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ज़ुल्मतकदे में मेरे.....ग़ालिब को अंतिम विदाई देने के लिए हमने विशेष तौर पर आमंत्रित किया है जनाब जगजीत सिंह जी को

महफ़िल-ए-ग़ज़ल #८० आ ज से कुछ दो या ढाई महीने पहले हमने ग़ालिब पर इस श्रृंखला की शुरूआत की थी और हमें यह कहते हुए बहुत हीं खुशी हो रही है कि हमने सफ़लतापूर्वक इस सफ़र को पूरा किया है क्योंकि आज इस श्रृंखला की अंतिम कड़ी है। इस दौरान हमने जहाँ एक ओर ग़ालिब के मस्तमौला अंदाज़ का लुत्फ़ उठाया वहीं दूसरी ओर उनके दु:खों और गमों की भी चर्चा की। ग़ालिब एक ऐसी शख्सियत हैं जिन्हें महज दस कड़ियों में नहीं समेटा जा सकता, फिर भी हमने पूरी कोशिश की कि उनकी ज़िंदगी का कोई भी लम्हा अनछुआ न रह जाए। बस यही ध्यान रखकर हमने ग़ालिब को जानने के लिए उनका सहारा लिया जिन्होंने किसी विश्वविद्यालय में तो नहीं लेकिन दिल और साहित्य के पाठ्यक्रम में ग़ालिब पर पी०एच०डी० जरूर हासिल की है। हमें उम्मीद है कि आप हमारा इशारा समझ गए होंगे। जी हाँ, हम गुलज़ार साहब की हीं बात कर रहे हैं। तो अगर आपने ग़ालिब पर चल रही इस श्रृंखला को ध्यान से पढा है तो आपने इस बात पर गौर ज़रूर किया होगा कि ग़ालिब पर आधारित पहली कड़ी हमने गुलज़ार साहब के शब्दों में हीं तैयार की थी, फिर तीसरी या चौथी कड़ी को भी गुलज़ार साहब ने संभाला था..... अब

आनंदम काव्यगोष्ठी की रिकॉर्डिंग

सुप्रसिद्ध कहानीकार उदय प्रकाश के कथापाठ की रिकॉर्डिंग उपलब्ध कराने के साथ ही हमने वादा किया था कि साहित्यिक-सांस्कृतिक आयोजनों की साबूत रिकॉर्डिंग हम आपको सुनवाते रहेंगे। इसके बाद हमने हिन्द-युग्म के कार्यक्रम 'कथापाठ-एक विमर्श' की भी रिकॉर्डिंग उपलब्ध करवाई। आज सुनिए साहित्यिक संस्था आनंदम द्वारा प्रत्येक माह के दूसरे रविवार को दिल्ली में आयोजित होने वाली काव्यगोष्ठी के जनवरी अंक की रिकॉर्डिंग। ज़रूर बताइएगा कि आपको कैसा लगा? इस कार्यक्रम के बहुत से हिस्सों की रिकॉर्डिंग ठीक तरह से नहीं हो पाने के कारण उन्हें सम्पादित कर दिया गया है।

परदा है परदा

गायक कलाकार भी बड़े परदे पर दिखने की कसक को रोक नहीं पाते। हिमेश रेशमिया तो अब ख़ुद को स्टार मानने लगे हैं, सोनू निगम भी एक बार फ़िर वापसी का मन बना रहे हैं। हमारे कैलाश खेर मगर ख़ुद को अभिनय से दूर रखना चाहते हैं, हालाँकि अपने पहले ही मशहूर गीत "अल्लाह के बन्दे" में वो अपने गीत को गाते हुए दुनिया को दिखे थे। उस्ताद नुसरत फतह अली खान ने भी बड़े परदे पर अपनी कव्वाली पर अभिनय किया था और अब अपने गुरु के पदचिन्हों पर चलते उस्ताद राहत फतह अली खान साहब भी दिखेंगे फ़िल्म "दिल कबड्डी" में ख़ुद अपने गाने पर अभिनय करते हुए, अभिनेत्री सोहा अली खान के साथ। यकीनन ये गीत फ़िल्म का सबसे खूबसूरत पहलू होने वाला है. परी को मिला सपनों का शहजादा "परी हूँ मैं..." गाकर पॉप संगीत को लोकप्रिय बनाने वाली सुनीता राव आखिरकार विवाह के बंधन में बंध ही गईं। फ़िल्म "रॉक ऑन" के सिनेमाटोग्राफर (छायाकार), जर्मनी के जासन वेस्ट हैं इस परी के सपनों के शहजादे। जासन सुनीता को पाने के लिए जर्मनी छोड़ मुंबई भारत में आकर बस गए हैं। फ़िल्म रॉक ऑन के आलावा उन्होंने सुनीता के नये वीडियो &qu