Skip to main content

Posts

Showing posts with the label ghatam

तालवाद्य घटम् पर एक चर्चा

स्वरगोष्ठी – 169 में आज संगीत वाद्य परिचय श्रृंखला – 7 एक सामान्य मिट्टी का घड़ा, जो लोक मंच के साथ ही शास्त्रीय मंच पर भी सुशोभित हुआ     ‘रेडियो प्लेबैक इण्डिया’ के साप्ताहिक स्तम्भ ‘स्वरगोष्ठी’ के मंच पर जारी ‘संगीत वाद्य परिचय श्रृंखला’ की सातवीं कड़ी के साथ मैं कृष्णमोहन मिश्र, अपने साथी स्तम्भकार सुमित चक्रवर्ती के साथ सभी संगीत-प्रेमियों का हार्दिक स्वागत करता हूँ। मित्रों, इस लघु श्रृंखला में हम आपसे भारतीय संगीत के कुछ कम प्रचलित, लुप्तप्राय अथवा अनूठे संगीत वाद्यों की चर्चा कर रहे हैं। वर्तमान में शास्त्रीय या लोकमंचों पर प्रचलित अनेक वाद्य हैं जो प्राचीन वैदिक परम्परा से जुड़े हैं और समय के साथ क्रमशः विकसित होकर हमारे सम्मुख आज भी उपस्थित हैं। कुछ ऐसे भी वाद्य हैं जिनकी उपयोगिता तो है किन्तु धीरे-धीरे अब ये लुप्तप्राय हो रहे हैं। इस श्रृंखला में हम कुछ लुप्तप्राय और कुछ प्राचीन वाद्यों के परिवर्तित व संशोधित स्वरूप में प्रचलित वाद्यों का भी उल्लेख कर रहे हैं। श्रृंखला की आज की कड़ी में हम आपसे एक ऐसे लोकवाद्य पर चर्चा करेंगे जो अवनद्ध व

सुर संगम में आज - लोकप्रिय तालवाद्य घटम की चर्चा

सुर संगम - 17 - घटम जब विक्कु अपना अरंगेत्रम् देने मंच पर जा रहे थे, तब 'गणेश' नामक एक बच्चे ने उनका घटम तोड़ दिया। इसे घटना को वे आज भी अपने करियर के लिए शुभ मानते हैं। सु प्रभात! सुर-संगम के आज के अंक में मैं, सुमित चक्रवर्ती आपका स्वागत करता हूँ। भारतीय संगीत में ताल की भूमिका सबसे महत्त्व्पूर्ण मानी गयी है। ताल किसी भी तालवाद्य से निकलने वाली ध्वनि का वह तालबद्ध चक्र है जो किसी भी गीत अथवा राग को गाते समय गायक को सुर लगाने के सही समय का बोध कराता है। भारतीय शास्त्रीय संगीत में जहाँ कुछ ताल बहुत रसद हैं वहीं कुछ ताल बहुत ही जटिल व जटिल भी हैं। तालों के लिए कई वाद्‍यों का प्रयोग किया जाता है जिनमें तबला, ढोलक, ढोल, मृदंगम, घटम आदि कुछ नाम हम सब जानते हैं। आज के इस अंक में हम चर्चा करेंगे एक बहुत ही लोकप्रिय तालवाद्य - घटम के बारे में। घटम मूलतः दक्षिण भारत के कार्नाटिक संगीत में प्रयोग किया जाने वाला तालवाद्य है। राजस्थान में इसी के दो अनुरूप मड्गा तथा सुराही के नामों से प्रचलित हैं। यह एक मिट्टी का बरतन है जिसे वादक अपनी उँगलियो, अंगूठे, हथेलियों व हाथ की एड़ी से इसके बाहरी