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५ फरवरी - आज का गाना

गाना:  है अपना दिल तो आवारा चित्रपट: सोलवाँ साल संगीतकार: सचिन देव बर्मन गीतकार: मजरूह सुलतान पुरी गायक: हेमंत कुमार है अपना दिल तो आवारा न जाने किस पे आयेगा हसीनों ने बुलाया, गले से भी लगाया बहुत समझाया, यही न समझा बहुत भोला है बेचारा, न जाने किस पे आयेगा है अपना दिल तो आवारा ... अजब है दीवाना, न घर ना ठिकाना ज़मीं से बेगाना, फलक से जुदा ये एक टूटा हुआ तारा, न जाने किस पे आयेगा है अपना दिल तो आवारा ... ज़माना देखा सारा, है सब का सहारा ये दिल ही हमारा, हुआ न किसी का सफ़र में है ये बंजारा, न जाने किस पे आयेगा है अपना दिल तो आवारा ... हुआ जो कभी राज़ी, तो मिला नहीं काज़ी जहाँ पे लगी बाज़ी, वहीं पे हारा ज़माने भर का नाकारा, न जाने किस पे आयेगा है अपना दिल तो आवारा ... है अपना दिल तो आवारा न जाने किस पे आएगा ...

है अपना दिल तो आवारा, न जाने किस पे आएगा....हेमंत दा ने ऐसी मस्ती भरी है इस गीत कि क्या कहने

ओल्ड इस गोल्ड शृंखला # 142 ऐ से बहुत से गानें हैं जिनमें किसी एक ख़ास साज़ का बहुत प्रौमिनेंट इस्तेमाल हुआ है, यानी कि पूरा का पूरा गीत एक विशेष साज़ पर आधारित है। 'माउथ ऒर्गन' की बात करें तो सब से पहले जो गीत ज़हन में आता है वह है हेमन्त कुमार का गाया 'सोलवां साल' फ़िल्म का "है अपना दिल तो आवारा, न जाने किस पे आयेगा"। अभी कुछ ही दिन पहले हम ने आप को फ़िल्म 'दोस्ती' के दो गीत सुनवाये थे, " गुड़िया हम से रूठी रहोगी " और " चाहूँगा मैं तुझे साँझ सवेरे "। फ़िल्म 'दोस्ती' में संगीतकार थे लक्ष्मीकांत प्यरेलाल और ख़ास बात यह थी कि इस फ़िल्म के कई गीतों व पार्श्व संगीत में राहुल देव बर्मन ने 'माउथ ओर्गन' बजाया था। इनमें से एक गीत है "राही मनवा दुख की चिंता क्यों सताती है". 'दोस्ती' १९६४ की फ़िल्म थी। इस फ़िल्म से ६ साल पहले, यानी कि १९५८ में एक फ़िल्म आयी थी 'सोलवां साल', और इस फ़िल्म में भी राहुल देव बर्मन ने 'माउथ ओर्गन' के कुछ ऐसे जलवे दिखाये कि हेमन्त दा का गाया यह गाना तो मशहूर हुआ ही