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जिन्दा हूँ इस तरह कि गम-ए-जिंदगी नहीं....उफ़ कैसा दर्द है मुकेश के इन स्वरों में...

ओल्ड इस गोल्ड शृंखला # 185 मु केश का फ़िल्म जगत में दाख़िला तो सन् १९४१ में ही हो गया था, लेकिन सही मायने में उनके गानें मशहूर हुए थे सन् १९४८ में जब उन्होने फ़िल्म 'मेला', 'अनोखी अदा'और 'आग' में गानें गाये। जी हाँ, यह वही 'आग' है जिससे शुरुआत हुई थी राज कपूर और मुकेश के जोड़ी की। मुकेश ने राज साहब और उनके इस पहली पहली फ़िल्म के बारे में विस्तार से अमीन सायानी के एक इंटरव्यू में बताया था जिसे हमने आप तक पहुँचाया था 'राज कपूर विशेष' के अंतर्गत, लेकिन उस समय हमने आप को फ़िल्म 'आग' का कोई गीत नहीं सुनवाया था। तो आज वह दिन आ गया है कि हम आप तक पहुँचायें राज कपूर की पहली निर्मित व निर्देशित फ़िल्म 'आग' से मुकेश का गाया वह गीत जो मुकेश और राज कपूर की जोड़ी का पहला पहला गीत था। और पहले गीत में ही अपार कामयाबी हासिल हुई थी। "ज़िंदा हूँ इस तरह के ग़म-ए-ज़िंदगी नहीं, जलता हुआ दीया हूँ मगर रोशनी नहीं"। शुरु शुरु में मुकेश सहगल साहब के अंदाज़ में गाया करते थे। यहाँ तक कि १९४५ की फ़िल्म 'पहली नज़र' में अनिल बिस्वास के संगीत