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प्रीतम लाए हैं बदमाश कम्पनी वाली अय्याशी तो शंकर एहसान लॊय के साथ है धन्नो की हाउसफुल महफ़िल

ताज़ा सुर ताल १८/२०१० सुजॊय - विश्व दीपक जी, साल २०१० के चार महीने बीत चुके हैं, लेकिन मुझे ऐसा लगता है कि वह एक गीत अभी तक नहीं आ सका है जिसे इस साल का 'सॊंग ऒफ़ दि ईयर' कहा जा सकता हो। मेरे हिसाब से तो इस साल का संगीत कुछ ठंडा ठंडा सा चल रहा है। आपके क्या विचार हैं? विश्व दीपक - सुजॊय जी, मैं आपकी बात से एक हद तक सहमत हूँ। फिर भी मुझे न जाने क्यों "रावण" के "रांझा-रांझा" से ढेर सारी उम्मीदें हैं। अभी तक जितने भी गाने इस साल आए हैं, यह गाना मुझे सबसे ज्यादा पसंद है। आगे क्या होगा, यह कहा तो नहीं जा सकता, लेकिन बस चार महीने में 'सॊंग ऒफ़ दि ईयर' का निर्णय कर देना तो जल्दीबाजी हीं होगी। इसलिए धैर्य रखिए.... मुझे पूरा विश्वास है कि बाकी के आठ महीनों में कुछ न कुछ कमाल तो ज़रूर हीं होगा, नहीं तो रावण है हीं। खैर ये बताईये कि आज हम किस फिल्म या फिर किन फ़िल्मों के गानों की चर्चा करने जा रहे हैं। सुजॊय - आज हमने इस स्तंभ के लिए दो ऐसी फ़िल्मों के तीन-तीन गीत चुने हैं जो फ़िल्में हाल ही में प्रदर्शित हो चुकी हैं। ये दो फ़िल्में हैं 'बदमाश कंपनी' और

दरिया उबालने को आ पहूँचे हैं अमित त्रिवेदी और शेल्ली.... फिल्म है "एडमिशन्स ओपन"

ताज़ा सुर ताल १७/२०१० सुजॊय - 'ताज़ा सुर ताल' की एक और कड़ी के साथ मैं और विश्व दीपक तन्हा जी हाज़िर हैं। विश्व दीपक जी, आज आप हमारे श्रोताओं को किस नए फ़िल्म के गानों से रु-ब-रु करवा रहे हैं। विश्व दीपक - आज हमने एक ऐसी फ़िल्म चुनी है जो शायद फ़ॊरमुला फ़िल्मों की ज़रूरतें पूरी नहीं करती। आजकल बहुत सारे निर्माता-निर्देशक नए नए विषयों पर फ़िल्में बना रहे हैं। 'लारजर दैन लाइफ़ इमेज' कहानियों से बाहर निकल कर वास्तविक ज़िंदगी से जुड़ी विषयों पर कई फ़िल्में पिछले कुछ सालों से बन रही है, जिन्हे एक बहुत सराहनीय प्रयास कहा जा सकता है। आज हम ज़िक्र कर रहे हैं आने वाली फ़िल्म 'एडमिशन्स ओपन' की। सुजॊय - मैंने इस फ़िल्म के बारे में कुछ कुछ सुना है और प्रोमोज़ भी देखे हैं। ऐसा लगता है कि इस फ़िल्म के माध्यम से यही संदेश दिया जा रहा है कि जिस विषय में दिलचस्पी हो, जिस क्षेत्र के लिए ईश्वर ने प्रतिभा प्रदान की हो, आदमी को चाहिए कि उसी तरफ़ प्रयास करें। आजकल के माता पिता जिस तरह से अपने बच्चों को ज़बरदस्ती ईंजिनीयरिंग और डाक्टरी की तरफ़ धकेल देते हैं, इससे आगे चलकर ज़िंदगी में