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Showing posts from October, 2017

फिल्मी चक्र समीर गोस्वामी के साथ || एपिसोड 12 || शकील बदायूनी

Filmy Chakra With Sameer Goswami  Episode 12 Shakeel Badauni फ़िल्मी चक्र कार्यक्रम में आप सुनते हैं मशहूर फिल्म और संगीत से जुडी शख्सियतों के जीवन और फ़िल्मी सफ़र से जुडी दिलचस्प कहानियां समीर गोस्वामी के साथ, लीजिये आज इस कार्यक्रम के बारहवें एपिसोड में सुनिए कहानी सहज शब्दों के जादूगर शकील बदायुनी की...प्ले पर क्लिक करें और सुनें.... फिल्मी चक्र में सुनिए इन महान कलाकारों के सफ़र की कहानियां भी - किशोर कुमार शैलेन्द्र  संजीव कुमार  आनंद बक्षी सलिल चौधरी  नूतन  हृषिकेश मुखर्जी  मजरूह सुल्तानपुरी साधना  एस डी बर्मन राजेंद्र कुमार 

ठुमरी पीलू और देश : SWARGOSHTHI – 341 : THUMARI PILU & DESH

स्वरगोष्ठी – 341 में आज फिल्मों के आँगन में ठुमकती पारम्परिक ठुमरी – 8 : ठुमरी पीलू और देश दो भिन्न रागों में श्रृंगार रस से परिपूर्ण ठुमरी  - “गोरी तोरे नैन काजर बिन कारे...” आशा भोसले और मोहम्मद रफी इकबाल बानो, उस्ताद अख्तर अली और ज़ाकिर अली खाँ ‘रेडियो प्लेबैक इण्डिया’ के साप्ताहिक स्तम्भ ‘स्वरगोष्ठी’ के मंच पर जारी श्रृंखला “फिल्मों के आँगन में ठुमकती पारम्परिक ठुमरी” की इस आठवीं कड़ी में मैं कृष्णमोहन मिश्र अपनी सहयोगी संज्ञा टण्डन के साथ आप सभी संगीत-प्रेमियों का हार्दिक स्वागत करता हूँ। पिछली श्रृंखला की भाँति इस श्रृंखला में भी हम एक नया प्रयोग कर रहे हैं। गीतों का परिचयात्मक आलेख हमारे सम्पादक-मण्डल की सदस्य संज्ञा टण्डन ने प्रस्तुत किया है। आपको हमारा यह प्रयोग कैसा लगा, अवश्य सूचित कीजिएगा। दरअसल यह श्रृंखला पूर्व में प्रकाशित / प्रसारित की गई थी। हमारे पाठकों / श्रोताओं को यह श्रृंखला सम्भवतः कुछ अधिक रुचिकर प्रतीत हुई थी। अनेक संगीत-प्रेमियों ने इसके पुनर्प्रसारण का आग्रह किया है। सभी सम्मानित पाठकों / श्रोताओं के अनुरोध का सम्म

चित्रकथा - 42: फ़िल्मी गीतों में पहेलियाँ

अंक - 42 फ़िल्मी गीतों में पहेलियाँ "ईचक दाना बीचक दाना दाने उपर दाना..."  किसी व्यक्ति की बुद्धि या समझ की परीक्षा लेने वाले एक प्रकार के प्रश्न, वाक्य अथवा वर्णन को पहेली (Puzzle) कहते हैं जिसमें किसी वस्तु का लक्षण या गुण घुमा फिराकर भ्रामक रूप में प्रस्तुत किया गया हो और उसे बूझने अथवा उस विशेष वस्तु का ना बताने का प्रस्ताव किया गया हो। इसे 'बुझौवल' भी कहा जाता है। पहेली व्यक्ति के चतुरता को चुनौती देने वाले प्रश्न होते है। जिस तरह से गणित के महत्व को नकारा नहीं जा सकता, उसी तरह से पहेलियों को भी नज़रअन्दाज नहीं किया जा सकता। पहेलियां आदि काल से व्यक्तित्व का हिस्सा रहीं हैं और रहेंगी। वे न केवल मनोरंजन करती हैं पर दिमाग को चुस्त एवं तरो-ताजा भी रखती हैं। हमारे फ़िल्मी गीतों में भी कई बार हमें पहेलियाँ मिली हैं और ये गीत पहेलियों की वजह से यादगार बन गए हैं। आइए आज ’चित्रकथा’ में नज़र डालें कुछ ऐसे ही फ़िल्मी गीतों पर। हिं दी में पहेलियों का व्यापक प्रचलन रहा है। पहेलियाँ मूलत: दो प्रकार की हैं। कुछ पहेलियाँ ऐसी

संगीत-साम्राज्ञी विदुषी गिरिजा देवी की स्मृतियों को सादर नमन

स्वरगोष्ठी – विशेष अंक में आज विदुषी गिरिजा देवी को भावपूर्ण स्वरांजलि “बाबुल मोरा नैहर छूटल जाए...” ख याल, ठुमरी, चैती, कजरी आदि की अप्रतिम गायिका विदुषी गिरिजा देवी का गत 24 अक्टूबर, मंगलवार को कोलकाता के एक निजी चिकित्सालय में निधन हो गया। वे 88 वर्ष की थी। पिछले कुछ दिनो से वे अस्वस्थ थी। उनके निधन से पूरब अंग ठुमरी का एक महत्वपूर्ण स्थान रिक्त हो गया। उप-शास्त्रीय संगीत को वर्तमान में संगीत के सिंहासन पर प्रतिष्ठित कराने में विदुषी गिरिजा देवी के योगदान को सदियों तक स्मरण किया जाता रहेगा। आयु के नौवें दशक में भी सक्रिय गिरिजा देवी का जन्म 8 मई, 1929 को कला और संस्कृति की राजधानी वाराणसी (तत्कालीन बनारस) में हुआ था। पिता रामदेव राय जमींदार थे और संगीत से उनका विशेष लगाव था। मात्र पाँच वर्ष की गिरिजा के लिए उन्होने संगीत-शिक्षा की व्यवस्था कर दी थी। एक साक्षात्कार में गिरिजा देवी ने स्वीकार किया है कि उनके प्रथम गुरु उनके पिता ही थे। गिरिजा देवी के प्रारम्भिक संगीत-गुरु पण्डित सरयूप्रसाद मिश्र थे। नौ वर्ष की आयु में पण्डित श्रीचन्द्र मिश्र से उन्होंने संगीत की विभि

सुदर्शन रत्नाकर की लघुकथा विश्वसनीय

'बोलती कहानियाँ' स्तम्भ के अंतर्गत हम आपको नई-पुरानी, प्रसिद्ध-अल्पज्ञात, मौलिक-अनूदित, हर प्रकार की हिंदी कहानियाँ सुनवाते रहे हैं। पिछले सप्ताह आपने अनुराग शर्मा की आवाज़ में कविता वर्मा की लघुकथा " अहसास " का पॉडकास्ट सुना था। आज हम आपकी सेवा में प्रस्तुत कर रहे हैं सुदर्शन रत्नाकर की लघुकथा " विश्वसनीय ", जिसको स्वर दिया है अनुराग शर्मा ने। इस कहानी का कुल प्रसारण समय 2 मिनट 53 सेकंड है। सुनें और बतायें कि हम अपने इस प्रयास में कितना सफल हुए हैं। लघुकथा का गद्य ' सेतु पत्रिका ' पर उपलब्ध है। यदि आप भी अपनी मनपसंद कहानियों, उपन्यासों, नाटकों, धारावाहिको, प्रहसनों, झलकियों, एकांकियों, लघुकथाओं को अपनी आवाज़ देना चाहते हैं तो अधिक जानकारी के लिए कृपया admin@radioplaybackindia.com पर सम्पर्क करें। सुदर्शन रत्नाकर अनेक साहित्यक संस्थानों द्वारा पुरस्कृत एवं सम्मानित। हरियाणा साहित्य अकादमी द्वारा वर्ष 2013-14 का 'श्रेष्ठ महिला रचनाकार' का पुरस्कार। केन्द्रीय विद्यालय संगठन द्वारा राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित। हरियाणा साहित्य

फ़िल्मी चक्र समीर गोस्वामी के साथ || एपिसोड 11 || राजेंद्र कुमार

Filmy Chakra With Sameer Goswami  Episode 11 Rajendra Kumar फ़िल्मी चक्र कार्यक्रम में आप सुनते हैं मशहूर फिल्म और संगीत से जुडी शख्सियतों के जीवन और फ़िल्मी सफ़र से जुडी दिलचस्प कहानियां समीर गोस्वामी के साथ, लीजिये आज इस कार्यक्रम के ग्यारहवें एपिसोड में सुनिए कहानी राजेंद्र कुमार की...प्ले पर क्लिक करें और सुनें.... फिल्मी चक्र में सुनिए इन महान कलाकारों के सफ़र की कहानियां भी - किशोर कुमार शैलेन्द्र  संजीव कुमार  आनंद बक्षी सलिल चौधरी  नूतन  हृषिकेश मुखर्जी  मजरूह सुल्तानपुरी साधना  एस डी बर्मन

ठुमरी भैरवी : SWARGOSHTHI – 340 : THUMARI BHAIRAVI

स्वरगोष्ठी – 340 में आज फिल्मों के आँगन में ठुमकती पारम्परिक ठुमरी – 7 : ठुमरी भैरवी पण्डित भीमसेन और सहगल के स्वर में लौकिक और आध्यात्मिक भाव का बोध कराती कालजयी ठुमरी – “बाबुल मोरा...” कुन्दनलाल सहगल पण्डित भीमसेन जोशी ‘रेडियो प्लेबैक इण्डिया’ के साप्ताहिक स्तम्भ ‘स्वरगोष्ठी’ के मंच पर जारी श्रृंखला “फिल्मों के आँगन में ठुमकती पारम्परिक ठुमरी” की इस सातवीं कड़ी में मैं कृष्णमोहन मिश्र अपनी सहयोगी संज्ञा टण्डन के साथ आप सभी संगीत-प्रेमियों का हार्दिक स्वागत करता हूँ। पिछली श्रृंखला की भाँति इस श्रृंखला में भी हम एक नया प्रयोग कर रहे हैं। गीतों का परिचयात्मक आलेख हम अपने सम्पादक-मण्डल की सदस्य संज्ञा टण्डन की रिकार्ड किये आवाज़ में प्रस्तुत कर रहे हैं। आपको हमारा यह प्रयोग कैसा लगा, अवश्य सूचित कीजिएगा। दरअसल यह श्रृंखला पूर्व में प्रकाशित / प्रसारित की गई थी। हमारे पाठकों / श्रोताओं को यह श्रृंखला सम्भवतः कुछ अधिक रुचिकर प्रतीत हुई थी। अनेक संगीत-प्रेमियों ने इसके पुनर्प्रसारण का आग्रह किया है। सभी सम्मानित पाठकों / श्रोताओं के अनुरोध का स

चित्रकथा - 41: भाई-दूज विशेष: फ़िल्म-संगीत जगत में भाई-बहन की जोड़ियाँ

अंक - 41 भाई-दूज विशेष: फ़िल्म-संगीत जगत में भाई-बहन की जोड़ियाँ "एक हज़ारों में मेरी बहना है..."  'रेडियो प्लेबैक इण्डिया' के सभी पाठकों को सुजॉय चटर्जी का प्यार भरा नमस्कार! प्रस्तुत है फ़िल्म और फ़िल्म-संगीत के विभिन्न पहलुओं से जुड़े विषयों पर आधारित शोधालेखों का स्तंभ ’चित्रशाला’। आज रक्षाबंधन है, इस पावन अवसर पर हम अपने सभी पाठकों का हार्दिक अभिनन्दन करते हैं। दोस्तों, हिन्दी सिने संगीत जगत में कई भाई-बहन की जोड़ियों ने काम किया है। आज रक्षाबंधन के अवसर पर आइए ’चित्रशाला’ के ज़रिए याद करें कुछ ऐसे भाई-बहनों को जिन्होंने फ़िल्म संगीत को समृद्ध किया है। तो आइए क्यों ना आज ’चित्रकथा’ के इस अंक में हम याद करें कुछ ऐसी ही भाई-बहन की जोड़ियों को जिन्होंने फ़िल्म-संगीत जगत में अपनी पहचान बनाई हैं, अपनी छाप छोड़ी है। ए क ही परिवार के दो भाई या दो बहनों के फ़िल्म संगीत जगत में काम करने के उदाहरण तो हमें बहुत से मिल जायेंगे, पर एक ही परिवार से एक भाई और एक बहन की जोड़ियों की संख्या उंगलियों पर गिनी जा सकती है। फ़िल्म संगीत के

फ़िल्मी चक्र समीर गोस्वामी के साथ || एपिसोड 10 || एस डी बर्मन

Filmy Chakra With Sameer Goswami  Episode 10 S.D.Burman  फ़िल्मी चक्र कार्यक्रम में आप सुनते हैं मशहूर फिल्म और संगीत से जुडी शख्सियतों के जीवन और फ़िल्मी सफ़र से जुडी दिलचस्प कहानियां समीर गोस्वामी के साथ, लीजिये आज इस कार्यक्रम के दसवें एपिसोड में सुनिए कहानी बेमिसाल बर्मन दा की...प्ले पर क्लिक करें और सुनें.... फिल्मी चक्र में सुनिए इन महान कलाकारों के सफ़र की कहानियां भी - किशोर कुमार शैलेन्द्र  संजीव कुमार  आनंद बक्षी सलिल चौधरी  नूतन  हृषिकेश मुखर्जी  मजरूह सुल्तानपुरी साधना 

ठुमरी भैरवी, खमाज और अड़ाना : SWARGOSHTHI – 339 : THUMARI BHAIRAVI, KHAMAJ & ADANA

स्वरगोष्ठी – 339 में आज फिल्मों के आँगन में ठुमकती पारम्परिक ठुमरी – 6 : ठुमरी भैरवी, खमाज और अड़ाना तीन भिन्न रागों में रसूलन बाई, रोशनआरा बेगम और लता मगेशकर से सुनिए एक ठुमरी – “जा मैं तोसे नाहीं बोलूँ...” लता मंगेशकर रोशनआरा बेगम  और  रसूलन  बाई  ‘रेडियो प्लेबैक इण्डिया’ के साप्ताहिक स्तम्भ ‘स्वरगोष्ठी’ के मंच पर जारी श्रृंखला “फिल्मों के आँगन में ठुमकती पारम्परिक ठुमरी” की इस छठी कड़ी में मैं कृष्णमोहन मिश्र अपनी सहयोगी संज्ञा टण्डन के साथ आप सभी संगीत-प्रेमियों का हार्दिक स्वागत करता हूँ। पिछली श्रृंखला की भाँति इस श्रृंखला में भी हम एक नया प्रयोग कर रहे हैं। गीतों का परिचयात्मक आलेख हम अपने सम्पादक-मण्डल की सदस्य संज्ञा टण्डन की रिकार्ड किये आवाज़ में प्रस्तुत कर रहे हैं। आपको हमारा यह प्रयोग कैसा लगा, अवश्य सूचित कीजिएगा। दरअसल यह श्रृंखला पूर्व में प्रकाशित / प्रसारित की गई थी। हमारे पाठकों / श्रोताओं को यह श्रृंखला सम्भवतः कुछ अधिक रुचिकर प्रतीत हुई थी। अनेक संगीत-प्रेमियों ने इसके पुनर्प्रसारण का आग्रह किया है। सभी सम्मानित पाठकों /