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रविवार सुबह की कॉफी और कुछ दुर्लभ गीत (3)

रविवार सुबह की कॉफी और कुछ दुर्लभ गीतों की सौगात लेकर हम फिर से हाज़िर हैं. आज आपके लिए कुछ ख़ास लेकर आये हैं हम सबके प्रिय पंकज सुबीर जी. हमें उम्मीद ही नहीं यकीन है कि पंकज जी का ये नायाब नजराना आप सब को खूब पसंद आएगा. असमिया संगीतकार और गायक श्री भूपेन हजारिका का गीत "ओ गंगा बहती हो क्‍यों" जब आया तो संगीत प्रेमियों के मानस में पैठता चला गया । हालंकि भूपेन दा काफी पहले से हिंदी फिल्‍मों में संगीत देते आ रहे हैं किन्‍तु उनको हिंदी संगीत प्रेमियों ने इस गाने के बाद हाथों हाथ लिया । यद्यपि 1974 में आई फिल्‍म "आरोप" जिसके निर्देशक श्री आत्‍माराम थे तथा जिसमें विनोद खन्‍ना और सायरा बानो मुख्‍य भूमिकाओं में थे उस फिल्‍म का एक गीत जो लता जी तथा किशोर दा ने गाया था वो काफी लोकप्रिय हुआ था । गीत था- "नैनों में दर्पण है दर्पण में कोई देखूं जिसे सुबहो शाम" । इस फिल्‍म के संगीतकार भी भूपेन दा ही थे । भूपेन दा और गुलजार साहब ने मिलकर जब "रुदाली" का गीत संगीत रचा तो धूम ही मच गई । रुदाली में इस जादुई जोड़ी के साथ त्रिवेणी के रूप में आकर मिली लता जी की आव