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नसीर और "फिराक" की बातें

दिल्ली के नेशनल स्कूल ऑफ़ ड्रामा ने बहुत से कलाकार दिए है सिनेमा जगत को पर एक नाम जो इनमें सबसे अहम् है वो है नसीरूदीन शाह का. नसीर अदाकारी का आफताब है. अभिनय की ऐसी रेंज बहुत कम कलाकारों में देखने को मिलती है. जिस दौरान नसीर फिल्मों में आये, उस दौर में व्यवसायिक फिल्मों में अभिनय को कम और "स्टार वैल्यू" को अधिक तरजीह दी जाती थी पर ऐसा भी नहीं था कि सोचपूर्ण और अर्थवान फिल्मों के कद्रदान नहीं थे. यही वो दौर था जब कलात्मक फिल्में जिन्हें समान्तर फिल्मों ने भी अपने चरम को छुआ. श्याम बेनेगल, कुंदन शाह, केतन मेहता, सईद मिर्जा, मुज़फ्फ़र अली, प्रकाश झा, महेश भट्ट सरीखे निर्देशकों ने और नसीर, ओम् पूरी, शबाना आज़मी, और स्मिता पाटिल जैसे दिग्गज फनकारों ने सिनेमा को व्यवस्यिकता की अंधी दौड़ में गुम होने से बचा लिया. इनमें से नसीर ने अभिनय का एक लम्बा सफ़र तय किया है. उनकी सबसे ताजा फिल्म है - फिराक. आगे बढ़ें इससे पहले सुनिए इसी फिल्म से रेखा भारद्वाज की आवाज़ में दर्द की कसक- "मिर्च मसाला" में तानाशाह सूबेदार की भूमिका हो, या "पार" में नौरंगिया का जटिल किरदार हो,