ओल्ड इस गोल्ड शृंखला # 294 आ ज पराग सांकला जी की पसंद पर बारी है तलत महमूद साहब के मख़मली आवाज़ की। १९५१ में 'आराम' और 'तराना' जैसी हिट म्युज़िकल फ़िल्में देने के बाद अनिल बिस्वास के संगीत में १९५२ में प्रदर्शित हुए दो फ़िल्में - 'आकाश' और 'दोराहा'। हालाँकि ये दोनों फ़िल्में ही बॊक्स ऒफ़िस पर असफल रही, लेकिन इनके गीतों को, ख़ास कर फ़िल्म 'दोराहा' के गीतों को लोगों ने पसंद किया। दिलीप कुमार के बाद 'दोराहा' में अनिल दा ने तलत साहब की मख़मली अंदाज़ का इस्तेमाल किया अभिनेता शेखर के लिए। दिल को छू लेनेवाली और पैथोस वाले गानें जैसे कि "दिल में बसा के मीत बना के भूल ना जाना प्रीत पुरानी", "तेरा ख़याल दिल से मिटाया नहीं कभी, बेदर्द मैने तुझको भुलाया नही अभी", और "मोहब्बत तर्क की मैने गरेबाँ चीर लिया मैने, ज़माने अब तो ख़ुश हो ज़हर ये भी पी लिया मैने" इस फ़िल्म के सुपरहिट गानें रहे हैं। दोस्तों, आज है इसी तीसरे गीत की बारी। अनिल दा फ़िल्मों के लिए हल्के फुल्के अदाज़ में ग़ज़लें बनाने के लिए जाने जाते थे जिन्हे आम जन