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आम आदमी की रगों में दौड़ता एक कवि प्रदीप

11 दिसंबर को इनकी 10वीं पुण्यतिथि पर विशेष। कविता, गीत या फिर लेखन की कोई और विधा हो, वो तभी मुकम्मल होती है जब वो सभी सरहदें लांघ कर एक देश से दूसरे देश और दूसरे देश से तीसरे देश तक जा पहुंचे। यद्यपि ऐसे रचनाकारों की गिनती बहुत कम है, लेकिन उन रचनाकारों में एक अग्रणी नाम प्रख्यात कवि और गीतकार प्रदीप का आता है। मध्य प्रदेश में जन्मा यह कवि 11 दिसंबर 1998 को हमें छोड़कर चला गया तो सबकी आंखें नम तो हुई लेकिन प्रदीप की रचनाएँ हर देशवासी और साहित्यप्रेमी की रगों में दौड़ती रही और यह रवानगी का सफर निरंतर चलते रहने वाला है। उनकी रचनाएं उस समय भी देशवासियों में वही जोश भर रही थी जब ताज पर कुछ आतंकियों ने खूनी खेल खेला था, जो जोश आज़ादी के समय अंग्रेज़ों के खिलाफ प्रदीप की रचनाओं ने भरा था। प्रदीप के कुछ मशहूर गीत आज हिमालय की चोटी (क़िस्मत) ऐ मेरे वतन के लोगो आओ बच्चे तुम्हें दिखाएँ (जागृति) हम लाये हैं तूफान से(जागृति) साबरमती के संत तूने (जागृति) ऊपर गगन विशाल (मशाल) कितना बदल गया इंसान (नास्तिक) छोटी सी उम्र में लिखने का शौक प्रदीप को ऐसा चढ़ा कि उनका गीत "हिमालय की चोटी से