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वर्ष के महाविजेता - 2 : SWARGOSHTHI – 352 : MAHAVIJETA OF THE YEAR - 2

स्वरगोष्ठी – 352 में आज महाविजेताओं की प्रस्तुतियाँ – 2 संगीत पहेली के महाविजेताओं क्षिति, हरिणा और प्रफुल्ल की प्रस्तुतियों से अभिनन्दन क्षिति तिवारी डी.हरिणा माधवी ‘रेडियो प्लेबैक इण्डिया’ के साप्ताहिक स्तम्भ ‘स्वरगोष्ठी’ के मंच पर सभी संगीत-प्रेमियों का नए वर्ष के दूसरे अंक में कृष्णमोहन मिश्र की ओर से हार्दिक अभिनन्दन है। पिछले अंक में हमने आपसे ‘स्वरगोष्ठी’ स्तम्भ के बीते वर्ष की कुछ विशेष गतिविधियों की चर्चा की थी। साथ ही पहेली के चौथे और पाँचवें महाविजेता डॉ. किरीट छाया और विजया राजकोटिया से आपको परिचित कराया था और उनकी प्रस्तुतियों को भी सुनवाया था। इस अंक में भी हम गत वर्ष की कुछ अन्य गतिविधियों का उल्लेख करने के साथ ही संगीत पहेली के प्रथम, द्वितीय और तृतीय महाविजेताओं की घोषणा करेंगे और उनका सम्मान भी करेंगे। ‘स्वरगोष्ठी’ के पाठक और श्रोता जानते हैं कि इस स्तम्भ के प्रत्येक अंक में संगीत पहेली के माध्यम से हम हर सप्ताह भारतीय संगीत से जुड़े तीन प्रश्न देकर पूर्ण अंक प्राप्त करने के लिए आपसे कम से कम दो प्रश्नों का उत्तर पूछते हैं

आफताब-ए-मौसिकी फ़ैयाज़ खाँ : SWARGOSHTHI – 245 : USTAD FAIYAZ KHAN

स्वरगोष्ठी – 245 में आज संगीत के शिखर पर – 6 : उस्ताद फ़ैयाज़ खाँ संगीत जगत के आकाश पर चमकते सूर्य – उस्ताद फ़ैयाज़ खाँ रेडियो प्लेबैक इण्डिया’ के साप्ताहिक स्तम्भ ‘स्वरगोष्ठी’ के मंच पर जारी हमारी सुरमयी श्रृंखला – ‘संगीत के शिखर पर’ की छठीं कड़ी में मैं कृष्णमोहन मिश्र आप सब संगीत-रसिकों का एक बार पुनः अभिनन्दन करता हूँ। इस श्रृंखला में हम भारतीय संगीत की विभिन्न विधाओं में शिखर पर विराजमान व्यक्तित्व और उनके कृतित्व पर चर्चा कर रहे हैं। संगीत गायन और वादन की विविध लोकप्रिय शैलियों में किसी एक शीर्षस्थ कलासाधक का चुनाव कर हम उनके व्यक्तित्व का उल्लेख और उनकी कृतियों के कुछ उदाहरण प्रस्तुत कर रहे हैं। आज श्रृंखला की छठीं कड़ी में हम आज ‘आफताब-ए-मौसिकी’ अर्थात संगीत जगत के सूर्य के नाम से विख्यात, आगरा रँगीला घराने के सिरमौर गायक उस्ताद फ़ैयाज़ खाँ के व्यक्तित्व और कृतित्व की संक्षिप्त चर्चा कर रहे हैं। आज हम आपको उस्ताद फ़ैयाज़ खाँ के स्वरों में पहले राग तिलंग में नोम-तोम का आलाप, राग ललित में एक द्रुत खयाल और राग भैरवी का एक दादरा सुनवाएँगे। भा रत

राग ललित और बसन्त में खयाल : SWARGOSHTHI – 207 : KHAYAL RECITAL

स्वरगोष्ठी – 207 में आज भारतीय संगीत शैलियों का परिचय : 5 : खयाल राग ललित और बसन्त में आलाप, विलम्बित और द्रुत खयाल ‘रेडियो प्लेबैक इण्डिया’ के साप्ताहिक स्तम्भ ‘स्वरगोष्ठी’ के मंच पर लघु श्रृंखला ‘भारतीय संगीत शैलियों का परिचय’ की पाँचवीं कड़ी के साथ मैं कृष्णमोहन मिश्र, आप सब संगीत-प्रेमियों का हार्दिक स्वागत करता हूँ। पाठकों और श्रोताओं के अनुरोध पर आरम्भ की गई इस लघु श्रृंखला के अन्तर्गत हम भारतीय संगीत की उन परम्परागत शैलियों का परिचय प्रस्तुत कर रहे हैं, जो आज भी पीढ़ी-दर-पीढ़ी हमारे बीच उपस्थित हैं। भारतीय संगीत की एक समृद्ध परम्परा है। वैदिक युग से लेकर वर्तमान तक इस संगीत-धारा में अनेकानेक धाराओं का संयोग हुआ। इनमें से जो भारतीय संगीत के मौलिक सिद्धांतों के अनुकूल धारा थी उसे स्वीकृति मिली और वह आज भी एक संगीत शैली के रूप स्थापित है और उनका उत्तरोत्तर विकास भी हुआ। विपरीत धाराएँ स्वतः नष्ट भी हो गईं। पिछली चार कड़ियों में हमने भारतीय संगीत की सबसे प्राचीन और वर्तमान में उपलब्ध संगीत शैली ‘ध्रुपद’ शैली का सोदाहरण परिचय प्रस्तुत किया था। आज के अंक स