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राम संपथ सफल रहे 'फुकरों' संग एक बार फिर कुछ नया करने में

ताज़ा  सुर ताल - फुकरे अ मित त्रिवेदी की ही तरह राम सम्पंथ भी एक और ऐसे संगीतकार जिनके काम से हमेशा ही नयेपन की उम्मीद रहती है. राम की नयी एल्बम है फिल्म फुकरे  का संगीत. आईये आज की इस महफ़िल में चर्चा करें इसी एल्बम की. यहाँ गीतकार हैं विपुल विग और मुन्ना धिमान. गौरतलब है कि विपुल फिल्म के स्क्रीन लेखक भी हैं.  शीर्षक गीत की रफ़्तार, राम के रचे डी के बॉस  जैसी है, यहाँ भी भूत  है जो लँगोटी लेके भाग  रहा है, पर शाब्दिक रूप से गीत का फ्लेवर काफी अलग है. एक नए गायक अमजद भगडवा की ताज़ी ताज़ी आवाज़ में है ये गीत और शीर्षक गीत अनुरूप पर्याप्त मसाला है गीत में. अमजद की आवाज़ प्रभावी है.  क्लिंटन सेरेजो की दमदार आवाज़ में है अगला गीत रब्बा, जो शुरू तो होता है बड़े ही नर्मो नाज़ुक अंदाज़ में होता है जिसके बाद गीत का रंग ढंग पूरी तरह से बदल जाता है, शब्द बेहद ही खूबसूरत है, और संगीत संयोजन में विविधता भरपूर है जिससे श्रोता पूरे समय गीत से जुड़ा ही रहता है  संगीत  संयोजन की यही विविधता ही अगले गीत जुगाड  की भी शान है, जहाँ धुन कव्वाली नुमा है और बेहद सरल है. जुबान पर चढ़ने में सहज है और त