Skip to main content

Posts

Showing posts with the label Sangeet Sameeksha

तीन कहानियाँ - तीन डेविड - कुछ भिन्न संगीत

प्लेबैक वाणी -32 -संगीत समीक्षा - डेविड   नए संगीत को परखने की हमारी इस कोशिश में आपका फिर एक बार से स्वागत है. आज जिस एल्बम की हम चर्चा कर रहे हैं वो है बिजॉय ‘शैतान’ नाम्बियार की नई फिल्म ‘डेविड’ के संगीत से सजी. एल्बम में ८ संगीतकारों और ११ गीतकारों ने अपना योगदान दिया है. चलिए देखें इन युवा संगीत कर्मियों ने किन किन रंगों से सजाया है ‘डेविड’ को. एल्बम खुलता है रौक बैंड ब्रह्मफुत्रा के एक शानदार ट्रेक के साथ. ‘गुम हुए’ न सिर्फ अपनी गायिका और धुन के लिए वरन अपने शब्दों के कारण भी खास है. ‘ढूंढेगे उन्हीं राहों को, सुकूँ भरी छांओं को.....वो रास्ते जहाँ खोये थे हम...’ यक़ीनन श्रोताओं को कहीं दूर अपनी यादों में ले जाते हैं. ये बैंड मार्क फुल्गडो और गौरव गोडखिंडी से मिलकर बनता है और इस गीत में अपनी आवाज़ भरी है सिद्धार्थ बसरूर ने. यक़ीनन सिद्धार्थ भी एक जबरदस्त टेलेंट हैं, जिनसे भविष्य में भी श्रोता उम्मीद लगा सकते हैं. ८० के दशक से श्रोताओं के दिलों पर छाया हुआ एक गीत है ‘दमा दम मस्त कलंदर’ जिसे जाने कितने गायकों ने अपने अपने अंदाज़ में श्रो

प्रीतम के संगीत की रेस रेडिओ प्लेबैक इंडिया पर

प्लेबैक वाणी -31 -संगीत समीक्षा - रेस - 2   रेस का पहला संस्करण २००८ में प्रदर्शित हुआ था, जिसे दर्शकों ने हाथों हाथ लिया. करीब ४ साल बाद अब्बास मस्तान लाये हैं इसका नया संस्करण जिसमें एक बार फिर संगीत है प्रीतम दादा का. रेस का संगीत भी फिल्म की रफ़्तार के मुताबिक तेज धुन पर थिरकाने वाला था, जहाँ शीर्षक गीत के अलावा  ‘ ख्वाब देखे ’  और  ‘ जरा जरा ’  जैसे मादक गीत भी खासे लोकप्रिय साबित हुए थे. ऐसे में रेस २ से भी यही उम्मीद रखी जायेगी कि इसका संगीत भी क़दमों को थिरकने पर मजबूर करने वाला होगा. एल्बम की शुरुआत ही काफी धमाकेदार है जहाँ गीत का शीर्षक ही  ‘ पार्टी ऑन माई माईन्ड ’  हो वहाँ रिदम का तूफानी होना लाजमी है. गीत धीमे धीमे जोश में चढ़ता है.शेफाली अल्विरास की मादक आवाज़ में आगाज़ अच्छा होता है जिसे के के की जोशीली आवाज़ का साथ मिलता है जल्दी ही. ताज़ा चलन के अनुरूप यो यो हनी सिंह का रैप भी है तडके के लिए. डिस्को नाईट्स और पार्टियों के लिए एक परफेक्ट गीत है ये. आतिफ असलम और सुनिधि चौहान की आवाज़ में अगला गीत बे इन्तेहाँ एक रूमानी गीत है. मयूर पुरी न