Skip to main content

Posts

Showing posts with the label baba bulle shah

है जिसकी रंगत शज़र-शज़र में, खुदा वही है.. कविता सेठ ने सूफ़ियाना कलाम की रंगत हीं बदल दी है

महफ़िल-ए-ग़ज़ल #१०५ इ ससे पहले कि हम आज की महफ़िल की शुरूआत करें, मैं अश्विनी जी (अश्विनी कुमार रॉय) का शुक्रिया अदा करना चाहूँगा। आपने हमें पूरी की पूरी नज़्म समझा दी। नज़्म समझकर हीं यह पता चला कि "और" कितना दर्द छुपा है "छल्ला" में जो हम भाषा न जानने के कारण महसूस नहीं कर पा रहे थे। आभार प्रकट करने के साथ-साथ हम आपसे दरख्वास्त करना चाहेंगे कि महफ़िल को अपना समझें और नियमित हो जाएँ यानि कि ग़ज़ल और शेर लेकर महफ़िल की शामों (एवं सुबहों) को रौशन करने आ जाएँ। आपसे हमें और भी बहुत कुछ सीखना है, जानना है, इसलिए उम्मीद है कि आप हमारी अपील पर गौर करेंगे। धन्यवाद! आज हम अपनी महफ़िल को उस गायिका की नज़र करने वाले हैं, जो यूँ तो अपनी सूफ़ियाना गायकी के लिए मक़बूल है, लेकिन लोगों ने उन्हें तब जाना, तब पहचाना जब उनका "इकतारा" सिद्दार्थ (सिड) को जगाने के लिए फिल्मी गानों के गलियारे में गूंज उठा। एकबारगी "इकतारा" क्या बजा, फिल्मी गानों और "पुरस्कारों" का रूख हीं मुड़ गया इनकी ओर। २००९ का ऐसा कौन-सा पुरस्कार है, ऐसा कौन-सा सम्मान है, जो इन्हें न मिल

वाह-वाह रम्ज़ सजन दी होर..... महफ़िल-ए-अथाह और "बाबा बुल्ले शाह"

महफ़िल-ए-ग़ज़ल #२३ ए क शख्स जिसे उसकी लीक से हटकर धारणाओं और भावनाओं के कारण गैर-इस्लामिक करार दिया गया और जिसे कज़ा के बाद भी अपने समुदाय का कब्रिस्तान नसीब न हुआ,क्योंकि आसपास के मुल्लाओं को उसकी बातों में "काफ़िर" होने की बू आती थी, नियति का यह खेल देखिए कि आज उसे पूरी दुनिया में इबादत के शिखर पर स्थान दिया जाता है और उसके दर्शन और लेखन की तुलना "रूमि" और "शम्स-ए-तबरिज़" से की जाती है। जन्म से मुसलमान होने के बावजूद उसकी प्रसिद्धि सारे धर्मों में एक-सी है, दरवेश और बुद्धिजीवी उसे "दोनों दुनिया का शेख","खुदा का बंदा" कहकर संबोधित करते हैं और न सिर्फ़ पंजाब बल्कि पूरे मुल्क या कहिए पूरी दुनिया में "पराभौतिक/रहस्यवादी" कविता का जानकार उससे अच्छा नहीं मिलता। उसे "सूफी-साहित्य का शिखर-पुरूष" कहने वाले भी कम नहीं है। "क़सुर" में उसके कब्र के पास की ज़मीन आज भी इंसानियत का दम भरती है और आज भी उस जगह पर बड़े-छोटे का भेदभाव नहीं होता, वहाँ जो भी जाता है कुछ न कुछ हासिल करके हीं आता है। उसका जन्म कब हुआ, इसकी सही