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Showing posts with the label blogger's choice with rashmi prabha

"ब्लोग्गर्स चोईस" के पहले सत्र का समापन मेरी पसंद के गीतों के साथ -रश्मि प्रभा

गीतों से शुरू होता है जीवन - कभी माँ की लोरी से, कभी गुड़िया की कहानी से. एड़ी उचकाकर जब मैं खुद गाती थी तो सारी दुनिया अपनी लगती थी ... उसी एड़ी की मासूमियत से शुरू करती हूँ अपनी पसंद - नानी तेरी मोरनी को मोर ले गए .. . मैं बहुत डरती थी, डरती भी हूँ (किसी को बताइयेगा मत, भूत सुन लेगा - हाहाहा ) . जब अपने पापा के स्कूल के एक गेट से दूसरे गेट तक अकेली पड़ जाती थी तो भूत को भ्रमित करने के लिए और खुद को हिम्मत देने के लिए गाती थी - मैं हूँ भारत की नार लड़ने मरने को तैयार ... एक ख़ास उम्र और वैसे ख्वाब .... गीत तो कई थे , पर यह गीत एक समर्पित सा एहसास देता है .... बच्चों के बीच मेरे पैरों में एक अदभुत शक्ति आ जाती, और मैं कहानियों की पिटारी बन जाती .... अपना वह पिटारा आज भी मेरी पसंद में है, जिसे अब मैं अपने सूद को दूंगी यानि ग्रैंड चिल्ड्रेन को .... मेरे बच्चे मेरी ज़िन्दगी और मैं उनकी वह दोस्त माँ , जो उनके चेहरे से मुश्किलों की झलकियाँ मिटा दे ..... यह गीत हमारी पसं

ब्लोग्गर्स चोयिस में आज लावण्या शाह की पसंद

व् धीर , गंभीर, सजग, बाह्यमुखी, सौन्दर्य से भारी लावण्या शाह जी को कौन साहित्यकार ब्लॉगर नहीं जानता, गीतकार/कवि पंडित नरेन्द्र शर्मा जी की सुपुत्री और लता जी की मुहँ बोली बहिन हैं ये. चलिए आज जानते हैं उनकी पसंद के ख़ास 3 गाने कौन से हैं-  1 ) Satyam Shivam Sunderam ( Title song )  Singer : Lata ji :  Lyricist : Pt. Narendra Sharma  MD : Laxmikant / Pyarelal  Raj Kapoor Production 2 ) Nain Diwane Ek nahee mane Film : Afsar AFSAR was first film produced by Dev Anand after  forming Navketan wirh his brothers Chetan and Vijay Anand  Singer :  Suraiya Jamaal Sheikh (June 15, 1929 - January 31, 2004)  was a singer and actress in Indian films, and was popularly known as  Suraiya in the film industry.  She became a superstar in the 1940s and 50s during the time when actors sang their own songs. Music By : S D Burman..Link :  3 ) Baje Re Muraliya Baje  This music is supreme combi

सुमन सिन्हा की पसंद लेकर आयीं हैं रश्मि जी आज अपनी महफ़िल में

जिं दगी  ख्वाब है और सुमन सिन्हा जी,. सोचते जो हैं वो कहते नहीं, लिखते जो हैं वो भूल जाते हैं,  पर ये गीत कभी नहीं खोते उनकी जुबां से - किसी की मुस्कुराहटों पे हो निसार  - जीना इसी का नाम है    ज़िन्दगी ख्वाब है   ख्वाब में सच है क्या और भला झूट ..... जागते रहो मुझसे पहली सी मुहब्बत   मेरे महबूब ना मांग - फैज़   यारों मुझे मुआफ करो   मैं नशे में हूँ - C H Atma आग लगी हमरी झोपडिया में हम गाएँ मल्हार - सगीना महतो    

दर्शन कौर धनोय लायीं हैं रश्मि जी की महफ़िल में कुछ लाजवाब गीत

आज का दिन दर्शन कौर धनोय जी के नाम , जिसमें हैं उनकी पसंद के गीत हमारे बीच . चलिए देखते हैं वे क्या कहती हैं - रश्मि जी नमस्कार ,  मेरे पसंद के गीतों का तो समुंदर भरा पड़ा हैं --इनमें से  5 नायाब मोती निकलना बड़ा मुश्किल काम हैं  --- ये गीत मेरे जीवन की अनमोल पूंजी हैं -- मेरी सांसो में बसे हैं ये गीत -- १. तुम्हे याद करते -करते जाएगी उम्र सारी --तुम ले गए हो अपने संग नींद भी हमारी "--फिल्म -- आम्रपाली ! "यह गीत मुझे उस व्यक्ति की याद दिलाता हैं जिसे मैनें खो दिया हैं --और जो मुझे इस जनम में कभी नहीं मिल सकता  ! उसके जाने से जो स्थान रिक्त हैं उसे कोई नहीं भर सकता !" २. "आपकी नजरों ने समझा --प्यार के काबिल मुझे --दिल की ये धडकन संभल जा मिल गई मंजिल मुझे --फिल्म --- अनपढ़   ! "यह गीत मुझे बेहद पसंद हैं --इसका संगीत,धुन,बोल, और लताजी की आवाज का जादू  --सब मिलाकर जादुई असर करते हैं --जब भी सुनती हूँ तो आँखें नम हो जाती हैं !" ३. " लग जा गले के फिर ये हंसी रात हो न हो

सब कुछ सीख कर भी अनाड़ी रही रंजना भाटिया

रंजना भाटिया जी .... जब मैंने ब्लॉग पढ़ना शुरू किया तो यह मेरी पहली पसंद बनीं. जो सोचता है ख़ास, लिखता है ख़ास तो उसकी पसंद के गीत....होंगे ही न ख़ास. उनके शब्दों से सुनिए - नमस्ते रश्मि जी ...गाने सुनना तो बहुत पसंद है और उस में से पांच गाने चुनना बहुत मुश्किल काम है ...पर कोशिश करती हूँ .... अजीब दास्तां है ये कहाँ शुरू कहाँ खतम ये मंज़िलें है कौन सी न वो समझ सके न हम अजीब दास्तां... फ़िल्म - दिल अपना और प्रीत पराई गायिका - लता मंगेशकर पसंद है इस लिए क्यों कि इस गीत में ज़िन्दगी कि सच्चाई है, एक ऐसी दास्तान जो ज़िन्दगी का सबसे बड़ा सच ब्यान करती है ...और ज़िन्दगी गुजर जाती है समझते समझाते ... सब कुछ सीखा हमने ना सीखी होशियारी सच है दुनियावालों कि हम हैं अनाड़ी दुनिया ने कितना समझाया कौन है अपना कौन पराया फिर भी दिल की चोट छुपा कर हमने आपका दिल बहलाया खुद पे मर मिटने की ये ज़िद थी हमारी... सच है दुनियावालों कि हम हैं अनाड़ी सही में मैं अनाड़ी ही रही ..और दुनिया अपना काम कर गयी ..फिर भी आज तक कोई समझ नहीं पाया ...यह गाना खुद पर लिखा महसूस होता है इ

मोहब्बत में खुद को तलाशती वंदना लायी हैं अपनी पसंद के गीत, रश्मि जी की महफ़िल में

" एक प्रयास " और वंदना जी . ब्लॉग तो उनके और भी हैं, पर यह ब्लॉग उनके कृष्णमय जीवन का आईना है. तो आज के गीतों संग वंदना जी - अपने लफ़्ज़ों में - रश्मि जी, अपनी पसंद के गीत भेज रही हूँ.बहुत मुश्किल काम था मगर किसी तरह पूरा कर दिया है.......ये गीत मुझे इसलिए पसंद हैं क्यूँकि इनमे प्रेम हैं, कसक है, वेदना है, विरह है, मोहब्बत की पराकाष्ठा है जहाँ मोहब्बत लफ़्ज़ों से परे अहसास में जीवंत होती है जहाँ मोहब्बत को किसी नाम की जरूरत नहीं है तो दूसरी तरफ मोहब्बत करने वाला हो तो ऐसा कि सब कुछ भुलाकर चाहे सिर्फ रूह को चाहे जिस्म से परे होकर उसकी आँखों के आँसू भी खुद पी ले मगर उसे दो पल की मुस्कान दे दे. एक तरफ इंतज़ार हो तो ऐसा कि जहाँ मोहब्बत यकीन करती हो हाँ वो आज भी जहाँ होगा मेरे इंतज़ार में ही होगा और मोहब्बत में कशिश होगी या मोहब्बत इतनी बुलंद होगी कि वो जहाँ भी होगा वहीँ से खींचा चला आएगा ...इंतज़ार हो तो ऐसा जिसमे यकीन की चाशनी मिली हो और दूसरी तरफ समर्पण हो तो ऐसा कि खुद से ज्यादा खुशनसीब इन्सान किसी को ना समझे मोहब्बत समर्पण भी तो चाहती है ना...मोहब्बत के हर पहलू को छू

एम् वर्मा के जज्बाती गीतों के रंग रश्मि जी के संग

गीतों से परे हो मन, भला कहाँ संभव है.... तो आज के ब्लौगर हैं एम् वर्मा जी... जिनके जज़्बात ब्लॉग से सभी परिचित हैं, (अगर नहीं हैं तो आज हो जाईये, ये रहे छायाकार ब्लोग्गर एम् वर्मा के जज़्बात ) आज उनकी पसंद के मुश्किल से निकाले गए ५ गानों से परिचित हों रश्मि जी, सादर, मेरे पसंद के पांच गीत - इन गीतों का मेरे जीवन से सम्बन्ध है या नहीं पर इंसान के / इंसानियत के / वतन के और मानावीय संवेदनाओ के अत्यंत निकट प्रतीत होते हैं. इसके अलावा ये कर्णप्रिय और सुमधुर संगीत से भी सुसज्जित हैं. मेरी दृष्टि में ये अमर गीत हैं. ऐ मेरे वतन के लोगो.... आज इंसान को ये क्या हो गया...   मौसम है आशिकाना...   जिंदगी प्यार का गीत है...   जीना यहाँ मरना यहाँ....

जानिये सीमा सिंघल की "सदा" में किन गीतों का निवास है -ब्लोग्गर्स चोयिस में आज

और ब्लॉगर सीमा सिंघल .....डरती हैं पसंद बताते.... :) पसंद तो अपनी ही होती है न. तो ये रही इनकी पसंद - " मेरी पसन्‍द बस ऐसे ही है...अकेलेपन को एक राह मिल जाती है सुनते हुए " रूक जाना नहीं तू कहीं हार के .... इस गीत के बोल हमेशा एक प्रेरणा देते से लगते हैं इसलिए ...   मधुबन खुश्‍बू देता है .... ये गीत इसलिए भाता है जब किसी के चेहरे पर आपकी वज़ह से खुशी होती है ... जिन्‍दगी हर कदम इक नई जंग है ... जीवन में जब भी कभी उलझन आती है तो बस इस गीत के बोल एक सूकून देते हैं ... तेरा मुझसे है पहले का नाता कोई ...ये गीत बस अच्‍छा लगता है...कुछ ज्‍यादा नहीं कह सकती... ना मुंह छिपा के जिओ ... ये गीत सुनने में जितना मधुर है उतना ही एक ऊर्जा भी देता है ...

श्याम कोरी उदय ने कड़वे सच में घोले कुछ मीठे गीत, आज ब्लोग्गर्स चोईस में

श्याम कोरी उदय जी अपने ब्लॉग से मुड़े और कहा - वैसे तो फ़िल्में बहुत ही कम देखना होता है और न ही गाने सुनने का कोई स्पेशल शौक है ... आपके आदेश पर कुछ पसंदीदा गाने भेज रहा हूँ लेकिन इन्हें सुने हुए भी एक अर्सा-सा हो गया है ... पसंद की वजह - गानों में प्रयोग किये गए शब्द व उनके भाव ... १ जिंदगी का सफ़र, है ये कैसा सफ़र, कोई समझा नहीं, कोई जाना नहीं है, जिंदगी को बहुत प्यार हमने किया...(किशोर/सफर) २ होंठों से छू लो तुम, मेरा गीत अमर कर दो / बन जाओ प्रीत मेरी, मेरी जीत अमर कर दो...(प्रेम गीत/जगजीत) ३ कोई फ़रियाद तेरे दिल में दबी हो जैसे...(तुम बिन/ जगजीत सिंह) ४ कहीं दूर जब दिन ढल जाए, सांझ की दुल्हन ... मेरे ख्यालों के आँगन में, कोई सपनों के दीप जलाए...(मुकेश/आनंद) ५ जब कोई बात बिगड़ जाए, जब कोई मुश्किल पड़ जाए, तुम देना साथ मेरा, ओ मेरे हमनवा ... ( कुमार सानु/जुर्म )

आई हैं पल्लवी सक्सेना अपनी पसंद के गीतों के साथ रश्मि जी के कार्यक्रम में

आज की पसंद पल्लवी सक्सेना जी के संग. पल्लवी सक्सेना जी से जब मैंने ५ गीतों की चर्चा की तो उन्होंने कहा - " मैं, यह तो नहीं जानती कि आपको यह गाने क्यूँ चाहिए, मगर इतना ज़रूर कहूँगी, कि यह तो बड़ा ही कठिन सवाल है। फिर भी कुछ गाने है। जो दिल को छु ही जाते हैं। मगर आपने इतने कम गाने चुनने को कहे कि मेरा तो मन ही नहीं भरेगा इसलिए मैं आपको 5 से ज्यादा गाने भेज रही हूँ। जो मुझे बेहद पसंद है और कहीं न कहीं मेरी ज़िंदगी के गुजरे हुए लम्हों से जुड़े हुए है। जो मेरी ज़िंदगी के प्यार और दोस्ती के पवित्र रिश्तों से जुड़े हुए हैं। हर एक गाने में मुझे ज़िंदगी की सच्चाई महसूस होती है। हर गाने में यही महसूस होता है कि यह मेरी ही ज़िंदगी है हर एक गीत में इसलिए मुझे यह सारे गाने बहुत-बहुत अच्छे लगते हैं। मेरी माने तो एक बार you tube पर यह सारे गाने सुनकर देखिये गा आपका भी मन खिल जाएगा गा सच्ची। वैसे तो मेरी लिस्ट कभी खत्म होने वाली नहीं क्यूंकि मुझे गाने सुनना बहुत पसंद है मगर फिलहाल मेरी पसंद के कुछ गीत मैं आपको भेज रही हूँ। " तो लीजिए पल्लवी की पसंद के गीतों में सुनते हैं ये ५ गीत.

मिलिए सागर से जिन्हें लायीं है रश्मि जी ब्लोग्गेर्स चोईस में

सागर को जानना हो तो उसकी लहरों से पूछो, हिम्मत हो तो उसकी गहराई में जाओ - असली सीप असली मोती वहीँ मिलते हैं. चलिए यह जब होगा तब होगा ..... मैंने सागर से उसकी पसंद के ५ गाने मांगे.... सागर ने ४ दिए और कहा - एक पसंद आपकी शामिल हो तो एक सीप और पूर्ण हो.' क्योंकि सागर को ऐतबार है मेरी पसंद पर ('जी' लगाने से सागर की लहरें खो जातीं तो सागर ही लिखा है) तो ४ गाने सागर के, यह कहते हुए कि - 'सुनो और जानो इसमें क्या है !', और साथ में एक गीत मेरी पसंद का. तो सुना जाए - १. दिल ढूंढ़ता है फिर वही फुर्सत के रात दिन - दिल्ली में मशीन बना रहता हूँ, सर पर सलीब लटकती रहती है और ख्यालों को खेत में छोड़ आया हूँ इसलिए... २. तेरे खुशबू में बसे ख़त मैं जलाता कैसे - गंगा, पुल, प्रेम और कोहरे में स्पष्ट दीखता धुंधला सा चेहरा... ३. माई री मैं का से कहूँ पीर अपने जिया की - इसके कुछ शब्द बेहद मौलिक और आत्मीय लगते हैं. ४. वहां कौन है तेरा मुसाफिर जाएगा कहाँ - एस. डी. बर्मन की भटियाली आवाज़... जैसे खाई में कूद जाने का मन होता है. ५. अंत में एक जो आपको सबसे ज्यादा पसंद ह

रश्मि प्रभा के साथ आज ब्लोग्गेर्स चोईस में हैं मशहूर ब्लॉगर यशवंत माथुर

आज अपनी पसंद के गीतों के साथ हमारे वक़्त में योगदान दे रहे हैं यशवंत माथुर. गीत तो वही होते हैं, पर पसंद और असर अलग अलग होते हैं. बमुश्किल गीतों के समंदर की गहराई से इन गीतों को चुना है और मैं उन्हें यहाँ पिरो रही हूँ ...कहते हैं इन गीतों के लिए यशवंत जी, कि इन गीतों का जीवन से यही संबंध हैं कि इन्हें सुन कर मन मे एक अलग ही उत्साह की भावना आती है और कभी कभी आने वाली निराशा में यह गाने मुझे एक सच्चे दोस्त की तरह प्रेरित करते हैं। साथ ही इन गानों को सुन कर कुछ लिखने के लिये भी मूड बन जाता है। ...आप आनंद उठाइए इन गीतों का, और मैं भी जरा अब इन्हें सुनूँ रुक जाना नहीं तू कभी हार के (किशोर कुमार) लक्ष्य को हर हाल मे पाना है (फिल्म लक्ष्य का टाइटिल ट्रैक) बादल पे पाँव है (चक दे इंडिया) धूप निकलती है जहां से (फिल्म -क्रिश) कैसी है ये रुत थी जिसमें फूल बन के दिल खिले (फिल्म दिल चाहता है) यशवंत माथुर 

ब्लोग्गेर्स चोईस में रश्मि जी लायी हैं, शिखा वार्ष्णेय की पसंद के ५ गीत

शिखा वार्ष्णेय से जब मैंने गीत मांगे, तो सुना और भूल गईं. छोटी बहन ने सोचा - अरे यह रश्मि दी की आदत है, कभी ये लिखो, वो दो, ये करो .... हुंह. मैंने भी रहने दिया. पर अचानक जब उसने समीर जी की पसंद को सुना तो बोली - मैं भी...मैं भी.... हाहा, कौन नहीं चाहेगा कि हमारी पसंद से निकले ५ गीतों को हमें चाहनेवाले सुनें! तो शिखा की बड़ी बड़ी बातों से अलग आकर इस बहुत जाननेवाली की पसंद सुनिए उसके शब्दों में लिपटे - रोज की आप धापी से कुछ लम्हें खुद के लिए बचाकर कर रख सर को नरम तकिये पर मूँद कर पलकों को कुछ पल सिर्फ एहसास के जब दरकार हों . यही गीत याद आते हैं. और सुकून दे जाते हैं. आप यूँ फासलों से गुजरते रहे मेरा कुछ सामान - (इजाजत) यह दिल और उनकी निगाहों के साये. होटों से छू लो तुम (प्रेम गीत) दिल तो है दिल .(मुकद्दर का सिकंदर.)

ब्लोग्गर्स चोईस में आज हैं जेनी शबनम और उनकी यादों में बसे कुछ गीत

५ गीतों की असमंजसता में आज हैं हमारे साथ जेनी शबनम जी, किसे चुनूँ किसे रहने दूँ ! धत् - जो पहले मन में आता है, जिसका एक ख़ास संबंध है जीवन से, वो ये हैं ...... गीत व्यक्तित्व की ही झलक हैं, पसंद बताते हैं कि व्यक्ति कैसा है . मन, दर्शन, रहस्य, भक्ति, आशा, निराशा. सबकुछ है गीतों में, जो आपको ही प्रस्तुत करते हैं. ये रहे ५ गीत जेनी जी की पसंद के...श्श्श्श....गीतों के मध्य बातचीत सही नहीं .... बस सुनिए - १. बाबुल की दुआएं लेती जा, जा तुझको सुखी संसार मिले.......... फिल्म - नील कमल मेरे पिता को ये गाना बहुत पसंद था और जब मैं करीब १०-११ साल की थी तब ये गाना सुनते सुनते मेरे पापा रोने लगे थे कि एक दिन मेरी भी शादी इसी तरह हो जाएगी और मैं दूसरे घर चली जाऊँगी. हालांकि मेरी शादी होने तक वो जीवित न रहे. इसलिए जब भी ये गाना सुनती हूँ मुझे मेरे पापा याद आते हैं और उस दिन की घटना भी. २. मैं एक सदी से बैठी हूँ, इस राह से कोई गुजरा नहीं...... फिल्म - लेकिन इस गाने के पसंद की वजह तो मुझे भी नहीं मालूम. पर इतना याद है कि जिस दिन पहली बार इस गाना को सुना तो इसके बोल इतने पसंद आये कि सा

ब्लोग्गर्स चोईस में हैं रश्मि प्रभा के साथ "भला बुरा" समझने वाले शिवम मिश्रा

आज की महफ़िल में अपरोक्ष गुनगुनाते शिवम् मिश्रा जी हैं. इन ५ गानों की सौगात लेने शिवम् जी के पास पहुंची तो पहले एक सवाल का तीर चला, "ये क्यूँ ?" मैंने भी शरारत से कहा - "क्यूँ बताऊँ !" दीदी कहते हैं तो मुस्कान में मायूसी के भाव लाते हुए बोले, "अपनी पसंद को ५ सिर्फ ५ गाने कैसे बताऊँ ???" बताना था ही हर हाल में तो थमा दी लिस्ट ये कहते हुए कि इनको सुनना मेरा सुकून है, बस - तो इनके सुकून के लिए सुनते हैं इनके साथ हम भी इनकी पसंद ... तू मेरे रूबरू है - फिल्म मकबूल ; संगीत - विशाल ; गायक - दलेर महेंदी, राम शंकर और साथी छोड़ आये हम वो गलियां - फिल्म माचिस ; संगीत - विशाल ; गायक - सुरेश वाडेकर , के के, हरीहरण और साथी साँसों की माला पर सिमरु मैं पी का नाम - सूफी ; गायक - उस्ताद नुसरत फ़तेह अली खान और साथी उम्र जलवो में बसर हो यह जरुरी तो नहीं - ग़ज़ल ; गायक :- जगजीत सिंह साहब न ले के जाओ ... मेरे दोस्त का जनाजा है - फिल्म - फिजा ; संगीत :- अनु मालिक ; गायिका - जसपिंदर नरूला

ब्लोग्गर्स चोईस में आज रश्मि प्रभा के साथ हैं उड़न तश्तरी वाले समीर लाल

चिट्ठी आई है आई है चिट्ठी आई है मशहूर ब्लौगर, सहज व्यक्तित्व वाले समीर जी. भारत से कनाडा, कनाडा से भारत - जीने की अदभुत क्षमता है इनमें. नेट एक नशा है लोगों के लिए... इनके लिए है नेट भारत से जुड़े रहने का सुखद एहसास. मित्रों की भरमार, हितैषियों की भरमार, चाहनेवालों की भरमार. बहुत कुछ कहती है इनकी कलम, आज इनकी पसंद के गीत बहुत कुछ कहेंगे ... ५ गीतों का चयन लाखों गीतों में से आसान तो नहीं ही है...आसान बस इतना है कि जो पहले कौंध जाए. कौंधने में भी जीवन के हर मुकाम हैं - आइये बैठ जाइये घेरकर, सुनते हैं समीर जी की पसंद .............. जिन्दगी के अलग अलग अनुभवों से गुजरते, समय बेसमय तरह तरह के आयाम उस वक्त विशेष से एक गीत को पसंद करवाते रहे और आज उन्हीं प्यारे नगमों को सुन उन वक्तों और लम्हों को याद करना दिल को खठ्ठी मीठी यादों की तराई में ले जाकर एक अहसास छोड़ जाता है. जिन्दगी यूँ भी कभी खुशी कभी गम है...मगर ये मुए गम, देर तक भुलाये नहीं भूलते और छा जाते हैं खुशियों भरी यादों पर कोहरा बन कर......यही तो खेल है असल जिन्दगी का. लीजिये सुनिए मेरी ५ पसंद - शर्म आती है मगर आज ये कहना होगा..

ब्लोग्गर्स चोईस विद रश्मि प्रभा - मेहमान है सलिल वर्मा

रश्मि प्रभा  बड़ा जोर है सात सुरों में बहते आंसू जाते हैं थम. संगीत तो वाकई जादू है. दुःख हो सुख हो डूबती कश्ती हो ख्यालों के गीत सुकून देते हैं, राह देते हैं...मैं रश्मि प्रभा अब तक ब्लौगरों की कलम से आपको मिलवाती रही हूँ, इस मंच पर मैं उनकी पसंद के कम से कम 5 गाने आपको सुनाऊंगी, आप भी तो जानिए इनकी पसंद क्या है ! आँखें बन्द कर उनकी पसंद की लहरों में खुद को बहने दीजिये, और बताइए कैसा लगा...क्रम से लोग आ रहे हैं गीतों की खुशबू लिए - ये पहला नाम है सलिल वर्मा जी का,.... रुकिए रुकिए ब्लॉग प्रसिद्द 'चला बिहारी ब्लॉगर बनने' से आप ज्यादा परिचित हैं . थी तो मैं भी , पर ध्यान गया जब मैं बुलेटिन टीम में आई तो इनकी बगिया में भी सैर कर आई. घूमकर आई तो देखा बिहारी भाई बिहारी बहन के बगीचे में घूम रहे हैं .... मैंने पूछा - कौन ? , रश्मि दी .... इस संबोधन के बाद कुछ अनजाना नहीं रहता. लिखते तो सलिल जी बहुत ही बढ़िया हैं, आप मिले होंगे इनसे http://chalaabihari.blogspot.com/ पर . सोच पैनी, कलम ज़बरदस्त... और गानों की पसंद भी ज़बरदस्त.... तो अब देर किस बात की . ये रहे गाने और उनके लिए एक ख