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हरकीरत हीर के मजमुआ-ए-नज़्म 'दर्द की महक' का विमोचन

कविताप्रेमियो, आप सभी को ईद की बधाइयाँ! आज कविता की दुनिया की रुहानी-क़लम अमृता प्रीतम की जयंती है। अमृता अपनी रचनाओं में एक ख़ास तरह की रुमानियत और कोर-संवेदनशीलता के लिए पहचानी जाती हैं। कुछ इसी तरह की रचनाधर्मिता युवा कवयित्री हरकीरत हीर की कविताओं में दृष्टिगोचर होती है। और कितना सुखद संयोग है कि आज ही हरकीरत का भी जन्मदिन है। हरकीरत खुद के अमृता से इस संयोग को चित्रित करते हुए कहती हैं- "...वह अमृता जिसकी आत्मा का इक-इक अक्षर हीर के ज़िस्म में मुस्कुराता है ...जिसकी इक-इक सतर हीर की तन्हा रातों में संग रही है..." नज़्मों से निर्मित उसी हरकीरत की नज़्मों का एक संग्रह 'दर्द की महक' का प्रकाशन हिन्द-युग्म ने किया है। और अमृता की जयंती, हरकीरत के जन्मदिन और ईद के इस महान संयोग पर 'दर्द की महक' का ऑनलाइन विमोचन कर रहा है। (यहाँ से फीटा काटकर विधिवत लोकार्पण करें) 'दर्द की महक' से अमृता के जन्मदिन को समर्पित एक नज़्म उसने कहा है अगले जन्म में तू फ़िर आएगी मोहब्बत का फूल लिए रात .... बहुत गहरी बीत चुकी है मैं हाथों में कलम लिए मग्मूम सी बैठी हूँ .... जान

अपने हाथों करें 'अनुगूँज' का विमोचन

साहित्यप्रेमियो, हिन्द-युग्म विगत 20 महीनों से प्रकाशन में सक्रिय है। हम अपने यहाँ से प्रकाशित पुस्तकों के ऑनलाइन विमोचन का अनूठा कार्यक्रम संयोजित करते हैं, जिससे हर पाठक लोकार्पण करने का सुख प्राप्त कर लेता है। आज हम हिन्द-युग्म प्रकाशन की नवीनतम पुस्तक 'अनुगूँज' का ऑनलाइन विमोचन कर रहे हैं। इस पुस्तक में 28 कवियों की प्रतिनिधि कविताएँ संकलित हैं। संग्रह के लिए कविताओं का संकलन और संपादन रश्मि प्रभा ने किया है। रश्मि प्रभा संग्रह पर टिप्पणी करते हुए कहती हैं- एक कदम के साथ मिलते क़दमों की गूँज अनुगूँज हिंदी साहित्य की साँसों को प्रकृति से जोड़ता है.... वैसे सच तो ये है कि हिंदी के बीज हम क्या लगायेंगे, हिंदी तो हमारा गौरव है- हिंदी साहित्य की जड़ें इतनी पुख्ता रही हैं कि इसे कितना भी काटो, पर इसके पनपने की क्षमता अक्षुण है .... हिन्दुस्तान की मिट्टी हमेशा उर्वरक रही है, बस बीज डालना है और उस पर उग आए अनचाहे विचारों को हटाना है- यही इन्कलाब अनुगूँज है और इसमें शामिल क़दमों को देखकर- साहित्य से जुड़े स्वर कह उठते हैं - 'नहीं है नाउम्मीद इकबाल अपनी किश्ते वीरां से ज़रा नम हो

सीमा सिंघल के कविता-संग्रह 'अर्पिता' का विमोचन अपने कर-कमलों द्वारा करें

सभी साहित्यप्रेमियों को जन्माष्टमी की बधाइयाँ! आज हम इस अवसर पर हिन्द-युग्म प्रकाशन की नवीनतम पुस्तक 'अर्पिता' का ऑनलाइन विमोचन कर रहे हैं। यह पुस्तक युवा कवयित्री सीमा सिंघल का प्रथम काव्य-संग्रह है। चूँकि हिन्द-युग्म का यह मंच ज्यादा बोलने-सुनने और कम लिखने का है। इसलिए हम पुस्तक पर अधिक कलम न चलाकर, सर्वप्रथम तो आपको विमोचन का अवसर प्रदान करते हैं। उसके पश्चात अर्चना चावजी की आवाज़ में पुस्तक पर उनके विचार जानते हैं और उनकी आवाज़ में चुनिंदा कविताएँ सुनते हैं। पहले यहाँ से फीटा काटकर विधिवत लोकार्पण करें। अब नीचे के प्लेयर से अर्चना जी की आवाज़ में पुस्तक-चर्चा सुनें।

19वाँ विश्व पुस्तक मेला में होगा आवाज़ महोत्सव, ज़रूर पधारें

हिन्द-युग्म साहित्य को कला की हर विधा से जोड़ने का पक्षधर है। इसलिए हम अपने आवाज़ मंच पर तमाम गतिविधियों के साथ-साथ साहित्य को आवाज़ की विभिन्न परम्पराओं से भी जोड़ने की कोशिश कर रहे हैं। इसी क्रम में हमने प्रेमचंद की कहानियों को 'सुनो कहानी' स्तम्भ के माध्यम से पॉडकास्ट करना शुरू किया ताकि उन्हें इस माध्यम से भी संग्रहित किया जा सके। 19वाँ विश्व पुस्तक मेला जो प्रगति मैदान, नई दिल्ली में 30 जनवरी से 7 फरवरी 2010 के मध्य आयोजित हो रहा है, में हिन्द-युग्म प्रेमचंद की 15 कहानियों के एल्बम 'सुनो कहानी' को जारी करेगा। इसी कार्यक्रम में जयशंकर प्रसाद, सुमित्रानंदन पंत, सूर्यकांत त्रिपाठी निराला, महादेवी वर्मा, रामधारी सिंह दिनकर, मैथिलीशरण गुप्त की प्रतिनिधि कविताओं के संगीतबद्ध एल्बम ‘काव्यनाद’ का लोकार्पण भी होगा। उल्लेखनीय है कि 18वें विश्व पुस्तक मेला में भी हिन्द-युग्म ने इंटरनेट की हिन्दी दुनिया का प्रतिनिधित्व किया था और अपने पहला उत्पाद के तौर पर कविताओं और संगीतबद्ध गीतों के एल्बम 'पहला सुर' को जारी किया था। सन् 2008 में इंटरनेट पर हिन्दी का जितना बड़ा संसार