ओल्ड इस गोल्ड शृंखला # 507/2010/207 'ओ ल्ड इज़ गोल्ड' पर इन दिनों आप सुन रहे हैं फ़िल्म जगत के सुप्रसिद्ध संगीतकार जोड़ी लक्ष्मीकांत-प्यारेलाल के संगीत से सजी फ़िल्मों के गानें उन्ही पर केन्द्रित लघु शृंखला 'एक प्यार का नग़मा है' के अंतर्गत। आज के अंक में आवाज़ किशोर कुमार की। सन् १९६९ में एक हिट फ़िल्म आयी थी 'दो रास्ते', जिसके गीतों ने भी ख़ूब धूम मचाये, और आज भी अक्सर कहीं ना कहीं से सुनाई दे जाते हैं। फ़िल्म के सभी गानें अलग अलग मूड के थे और हर गीत लोकप्रिय हुआ था। लता का गाया "बिंदिया चमकेगी" और "अपनी अपनी बीवी पे सबको ग़ुरूर है", लता-रफ़ी का "दिल ने दिल को पुकारा मुलाक़ात हो गई", रफ़ी का "ये रेश्मी ज़ुल्फ़ें", मुकेश का "दो रंग दुनिया के और दो रास्ते" जैसे गानों के साथ साथ एक ग़मज़दा नग़मा भी था किशोर दा का गाया हुआ। उन दिनों रफ़ी और मुकेश ही पार्श्वगायकों का प्रतिनिधित्व कर रहे थे। लेकिन किशोर कुमार तेज़ी से लोकप्रियता के पायदान चढ़ते जा रहे थे और ७० के दशक में जाकर पूरी तरह से छा गए और लगभग सभी समकालीन ना