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"एक ही ख़्वाब कई बार देखा है मैंने..." - जानिए गुलज़ार और पंचम के नोक-झोक की बातें इस गीत के बनने के दौरान

एक गीत सौ कहानियाँ - 69   'एक ही ख़्वाब कई बार देखा है मैंने...'   रेडियो प्लेबैक इण्डिया' के सभी श्रोता-पाठकों को सुजॉय चटर्जी का प्यार भरा नमस्कार। दोस्तों, हम रोज़ाना रेडियो पर, टीवी पर, कम्प्यूटर पर, और न जाने कहाँ-कहाँ, जाने कितने ही गीत सुनते हैं, और गुनगुनाते हैं। ये फ़िल्मी नग़में हमारे साथी हैं सुख-दुख के, त्योहारों के, शादी और अन्य अवसरों के, जो हमारे जीवन से कुछ ऐसे जुड़े हैं कि इनके बिना हमारी ज़िन्दगी बड़ी ही सूनी और बेरंग होती। पर ऐसे कितने गीत होंगे जिनके बनने की कहानियों से, उनसे जुड़े दिलचस्प क़िस्सों से आप अवगत होंगे? बहुत कम, है न? कुछ जाने-पहचाने, और कुछ कमसुने फ़िल्मी गीतों की रचना प्रक्रिया, उनसे जुड़ी दिलचस्प बातें, और कभी-कभी तो आश्चर्य में डाल देने वाले तथ्यों की जानकारियों को समेटता है 'रेडियो प्लेबैक इण्डिया' का यह स्तम्भ 'एक गीत सौ कहानियाँ'।  इसकी 69-वीं कड़ी में आज जानिए 1977 की फ़िल्म ’किनारा’ के गीत "एक ही ख़्वाब कई बार देखा है मैंने..." के बारे में जिसे भू

"स्कॉलर सा’ब" की देखी एक खास फिल्म - अनुपमा

मैंने देखी पहली फिल्म भारतीय सिनेमा के शताब्दी वर्ष में ‘रेडियो प्लेबैक इण्डिया’ द्वारा आयोजित विशेष अनुष्ठान- ‘स्मृतियों के झरोखे से’ में आप सभी सिनेमा प्रेमियों का हार्दिक स्वागत है। आज माह का दूसरा गुरुवार है और आज बारी है- ‘मैंने देखी पहली फिल्म’ की। इस द्विसाप्ताहिक स्तम्भ के पिछले अंक में पंकज मुकेश की देखी पहली फिल्म के संस्मरण के साझीदार रहे। आज का संस्मरण है वरिष्ठ कथाकार और शायर प्रेमचंद सहजवाला का.  यह भी प्रतियोगी वर्ग की प्रविष्ठि है। ‘ ‘ अनुपमा ’ फिल्म और मेरी पिटाई ...’ बचपन से फिल्मों का शौक था. पांचवीं में पढ़ता था कि हर फिल्म देखने का शौक़ीन बन गया. ‘उड़न खटोला’ फिल्म देखने के लिये बहुत लंबी लाईन में खड़ा हुआ. स्कूल का एक बदमाश सा लड़का भी दिख गया. उस ने उस लंबी लाईन के अंत में से मुझे कॉलर पकड़ कर बाहर खींचा और खींचते खींचते आगे आगे दसवें पन्द्रहवें नंबर पर खड़ा कर गया. मुझे उसकी बदमाशी खूब पसंद आई. पर इस के बावजूद हुआ यह कि जब मैं चौथे नंबर तक पहुँच गया था तब तक खिड़की बंद हो गई और बुकिंग क्लर्क ने बोर्ड लगा दिया – हाऊस फुल! वे यादें बहुत रोचक हैं. माँ