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BAATON BAATON MEIN -16: INTERVIEW OF SOUTH STYLE ICON & MODEL ABHI PRASAD

बातों बातों में - 16

दक्षिण युवा स्टाइल आइकन अभि प्रसाद से बातचीत 


"मेरे लिए शिक्षा प्राथमिकता है और मॉडलिंग् मेरा प्यार है! "  




नमस्कार दोस्तो। हम रोज़ फ़िल्म के परदे पर नायक-नायिकाओं को देखते हैं, रेडियो-टेलीविज़न पर गीतकारों के लिखे गीत गायक-गायिकाओं की आवाज़ों में सुनते हैं, संगीतकारों की रचनाओं का आनन्द उठाते हैं। इनमें से कुछ कलाकारों के हम फ़ैन बन जाते हैं और मन में इच्छा जागृत होती है कि काश, इन चहेते कलाकारों को थोड़ा क़रीब से जान पाते, काश; इनके कलात्मक जीवन के बारे में कुछ जानकारी हो जाती, काश, इनके फ़िल्मी सफ़र की दास्ताँ के हम भी हमसफ़र हो जाते। ऐसी ही इच्छाओं को पूरा करने के लिए 'रेडियो प्लेबैक इण्डिया' ने फ़िल्मी कलाकारों से साक्षात्कार करने का बीड़ा उठाया है। । फ़िल्म जगत के अभिनेताओं, गीतकारों, संगीतकारों और गायकों के साक्षात्कारों पर आधारित यह श्रृंखला है 'बातों बातों में', जो प्रस्तुत होता है हर महीने के चौथे शनिवार को। आज इस स्तंभ में हम आपके लिए लेकर आए हैं दक्षिण भारत के बेंगलुरु स्थित युवा स्टाइल आइकन अभि प्रसाद से टेलीफ़ोन पर की हुई दीर्घ बातचीत के सम्पादित अंश। अभि प्रसाद दक्षिण के जाने-माने फ़ैशन मॉडल हैं और बहुत जल्द दक्षिण फ़िल्म जगत में बतौर नायक पदार्पण करने जा रहे हैं।


    


अभि, नमस्कार, और बहुत बहुत स्वागत है आपका ’रेडियो प्लेबैक इण्डिया’ पर!

नमस्कार, और शुक्रिया आपका मुझे अपने मैगज़ीन में जगह देने के लिए।

सबसे पहले तो मैं अपने पाठकों को यह बता दूँ कि अभिलाश प्रसाद, जो अभि प्रसाद के नाम से मशहूर हैं, उन्होंने बहुत कम उम्र में बहुत लोकप्रियता हासिल कर ली है, यूथ स्टाइल आइकन के रूप में वो युवा-वर्ग में फ़ेमस हैं। उन्होंने मॉडेलिंग् और विज्ञापन जगत में सफलता प्राप्त तो की ही है, साथ ही देश-विदेश के फ़ैशन शोज़ की शान भी बने हैं, कई शोज़ में उन्हें गेस्ट ऑफ़ ऑनर के रूप में आमन्त्रित किया गया है। एक सुपर मॉडल और एक सफल फ़िल्म अभिनेता के रूप में अभि अपने आप को स्थापित होता देखना चाहते हैं। तो आइए, अभि से सवाल-जवाब का सिलसिला शुरू करते हैं।

आपको शुक्रिया इस तारिफ़ के लिए!

अभि, सबसे पहले तो यह बताइए कि आपकी पैदाइश कहाँ की है? अपने परिवार के बारे में कुछ बताइए?


मंज़िल पर है अभि की निगाह
मेरा जन्म केरल में हुआ और वहीं मैं पला-बढ़ा। हम मूलत: केरल से हैं, हमारे पूर्वज वहीं से ताल्लुख रखते हैं। मेरे पिताजी विदेश में कारोबार करते हैं, इस सूत्र से वो बाहर ही रहते हैं। मेरी माँ सरकारी नौकरी में है। मेरा एक छोटा भाई भी है जो अभी पढ़ाई कर रहा है। बस इतना सा है मेरा परिवार। हमारा परिवार एक रूढ़िवादी हिन्दू परिवार है।

तो रुढ़िवादी परिवार होने की वजह से आपको इस मॉडलिंग् और अभिनय के क्षेत्र में उतरते समय बाधाओं का सामना नहीं करना पड़ा?

जी नहीं, मुझे मेरे माता-पिता से इस ओर सहयोग मिला। मेरे पिताजी विदेश में रहते हैं, शायद यह भी एक कारण है कि वो यह समझते हैं कि आज के युग में बच्चा जो करना चाहता है, जो बनना चाहता है, उसे उसी दिशा में बढ़ावा देना चाहिए।

अपने बचपन और स्कूल के दिनों के बारे में बताइए? किस तरह के बच्चे थे आप?

मेरी शुरुआती शिक्षा केरल में ही हुई, पर हाइ स्कूल के समय मैं विदेश चला गया था। फिर उसके बाद मैं वापस केरल आकर यहीं से अपनी पढ़ाई पूरी की। Software Engineer की पढ़ाई पूरी। मैं बचपन से ही बहुत सक्रीय रहा, शर्मिला नहीं था बिल्कुल। हर तरह के सांस्कृतिक कार्यक्रमों, जल्सों और प्रतियोगिताओं में भाग लिया करता था। इस वजह से मैं स्कूल में काफ़ी लोकप्रिय था अपने दोस्तों और शिक्षकों के बीच।

आपने विदेश का उल्लेख किया, किस देश में गए थे आप?


मिलिन्द सोमन के भक्त अभि
ओमान। वहीं मेरे पिता का व्यापार है और वो वहीं रहते हैं। इस तरह से उन्होंने मुझे वहाँ बुला लिया था कुछ समय के लिए।

क्या मॉडलिंग् का अंकुर उन्हीं दिनों आपके अन्दर अंकुरित हुआ था?

उस समय, यानी स्कूल के दिनों में तो इस तरफ़ इतना ध्यान नहीं दिया था, पर हाँ कॉलेज के समय से थोड़ा बहुत इस दिशा में मन होने लगा था। मेरे शारीरिक गठन, मुखमंडल और रूप-रंग को देख कर हर कोई मुझसे इस क्षेत्र में अपनी क़िस्मत आज़माने के लिए कहता। उससे मुझे हौसला मिलता था, आत्मविश्वास बढ़ने लगाता था। कॉलेज की पढ़ाई पूरी होने के बाद मैंने मॉडलिंग् को गम्भीरता से लेना शुरू किया और अपने आप को इस क्षेत्र के लिए तैयार करने में जुट गया।

किस तरह की तैयारी की थी उस समय?

सबसे पहले तो अपने शरीर को मज़बूत बनाना, जिसके लिए मैं सुबह-शाम व्यायाम करता। खाने-पीने पर भी ख़ास ध्यान रखना पड़ता था; क्या खाना चाहिए, क्या नहीं खाना चाहिए, अपने आप पर रोक लगाना उल्टा-सीधा खाने पर, यह सब किया। फिर अपने लूक्स पर काम किया। अपने चलने के तरीके, मैनरिज़्म्स की बारीक़ियों पर ग़ौर किया। इस तरह से उस समय अपने आप को तैयार किया था।

उन दिनों आपके आइडल कौन हुआ करते थे? कौन थे आपके बचपन में आपके प्रेरणास्रोत इस क्षेत्र के?

निस्सन्देह मिलिन्द सोमन।

वाह, क्या बात है!

मिलिन्द सोमन यहाँ के शुरुआती सुपर-मॉडलों में से एक हैं। उनका काफ़ी क्रेज़ हुआ करता था। जब मैं मॉडेलिंग् की दुनिया में क़दम रख रहा था, तब मिलिन्द का काफ़ी हद तक अनुकरण किया करता था। उनके फ़ोटो शूट्स की तसवीरें देखता, कि किस तरह से वो अपने आपको प्रस्तुत करते हैं, किस तरह से देखते हैं, कैसे चलते हैं, वगेरह।

उन दिनों मिलिन्द सोमन के साथ साथ और भी कई बड़े मॉडल हुआ करते थे, तो मिलिन्द से ही आप क्यों इतने ज़्यादा मुतासिर हुए?


पूरब और पश्चिम
इसका कारण है कि मिलिन्द ना केवल एक अच्छे मॉडल हैं, बल्कि एक बहुत अच्छे और मज़बूत खिलाड़ी भी हैं। अधिकतर लोग उन्हें फ़ैशन मॉडल के रूप में जानते हैं, पर बहुत कम लोगों को उनके इस खिलाड़ी रूप के बारे में पता होगा। वो लगातार चार सालों तक राष्ट्रीय तैराक विजेता रह चुके हैं। भारत में वो लिम्का बूक ऑफ़ रेकॉर्ड्स में अपना नाम दर्ज करवा चुके हैं 1500 km की दूरी को 30 दिनों में दौड़ कर पूरी करने की वजह से। भारत में महिलाओं का सबसे बड़ा मैराथन, जिसे ’पिंकाथन’ के नाम से जाना जाता है, उसके वो दूत रहे। और उनकी सबसे बड़ी जो ख़ास बात है, वह यह कि वो आज भी, इस उम्र में भी बेहद सक्रीय हैं। अभी पिछले ही साल, उन्होंने ’Ironman Challenge' को 15 घण्टे और 19 मिनट में पूरी कर अपने पहले प्रयास में ही ’Ironman' की उपाधि प्राप्त की है। इस ख़िताब के लिए उन्हें कुल 16 घण्टों में 3.8 km तैराकी, 180.2 km साइकिल और 42.2 km दौड़ पूरी करनी थी जो उन्होंने किया और इस ख़िताब को हासिल किया।

वाक़ई काबिल-ए-तारिक हैं! और इस दौर के किस मॉडल को आप काफ़ी मानते हैं?

डेविड गैण्डी और केट मॉस।

डेविड गैण्डी ही क्यों?

डेविड गैण्डी मुझे बहुत पसन्द है, उनका स्टाइल और उनकी उपलब्धियाँ। 2009 में Forbes मैगज़ीन ने उन्हें तृतीय स्थान दिया विश्व भर के सफल पुरुष मॉडलों में। प्रथम स्थान मिला था मैट गॉरडन को और दूसरे पायदान पर थे सीन ओ’प्राइ। 2010 में डेविड को ’ब्रिटिश फ़ैशन काउन्सिल’ ने ’मॉडल ऑफ़ दि यीअर’ का ख़िताब दिया और 2011 में उन्हें ’फ़ेस ऑफ़ टुडे’ के लिए नामांकित किया। 2012 के अन्त में models.com ने अपने 'Money Guys' और 'Top Icons' में उन्हें स्थान दिया। 2012 में भी ’ब्रिटिश फ़ैशन काउन्सिल’ ने उन्हें ’मॉडल ऑफ़ दि यीअर’ करार दिया। 2013 में ’बिज़नेस ऑफ़ फ़ैशन’ ने 'BoF 500: The People Shaping the Global Fashion Industry' की घोषणा की जिसके तहत डेविड गैण्डी एकमात्रा पुरुष मॉडल थे 'Models & Muses' विभाग के अन्तर्गत। 2013 में Forbes ने अपनी वर्ल्ड रैंकिंग् को अपडेट करते हुए डेविड गैण्डी को द्वितीय स्थान पर ला खड़ा किया। 2014 में वो models.com के 'Super Men' और 'Sexiest Men' में शामिल हो गए। इसी साल Vogue (US) ने विश्व के ’All Time Top 10 Male Models' में डेविड को द्वितीय स्थान दिया (पहले पर थे टाइसन बेकफ़ोर्ड)। 2014 में ही स्पेन के माद्रिद में आयोजित Men of the Year Awards में उन्हें ’मॉडल ऑफ़ दि यीअर’ का पुरस्कार दिया। और अभी पिछले ही साल Yahoo! Style ने उन्हें 'Top Male Models of 2015' में शामिल किया है। कुल मिला कर पिछले कई सालों से डेविड शिखर पर विराजमान हैं और यह बात मुझे भी उर्जा प्रदान करती है।

और भारत के वर्तमान मॉडलों में आपके पसन्दीदा कौन हैं?


स्टाइल आइकन का अन्दाज़
आसिफ़ अज़ीम और शीतल मल्लार।

वही आसिफ़ अज़ीम जो हाल ही में Big Boss 7 में नज़र आए थे?

जी हाँ, बिल्कुल। आसिफ़ दरसल बांगलादेश का नागरिक है। आसिफ़ आज विश्व के श्रेष्ठ सौ मॉडलों में एक है। और तो और वो काफ़ी पढ़े लिखे भी हैं। उन्होंने ईकोनोमिक्स में एम.ए किया है। और एक अन्तर्रष्ट्रीय अभिनेता भी हैं।

अच्छा अभि, यह बताइए कि आप पढ़ाई-लिखाई में कैसे थे? आप software engineer हैं, इससे कुछ हद तक अनुमान लगाया जा सकता है कि आप अच्छे रहे होंगे। तो फिर इंजिनीयरिंग् के साथ-साथ मॉडलिंग् को प्रोफ़ेशन बनाना, यह कैसे ख़याल आया?

जी, आपने ठीक ही कहा, मैं पढ़ाई में काफ़ी अच्छा था, मैं एक मेहनती छात्र हुआ करता था, और अपनी पढ़ाई को पूरी इमानदारी से निभाता था क्योंकि शिक्षा ही मेरे लिए प्रथम प्राथमिकता रही है। यह बहुत ज़रूरी है। मैं उन लोगों में से नहीं हूँ जो पढ़ाई बीच में ही छोड़ कर मुंबई भाग आते हैं मॉडल या नायक बनने के लिए। इसे आप मेरा पारिवारिक पार्श्व ही समझ लीजिए कि हमारे परिवार में शिक्षा का बहुत बड़ा महत्व है, इसलिए पढ़ाई तो पूरी करनी ही थी। और जहाँ तक मॉडलिंग् का या मॉडल बनने का सवाल है, तो वह मेरा प्यार है, जिसे मैं हर हाल में पाना चाहता था। और यह प्यार हमेशा कायम रहेगा।

वाह, बहुत अच्छे तरीक़े से आपने दोनों का अन्तर स्पष्ट किया, शिक्षा प्राथमिकता है और मॉडलिंग् प्यार है।


बिल्कुल ठीक!

शिक्षा की तरफ़ जो आपका रवैया है, वह प्रशंसनीय है, हर युवा को इससे सीख लेनी चाहिए, ख़ास तौर से उन्हें जो पढ़ाई बीच में ही छोड़ देते हैं क्योंकि उन्हें लगता है कि नायक या मॉडल बनने के लिए उच्च शिक्षा की क्या ज़रूरत है!

जी हाँ, शिक्षा अपनी जगह है, आप जितना पढ़ोगे, उतना ज़्यादा शिक्षित बनोगे।

आपका मॉडलिंग् करीअर कब शुरू हुआ? एक इंजिनीयर और एक मॉडल, इन दोनों को एक साथ कैसे सम्भाला शुरू शुरू में?

जैसा कि मैंने बताया था, ग्रैजुएशन के बाद ही मैंने मॉडलिंग् को गम्भीरता से लिया। दोनों को कैसे सम्भाला यह तो नहीं कह सकता पर हाँ, सम्भाल लिया। और मेदोनों के साथ पूरी-पूरी इमानदारी की। ऐसा नहीं कि मॉडल बनने के चक्कर में इंजिनीयरिंग् के काम में मन नहीं लगाया। जब तक पूरी तरह से एक क्षेत्र में सफलता नहीं मिल जाती, हमें एक बैक-अप की आवश्यकता होती है। इसलिए दोनों को साथ में लेकर चल रहा हूँ। लेकिन जल्दी ही मैं अपने सपनों के साकार होने का बेसबरी से इन्तज़ार कर रहा हूँ।

यहा बताइए कि मॉडलिंग् में आपका पदार्पण कैसे हुआ? कैसे आपको अपना पहला ब्रेक मिला?

मैं केरल में ही मॉडल बनने की तैयारी कर रहा था उस समय। और अकस्मात ही मेरी झोली में मॉडलिंग् करने का एक प्रस्ताव आ गया। हुआ यूं था कि मैं किसी फ़ंक्शन में गया हुआ था। वहाँ के एक स्थानीय डिज़ाइनर ने मुझे देखा, मेरे चलने का तरीका, चेहरा, दृष्टि, और शारीरिक गठन। कुल मिला कर सब उन्हें अच्छा लगा और उन्हें लगा कि मैं इस क्षेत्र में अच्छा प्रदर्शन कर सकता हूँ। वो मेरे पास आए और कहने लगे कि आप मॉडलिंग् क्यों नहीं करते? जब मैंने उनसे यह कहा कि मैं इसी दिशा में आगे बढ़ना चाहता हूँ और जिसके लिए प्रयास कर रहा हूँ, तो उन्होंने उस वक़्त तो कुछ नहीं कहा और ना ही कोई वादा किया, पर अपने अगले ही फ़ैशन शो के लिए मुझे चुना और उसमें मुझे भाग लेने का मौका दिया। बस वहीं से मेरी शुरुआत हुई बतौर प्रोफ़ेशनल मॉडल। और तब से लेकर अब तक यह यात्रा जारी है। निरन्तर प्रयास जारी है अच्छे से अच्छा काम करने का।

फिर उसके बाद आपने सफलता की सीढ़ियाँ कैसे चढ़ी?


जैसा कि मैंने बताया, निरन्तर काम करता गया। मेरे लिए कुछ भी रातों रात नहीं हुआ। मुझे अत्यन्त धैर्य के साथ एक एक कर सीढ़ी चढ़ना पड़ा, जिसके लिए मुझे काफ़ी समय, प्रयास और कठिन परिश्रम करना पड़ा। और धीरे धीरे एक के बाद एक मुझे एक्स्पोज़र मिलता चला गया।

आपने बताया कि आपकी शुरुआत एक फ़ैशन शो में बतौर रैम्प मॉडल हुई। मॉडलिंग् के और किन विधाओं में आपको काम करने का मौका मिला?

रैम्प मॉडल के साथ-साथ मुझे एक प्रिण्ट मॉडल के रूप में भी काफ़ी काम मिलता चला गया। और फिर TVC में भी आ गया।

जिन पाठकों को रैम्प, प्रिण्ट और TVC के बारे में पता नहीं है, क्या आप बताएँगे कि ये क्या हैं?

ज़रूर! रैम्प मॉडलिंग् वह होती है जिसमें मॉडल किसी फ़ैशन शो में लाइव ऑडिएन्स के सामने रैम्प पर चलते हुए अपने पोशाक का प्रदर्शन करता है। इसमें मॉडल के चलने के तौर तरीकों पर लोग ध्यान देते हैं, और पहने हुए पोशाक को आप किस तरह से कैरी करते हैं, उस पर बहुत कुछ निर्भर करता है। बड़े फ़ैशन शोज़ में काफ़ी दबाव रहता है अच्छा प्रदर्शन करने का क्योंकि लोग आपको लाइव देख रहे होते हैं। दूसरा है प्रिण्ट मॉडलिंग्। इसमें लाइव ऑडिएन्स नहीं होती। डिज़ाइनर/ डिरेक्टर और फ़ोटोग्राफ़र और कुछ तकनीकी सहायक होते हैं सेट पर जो प्रिण्ट मीडिया के लिए तसवीरें खींचते हैं, यानी कि अख़्बार, मैगज़ीन या साइन-बोर्ड के लिए विज्ञापन। यह बन्द कमरे में भी हो सकता है और आउट-डोर में भी। इसमें फ़ोटोग्राफ़र का बड़ा रोल होता है, और वो हमें निर्देश देता है कि किस तरफ़ देखना है, हाथ कैसे रखने हैं वगेरह वगेरह। और तीसरे वर्ग में आता है TVC। TVC यानी TV Commercial। टेलीविज़न पर आप जो विज्ञापन देखते हैं, उनमें जो मॉडल्स आपको दिखते हैं, वो इस वर्ग में आता है। TVC का अर्थ है audio-visual advertisements।

बहुत अच्छी तरह से आपने इन तीनों का अन्तर स्पष्ट किया। आपको इसमें से कौन सा सबसे ज़्यादा पसन्द है?


ऐसा कुछ नहीं है, ये तीनों ही अपनी अपनी जगह पे महत्वपूर्ण है। प्रिण्ट और TVC में टीम-वर्क होता है। पूरी यूनिट के योगदान से काम सफल हो पाता है, जैसे कि मैंने बताया फ़ोटोग्राफ़र, विडियोग्राफ़र, लाइटमैन आदि। रैम्प पर ’next take' या ’retake' का कोई अवसर नहीं होता। जो हो गया, सो हो गया। इसलिए बहुत ध्यान पूर्वक काम करना पड़ता है। लूक्स, ऐटिट्युड और कैसे हम अपने आप को पेश कर रहे हैं, इन बातों पर सब निर्भर करता है। अपना आकर्षण बनाए रखना पड़ता है हर क्षण। बस यही सब बातें हैं कुल मिलाकर।

बहुत ख़ूब! आपने बहुत सारे अलग अलग तरह के ब्रैण्ड्स के लिए काम किया है। कुछ के नाम गिनाते चलें?

पोशाक वर्ग में Grasim, Raymond, Celio India जैसे ब्रैण्ड्स के लिए मॉडलिंग् की है। पानीय पदार्थ वर्ग में Bacardi और Pitars जैसे नाम हैं। Green Trends और Toni and Guy जैसे ब्यूटी सालों के लिए काम किया है। Daydome Fitness, Ziggar Fuga, Philips, Malabar Gold, Volvo और TV9 जैसे ब्रैण्ड्स के लिए भी मैंने काम किया है। और अब Kingfisher।

वाह! इसका मतलब आपने केवल एक दो तरह के ब्रैण्ड्स के लिए नहीं बल्कि बहुत से अलग-अलग तरह की कंपनियों के लिए मॉडलिंग् की है। आजकल आप Kingfisher के लिए काफ़ी काम कर रहे हैं। इसके बारे में कुछ बताइए?


Kingfisher के लिए मैं अपने प्रतिपालक या परामर्शदाता और गुरू इओवेल प्रभु को धन्यवाद देना चाहता हूँ क्योंकि उन्होंने ही मुझे Kingfisher का रास्ता दिखाया था। और उनके साथ-साथ कोरीओग्राफ़र राहुल देव शेट्टी को भी धन्यवाद देता हूँ। इन लोगों के साथ काम करते हुए बहुत कुछ सीखने को मिला, एक अन्तराष्ट्रीय स्तर का परिवेश मिला जहाँ बहुत से अन्तराष्ट्रीय मॉडल्स से बातचीत करने का मौका मिला, वो लोग कैसे काम करते हैं, किस तरह का होता है उनका फ़ैशन जगत, ये सब जानने को मिला।

जिन दिग्गज डिज़ाइनरों के लिए आपने काम किया, उनके बारे में बताइए?

मैंने कई बड़े-बडए डिज़ाइनरों के लिए काम किया है जैसे कि चैतन्य राव, सुमित दासगुप्ता, कीर्ति राठौड़, हरि आनन्द, जतिन कोचर, संजना जॉन, रॉकी स्टार, मनोविरज खोसला और ऋतु कुमार। चैतन्य राव चेन्नई में स्थित हैं और तमिल व तेलुगू फ़िल्म जगत में वो एक जाना माना नाम हैं। सुमित दासगुप्ता भी एक बहुत मशहूर डिज़ाइनर हैं। उनकी बड़ी ख़ासियत यह है कि वो एक बहुत बड़े शिक्षित परिवार से ताल्लुख़ रखते हैं। उनके दादा एक ज़मीनदार होते हुए भी कपड़ों का व्यापार शुरू किया जैसे कि पटसन, खादी आदि के कपड़े। स्वाधीनता संग्राम में उन्होंने कई बड़े बड़े सेनानियों जैसे कि चित्तरंजन दास, बंकिम चन्द्र चट्टोपाध्याय और नेताजी सुभाष चन्द्र बोस को खादी के कपड़े मुफ़्त में दिया करते थे। सुमित के पिता इंजिनीयर हैं और माँ एक प्रोफ़ेसर। और वो ख़ुद भी काफ़ी पढ़े-लिखे हैं। ’सर्वमंगला’ के नाम से उनकी फ़ैशन एजेन्सी है। कीर्ति राठौड़ भी मुंबई फ़िल्म जगत से जुड़ी हुई हैं और उन्होंने अमिताभ बच्चन, शाहरुख़ ख़ान, अर्जुन कपूर, विवेक ओबेरोय, इमरान ख़ान, बोनी कपूर, सलमान ख़ान, अजय देवगन, नवाज़ुद्दीन सिद्दीक़ी, सुशान्त सिंह, यामी गौतम, ऋषिता भट्ट, सोनाली राउत, साना ख़ान, पूनम ढिल्लों, पंकज धीर, कार्तिक तिवारी, अनुष्का शर्मा, श्रीदेवी, मन्दिरा बेदी, एजाज़ ख़ान और शक्ति कपूर जैसे कलाकारों के लिए डिज़ाइन कर चुकी हैं। हरि आनन्द भी दक्षिण स्थित डिज़ाइनर हैं जिनका दुनिया भर में नाम है।

आप केरल से हैं और जहाँ तक मुझे याद है एक बार हरि आनन्द ने कोचि में आयोजित अन्तराष्ट्रीय फ़ैशन शो में भाग लिया था और काफ़ी चर्चित हुए थे?


जी हाँ बिल्कुल! फिर जतिन कोचर भी एक बहुत बड़े डिज़ाइनर हैं। उनका मुझे यह अच्छा लगता है कि वो सिर्फ़ एक डिज़ाइनर ही नहीं हैं, बल्कि उनकी रचनात्मक्ता इतनी है कि वो ऐंकरिंग् भी कर लेते हैं, लिखते भी हैं। उनके डिज़ाइन किए कपड़े बहुत ही साधारण लेकिन उच्चस्तरीय होते हैं ताकि आम लोग उन्हें पहन कर बाहर निकल सके। उन्हें बहुत से पुरस्कार भी मिले हैं। संजना जॉन, जो अमरीका स्थित डिज़ाइनर हैं, वो मशहूर डिज़ाइनर आनन्द जॉन की बहन हैं। रॉकी स्टार ’Rocky S' के ब्रैण्ड नेम से अपना काम करते हैं। वो भारत के पहले डिज़ाइनर हैं जिन्होंने एक सुगंधी का प्रमोचन किया। Rocky S Noir Femme और Rocky s Noir Pour Hommes, इन सुगंधियों का अनावरण अर्जुन रामपाल के हाथों हुआ था। मनोविरज खोसला बेंगलुरु स्थित डिज़ाइनर हैं जिनका सिग्नेचर है ट्रेन्डी ऐण्ड हिप। और ऋतु कुमार के नाम से तो हर कोई वाकिफ़ हैं ही, उनके बारे में और क्या बताऊँ!

किसी भी मॉडल के लिए उसके फ़ोटोग्राफ़र पर बहुत कुछ निर्भर करता है। कौन हैं आपके सबसे पसन्दीदा फ़ोटोग्राफ़र?
मनपसन्द फ़ोटोग्राफ़र अमित खन्ना के कैमरे से

आपने बिल्कुल सही कहा कि फ़ोटोग्राफ़र पर बहुत कुछ निर्भर करता था। अगर वो चाहे तो काम बना भी सकता है और चाहे तो बिगाड़ भी सकता है। मैंने भारत के बहुत सारे फ़ोटोग्राफ़र्स के साथ काम किया है, पर मुझे जो सबसे ज़्यादा पसन्द हैं वो हैं अमित खन्ना।

एक समय था जब नए मॉडलों के साथ काफ़ी शोषण होता था। काम मिलने के लिए कई समझौते करने पड़ते थे बहुतों को। और अब समय के साथ-साथ लोगों ने इसे भी ’part of the game' मान लिया और अब तो यह एक आम बात हो गई है। आपका क्या ख़याल है इस बारे में?


मुझे नहीं लगता कि हर किसी को इससे गुज़रना पड़ता है। मैं यह इसलिए कह सकता हूँ क्योंकि मैं इसी इन्डस्ट्री का हिस्सा हूँ और मुझे कभी किसी ने शोषित नहीं किया। हाँ, यह बात ज़रूर है कि मुझे सफलता धीरे धीरे मिली जिसके लिए मुझे निष्ठा, स्थिरता, सपना और जोश को हमेशा बरकरार रखना पड़ा। जो लोग रातों रात स्टार बनने का सपना रखते हैं, वो अक्सर ग़लत जगह फँस जाते हैं और शिकायत करते हैं कि उनका शोषण हो गया। इस इंडस्ट्री में बहुत नकल लोग घुस गए हैं जो नवान्तुकों को बेवकूफ़ बना कर पैसे लूट लेते हैं या उनका शारीरिक शोषण करते हैं। इसलिए सही व्यक्ति को चुनने में ग़लती नहीं होनी चाहिए। और हाँ, there is no shortcut to success.

यह बहुत ही अच्छी बात बताई आपने कि सफलता का रास्ता लम्बा है, जल्द-बाज़ी में खेल बिगड़ सकता है ज़िन्दगी भर के लिए। उन मॉडल्स के लिए आप क्या सलाह देंगे जो इन नीची राहों को स्वीकार कर लेते हैं ऊँचाइयों तक पहुँचने के लिए?

यह अपने अपने विचार हैं, मैं कोई टिप्पणी नहीं कर सकता। अगर उन्हें लगता है कि वो जो कुछ कर रहे हैं, वो उनके लिए सही है, तो फिर सही है।

इस दौर में बहुत से मॉडल्स सफल टीवी व फ़िल्म अभिनेता भी बन गए हैं। आप इस राह में अग्रसर नहीं हो रहे?

जी ज़रूर! यह मेरा अगला क़दम होगा अपने करीयर का। दक्षिण के कुछ निर्देशकों के साथ मेरी बातचीत चल रही है। सही समय और सही प्रोजेक्ट जैसे ही हाथ लगेगा, मैं अभिनय जगत में क़दम रख दूँगा। इस वक़्त इससे ज़्यादा मैं कुछ और नहीं बता सकता।

अभिनय की बात चल रही है तो यह बताइए कि आपके पसन्दीदा अभिनेता-अभिनेत्रियाँ कौन कौन हैं?


निस्सन्देह अमिताभ बच्चन और रेखा। और पश्चिम की बात करें तो ब्रैड पिट्ट और मेगा फ़ॉक्स।

वाह, बहुत अच्छी पसन्द है आपकी! अच्छा अपने शारीरिक गठन को बरकरार रखने के लिए किस तरह की कसरत करते हैं आप?

मेरा फ़िटनेस रिजिम (स्वस्थ रहने की पद्धति) दूसरों से बिल्कुल अलग है। मैं अन्य बॉडी-बिल्डर्स की तरह स्टेरोएड वगेरह नहीं लेता। मैं हमेशा फ़िट रहने की कोशिश करता हूँ प्राकृतिक तरीकों से। प्राकृतिक संतुलित आहार का सेवन करता हूँ। प्रचूर मात्रा में फल, फलों के रस, और पानी पीता हूँ। जहाँ जिम में व्यायाम करने की बात है तो हर रोज़ करीब एक घण्टे जिम में रहता हूँ जिसमें बीस मिनट कार्डिओ और चालीस मिनट का वेट ट्रेनिंग् होता है। इस तरह से हमेशा सौन्दर्यात्मक रूप बनाए रखने की कोशिश करता हूँ।

और खाली समय में क्या करते हैं? आपकी रुचियाँ क्या हैं?

मुझे फ़ूटबॉल खेलने का बहुत शौक है और अब भी मैं खेलता हूँ। और मैं पेण्टिंग् भी करता हूँ।

वाह! बहुत ख़ूब! खेलकूद और कला, दोनों से आपका लगाव है यह जानकर बहुत अच्छा लगा। अच्छा यह बताइए कि आप जिस सॉफ़्टवेयर कंपनी में नौकरी करते हैं, वहाँ के आपके सहकर्मियों से आपके मॉडलिंग् के बारे में कैसी प्रतिक्रियाएँ मिलती हैं?


मेरे सहकर्मी मित्रगण मुझे भरपूर सहयोग देते हैं ताकि मैं दोनों काम अच्छी तरीके से निभा सकूँ। दोनों इंडस्ट्री एक दूसरे से बिल्कुल विपरीत हैं, फिर भी मुझे ज़्यादा परेशानी उठानी नहीं पड़ी क्योंकि मुझे अपने सहकर्मियों से पूरा पूरा सहयोग मिला। वो लोग मेरे मॉडलिंग् के काम की सराहना करते हैं और मुझे प्रोत्साहित करते हैं और उपर चढ़ने के लिए।

एक सॉफ़्टवेयर इंजिनीयर होने के नाते आपके मन में कभी यह ख़याल नहीं आया कि अमरीका जाकर एक अच्छी नौकरी के साथ सेटल हो जाऊँ?

अमरीका छुट्टियाँ बिताने के लिए अच्छा है, मुझे अपने देश से प्यार है और मैं यहीं स्थापित होना चाहता हूँ।

बहुत अच्छे! बेंगलुरू से मुंबई स्थानान्तरित होने के बारे में क्या विचार हैं? वैसे क्या फ़र्क है बेंगलुरू और मुंबई फ़ैशन जगत में?

मैंने अपनी करीअर की शुरुआत बेंगलुरू में की थी, इसलिए इस जगह से मुझे बहुत लगाव है और कई भावनाएँ जुड़ी हुई हैं। मेरा मुंबई जाना लगा रहता है काम के सिलसिले में, इस तरह से बेंगलुरू और मुंबई, दोनों जगहों के बीच संतुलन बनाए रखा हुआ हूँ। लेकिन यह सत्य है कि फ़ैशन जगत की जहाँ तक बात है, मुंबई का कोई मुक़ाबला नहीं। मुंबई हमारा फ़ैशन कैपिटल है और इस क्षेत्र में वहाँ ढेरों मौके और सुविधाएँ हैं।

नई पीढ़ी जो इस क्षेत्र में आना चाहते हैं, उन्हें आप क्या सलाह देंगे?

मैं वही बात दोहराता हूँ कि शिक्षा का कोई विकल्प नहीं है। पहले शिक्षित हो जाइए, कम से कम ग्रैजुएशन कम्प्लीट कीजिए, फिर इस क्षेत्र में क़दम रखिए। मॉडलिंग् के क्षेत्र में उतरने से पहले अपना आंकलन ख़ुद कीजिए कि क्या आप में वह बात है? कई बार ऐसा होता है कि दोस्त लोग या रिश्तेदार बढ़ा-चढ़ा कर तारीफ़ें कर देते हैं और उपर चढ़ा देते हैं, जिन्हें सुन कर वह ख़्वाबों की दुनिया में चला जाता है। यह राह आसान नहीं है, इस चमक-दमक के पीछे जो अन्धेरा है, उससे सावधान हो जाइए और सोच विचार के बाद, अपना आंकलन करने के बाद इस क्षेत्र में पूरी तैयारी के साथ उतरिए।

अभि, बहुत अच्छा लगा आपसे इतनी लम्बी बातचीत करके। बहुत बहुत धन्यवाद आपका जो अपनी व्यस्तता के बावजूद हमें इतना समय दिया। हम आपको शुभकामनाएँ देते हैं कि आप दिन दुगुनी रात चौगुनी तरक्के करें, आने वाले समय में आप सुपरमॉडल के रूप में प्रतिष्ठा पाएँ, और फ़िल्म जगत में अपना नाम रोशन करें जैसा कि आपका सपना है। बहुत बहुत धन्यवाद, नमस्कार!

आपको बहुत बहुत धन्यवाद इस मुलाक़ात के लिए, आपकी शुभकामनाओँ के लिए। नमस्कार!




आपको हमारी यह प्रस्तुति कैसी लगी, हमे अवश्य बताइएगा। आप अपने सुझाव और फरमाइशें ई-मेल आईडी soojoi_india@yahoo.co.in पर भेज सकते है। अगले माह के चौथे शनिवार को हम एक ऐसे ही चर्चित अथवा भूले-विसरे फिल्म कलाकार के साक्षात्कार के साथ उपस्थित होंगे। अब हमें आज्ञा दीजिए। 



प्रस्तुति : सुजॉय चटर्जी 





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सुर संगम - 05 भारतीय संगीत की विविध विधाओं - ध्रुवपद, ख़याल, तराना, भजन, अभंग आदि प्रस्तुतियों के माध्यम से सात दशकों तक उन्होंने संगीत प्रेमियों को स्वर-सम्मोहन में बाँधे रखा. भीमसेन जोशी की खरज भरी आवाज का वैशिष्ट्य जादुई रहा है। बन्दिश को वे जिस माधुर्य के साथ बदल देते थे, वह अनुभव करने की चीज है। 'तान' को वे अपनी चेरी बनाकर अपने कंठ में नचाते रहे। भा रतीय संगीत-नभ के जगमगाते नक्षत्र, नादब्रह्म के अनन्य उपासक पण्डित भीमसेन गुरुराज जोशी का पार्थिव शरीर पञ्चतत्त्व में विलीन हो गया. अब उन्हें प्रत्यक्ष तो सुना नहीं जा सकता, हाँ, उनके स्वर सदियों तक अन्तरिक्ष में गूँजते रहेंगे. जिन्होंने पण्डित जी को प्रत्यक्ष सुना, उन्हें नादब्रह्म के प्रभाव का दिव्य अनुभव हुआ. भारतीय संगीत की विविध विधाओं - ध्रुवपद, ख़याल, तराना, भजन, अभंग आदि प्रस्तुतियों के माध्यम से सात दशकों तक उन्होंने संगीत प्रेमियों को स्वर-सम्मोहन में बाँधे रखा. भीमसेन जोशी की खरज भरी आवाज का वैशिष्ट्य जादुई रहा है। बन्दिश को वे जिस माधुर्य के साथ बदल देते थे, वह अनुभव करने की चीज है। 'तान' को वे अपनी चे

कल्याण थाट के राग : SWARGOSHTHI – 214 : KALYAN THAAT

स्वरगोष्ठी – 214 में आज दस थाट, दस राग और दस गीत – 1 : कल्याण थाट राग यमन की बन्दिश- ‘ऐसो सुघर सुघरवा बालम...’  ‘रेडियो प्लेबैक इण्डिया’ के साप्ताहिक स्तम्भ ‘स्वरगोष्ठी’ के मंच पर आज से आरम्भ एक नई लघु श्रृंखला ‘दस थाट, दस राग और दस गीत’ के प्रथम अंक में मैं कृष्णमोहन मिश्र, आप सब संगीत-प्रेमियों का हार्दिक स्वागत करता हूँ। आज से हम एक नई लघु श्रृंखला आरम्भ कर रहे हैं। भारतीय संगीत के अन्तर्गत आने वाले रागों का वर्गीकरण करने के लिए मेल अथवा थाट व्यवस्था है। भारतीय संगीत में 7 शुद्ध, 4 कोमल और 1 तीव्र, अर्थात कुल 12 स्वरों का प्रयोग होता है। एक राग की रचना के लिए उपरोक्त 12 स्वरों में से कम से कम 5 स्वरों का होना आवश्यक है। संगीत में थाट रागों के वर्गीकरण की पद्धति है। सप्तक के 12 स्वरों में से क्रमानुसार 7 मुख्य स्वरों के समुदाय को थाट कहते हैं। थाट को मेल भी कहा जाता है। दक्षिण भारतीय संगीत पद्धति में 72 मेल प्रचलित हैं, जबकि उत्तर भारतीय संगीत पद्धति में 10 थाट का प्रयोग किया जाता है। इसका प्रचलन पण्डित विष्णु नारायण भातखण्डे जी ने प्रारम्भ किया

‘बरसन लागी बदरिया रूमझूम के...’ : SWARGOSHTHI – 180 : KAJARI

स्वरगोष्ठी – 180 में आज वर्षा ऋतु के राग और रंग – 6 : कजरी गीतों का उपशास्त्रीय रूप   उपशास्त्रीय रंग में रँगी कजरी - ‘घिर आई है कारी बदरिया, राधे बिन लागे न मोरा जिया...’ ‘रेडियो प्लेबैक इण्डिया’ के साप्ताहिक स्तम्भ ‘स्वरगोष्ठी’ के मंच पर जारी लघु श्रृंखला ‘वर्षा ऋतु के राग और रंग’ की छठी कड़ी में मैं कृष्णमोहन मिश्र एक बार पुनः आप सभी संगीतानुरागियों का हार्दिक स्वागत और अभिनन्दन करता हूँ। इस श्रृंखला के अन्तर्गत हम वर्षा ऋतु के राग, रस और गन्ध से पगे गीत-संगीत का आनन्द प्राप्त कर रहे हैं। हम आपसे वर्षा ऋतु में गाये-बजाए जाने वाले गीत, संगीत, रागों और उनमें निबद्ध कुछ चुनी हुई रचनाओं का रसास्वादन कर रहे हैं। इसके साथ ही सम्बन्धित राग और धुन के आधार पर रचे गए फिल्मी गीत भी सुन रहे हैं। पावस ऋतु के परिवेश की सार्थक अनुभूति कराने में जहाँ मल्हार अंग के राग समर्थ हैं, वहीं लोक संगीत की रसपूर्ण विधा कजरी अथवा कजली भी पूर्ण समर्थ होती है। इस श्रृंखला की पिछली कड़ियों में हम आपसे मल्हार अंग के कुछ रागों पर चर्चा कर चुके हैं। आज के अंक से हम वर्षा ऋतु की