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रसिक संपादक - प्रेमचंद

इस लोकप्रिय स्तम्भ "बोलती कहानियाँ" के अंतर्गत हम हर सप्ताह आपको सुनवाते रहे हैं प्रसिद्ध कहानियाँ। पिछली बार आपने अनुराग शर्मा के स्वर में सर्वेश तिवारी "श्रीमुख" की लघुकथा "दंगा" का वाचन सुना था।

आज हम आपकी सेवा में प्रस्तुत कर रहे हैं मुंशी प्रेमचंद की कहानी रसिक संपादक जिसे स्वर दिया है अनुराग शर्मा ने।

प्रस्तुत कथा का गद्य "हिन्दी समय" पर उपलब्ध है। "रसिक संपादक" का कुल प्रसारण समय 15 मिनट 55 सेकंड है। सुनिए और बताइये कि हम अपने इस प्रयास में कितना सफल हुए हैं।

यदि आप भी अपनी मनपसंद कहानियों, उपन्यासों, नाटकों, धारावाहिको, प्रहसनों, झलकियों, एकांकियों, लघुकथाओं को अपनी आवाज़ देना चाहते हैं तो अधिक जानकारी के लिए कृपया admin@radioplaybackindia.com पर सम्पर्क करें।





मैं एक निर्धन अध्यापक हूँ ... मेरे जीवन मैं ऐसा क्या ख़ास है जो मैं किसी से कहूं
 ~ मुंशी प्रेमचंद (१८८०-१९३६)


हर सप्ताह यहीं पर सुनें एक नयी हिन्दी कहानी


"क्या तुम समझते हो मुझे छोड़कर भाग जाओगे?”
 (मुंशी प्रेमचंद कृत "रसिक संपादक" से एक अंश)


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रसिक संपादक MP3

#Second Story, Rasik Sampadak : Munshi Premchand Hindi Audio Book/2016/02. Voice: Anurag Sharma

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