मिटटी " के गीतकार गौरव से हमने की एक संक्षिप्त सी बातचीत - हिंद युग्म- गौरव सोलंकी, पहले एक इंजीनियर या एक कवि? गौरव- पहले कवि और बाद में भी :) हिंद युग्म - माँ का स्वेटर, पिता के साथ चाँद तक जाने की तमन्ना, प्रियसी के लिए एक तरफा प्यार, किस कविता ने सबसे ज्यादा संतोष दिया? गौरव- सभी ने अपने अपने वक़्त पर लगभग उतना ही संतोष दिया। शाय

कहने को हासिल सारा जहाँ था...

दूसरे सत्र के १० वें गीत और उसके विडियो का विश्वव्यापी उदघाटन आज. चलते चलते हम संगीत के इस नए सत्र की दसवीं कड़ी तक पहुँच गए, अब तक के हमारे इस आयोजन को श्रोताओं ने जिस तरह प्यार दिया है, उससे हमारे हौसले निश्चित रूप से बुलंद हुए है. तभी शायद हम इस दसवें गीत के साथ एक नया इतिहास रचने जा रहे हैं, आज ये नया गीत न सिर्फ़ आप सुन पाएंगे, बल्कि देख भी पाएंगे, यानि "खुशमिजाज़ मिट्टी" युग्म का पहला गीत है जो ऑडियो और विडियो दोनों रूपों में आज ओपन हो रहा है. सुबोध साठे की आवाज़ से हमारे, युग्म के श्रोता बखूबी परिचित हैं, लेकिन अब तक उन्होंने दूसरे संगीतकारों, जैसे ऋषि एस और सुभोजित आदि के लिए अपनी आवाज़ दी है, पर हम आपको बता दें, सुबोध ख़ुद भी एक संगीतकार हैं और अपनी वेब साईट पर दो हिन्दी और एक मराठी एल्बम ( बतौर संगीतकार/ गायक ) लॉन्च कर चुके हैं, युग्म के लिए ये उनका पहला स्वरबद्ध गीत है, जाहिर है आवाज़ भी उनकी अपनी है, संगीत संयोजन में उनका साथ निभाया है, पुणे के चैतन्य अड़कर ने. गीतकार हैं युग्म के एक और प्रतिष्टित कवि, गौरव सोलंकी, जिनका अंदाज़ अपने आप में सबसे जुदा है, तो आनंद लें