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Showing posts from March, 2015

गिरिजेश राव लिखित लघुकथा मुक्ति

लोकप्रिय स्तम्भ "बोलती कहानियाँ" के अंतर्गत हम हर सप्ताह आपको सुनवाते रहे हैं नई, पुरानी, अनजान, प्रसिद्ध, मौलिक और अनूदित, यानि के हर प्रकार की कहानियाँ। पिछली बार आपने अनुराग शर्मा के स्वर में अनुराग शर्मा की लघुकथा " व्यवस्था " का पाठ सुना था। आज हम आपकी सेवा में प्रस्तुत कर रहे हैं गिरिजेश राव लिखित लघुकथा मुक्ति , जिसे स्वर दिया है अनुराग शर्मा ने। बोलती कहानियाँ के पाठकों के लिए गिरिजेश राव का नाम नया नहीं है। उनकी कुछ अन्य रोचक कथाओं कों यहाँ सुना जा सकता है। इस कहानी मुक्ति का कुल प्रसारण समय 2 मिनट 7 सेकंड है। सुनें और बतायें कि हम अपने इस प्रयास में कितना सफल हुए हैं। यदि आप भी अपनी मनपसंद कहानियों, उपन्यासों, नाटकों, धारावाहिको, प्रहसनों, झलकियों, एकांकियों, लघुकथाओं को अपनी आवाज़ देना चाहते हैं तो अधिक जानकारी के लिए कृपया admin@radioplaybackindia.com पर सम्पर्क करें। प्रतिमाओं को गढ़ा जाता है उस अनुभव को मूर्त करने के लिये, मूर्ति इसीलिये कहते हैं। सूक्ष्म स्तर तक सभी नहीं जा सकते इसलिये स्थूल विग्रह का आधार दिया जाता है कि उसी बह

ठुमरी महफिलों की : SWARGOSHTHI – 212 : THUMARI

स्वरगोष्ठी – 212 में आज भारतीय संगीत शैलियों का परिचय : 10 : ठुमरी ‘कौन गली गयो श्याम...’ और ‘आयो कहाँ से घनश्याम...’ ‘रेडियो प्लेबैक इण्डिया’ के साप्ताहिक स्तम्भ ‘स्वरगोष्ठी’ के मंच पर लघु श्रृंखला ‘भारतीय संगीत शैलियों का परिचय’ की एक और नवीन कड़ी के साथ मैं कृष्णमोहन मिश्र, आप सब संगीत-प्रेमियों का हार्दिक स्वागत करता हूँ। पाठकों और श्रोताओं के अनुरोध पर आरम्भ की गई इस लघु श्रृंखला के अन्तर्गत हम भारतीय संगीत की उन परम्परागत शैलियों का परिचय प्रस्तुत कर रहे हैं, जो आज भी पीढ़ी-दर-पीढ़ी हमारे बीच उपस्थित हैं। भारतीय संगीत की एक समृद्ध परम्परा है। वैदिक युग से लेकर वर्तमान तक इस संगीत-धारा में अनेकानेक धाराओं का संयोग हुआ। इनमें से भारतीय संगीत के मौलिक सिद्धान्तों के अनुकूल जो धाराएँ थीं उन्हें स्वीकृति मिली और वह आज भी एक संगीत शैली के रूप स्थापित है और उनका उत्तरोत्तर विकास भी हुआ। विपरीत धाराएँ स्वतः नष्ट भी हो गईं। पिछली पिछली दो कड़ियों में हमने भारतीय संगीत की सर्वाधिक लोकप्रिय ‘ठुमरी’ शैली पर चर्चा की थी। आज के अंक में हम आपको बीसवीं श

INTERVIEW OF MUSIC DIRECTOR BASANT PRAKASH'S SON RITURAJ SISODIA

  बातों बातों में - 06 विस्मृत संगीतकार बसन्त प्रकाश के पुत्र ऋतुराज सिसोदिया से  सुजॉय चटर्जी की बातचीत "रफ़्ता-रफ़्ता आप मेरे दिल के मेहमाँ हो गए..."  नमस्कार दोस्तो। हम रोज़ फ़िल्म के परदे पर नायक-नायिकाओं को देखते हैं, रेडियो-टेलीविज़न पर गीतकारों के लिखे गीत गायक-गायिकाओं की आवाज़ों में सुनते हैं, संगीतकारों की रचनाओं का आनन्द उठाते हैं। इनमें से कुछ कलाकारों के हम फ़ैन बन जाते हैं और मन में इच्छा जागृत होती है कि काश, इन चहेते कलाकारों को थोड़ा क़रीब से जान पाते, काश; इनके कलात्मक जीवन के बारे में कुछ जानकारी हो जाती, काश, इनके फ़िल्मी सफ़र की दास्ताँ के हम भी हमसफ़र हो जाते। ऐसी ही इच्छाओं को पूरा करने के लिए 'रेडियो प्लेबैक इण्डिया' ने फ़िल्मी कलाकारों से साक्षात्कार करने का बीड़ा उठाया है। । फ़िल्म जगत के अभिनेताओं, गीतकारों, संगीतकारों और गायकों के साक्षात्कारों पर आधारित यह श्रॄंखला है 'बातों बातों में', जो प्रस्तुत होता है हर महीने के चौथे शनिवार को। आज मार्च 2015 के चौथे शनिवार के दिन प्रस्तुत है फ़िल्म जगत के विस्मृत संगीतकार ब

ठुमरी पंजाब और लखनऊ की : SWARGOSHTHI – 211 : THUMARI

  स्वरगोष्ठी – 211 में आज भारतीय संगीत शैलियों का परिचय : 9 : ठुमरी ‘छोड़ो छोड़ो कन्हाई नारी देखे सगरी...’ ‘रेडियो प्लेबैक इण्डिया’ के साप्ताहिक स्तम्भ ‘स्वरगोष्ठी’ के मंच पर लघु श्रृंखला ‘भारतीय संगीत शैलियों का परिचय’ की एक और नवीन कड़ी के साथ मैं कृष्णमोहन मिश्र, आप सब संगीत-प्रेमियों का हार्दिक स्वागत करता हूँ। पाठकों और श्रोताओं के अनुरोध पर आरम्भ की गई इस लघु श्रृंखला के अन्तर्गत हम भारतीय संगीत की उन परम्परागत शैलियों का परिचय प्रस्तुत कर रहे हैं, जो आज भी पीढ़ी-दर-पीढ़ी हमारे बीच उपस्थित हैं। भारतीय संगीत की एक समृद्ध परम्परा है। वैदिक युग से लेकर वर्तमान तक इस संगीत-धारा में अनेकानेक धाराओं का संयोग हुआ। इनमें से भारतीय संगीत के मौलिक सिद्धान्तों के अनुकूल जो धाराएँ थीं उन्हें स्वीकृति मिली और वह आज भी एक संगीत शैली के रूप स्थापित है और उनका उत्तरोत्तर विकास भी हुआ। विपरीत धाराएँ स्वतः नष्ट भी हो गईं। पिछली कड़ी से हमने भारतीय संगीत की सर्वाधिक लोकप्रिय ‘ठुमरी’ शैली पर चर्चा शुरू की थी। इस शैली के अन्तर्गत पूरब अंग की ‘बोलबनाव’ और ‘बोलबाँट

"देखने में भोला है दिल का सलोना" - चुरा लिया है तुमने जो 'धुन' को

एक गीत सौ कहानियाँ - 55   ‘ देखने में भोला है दिल का सलोना... ’ 'रेडियो प्लेबैक इण्डिया' के सभी श्रोता-पाठकों को सुजॉय चटर्जी का प्यार भरा नमस्कार। दोस्तों, हम रोज़ाना रेडियो पर, टीवी पर, कम्प्यूटर पर, और न जाने कहाँ-कहाँ, जाने कितने ही गीत सुनते हैं, और गुनगुनाते हैं। ये फ़िल्मी नग़में हमारे साथी हैं सुख-दुख के, त्योहारों के, शादी और अन्य अवसरों के, जो हमारे जीवन से कुछ ऐसे जुड़े हैं कि इनके बिना हमारी ज़िन्दगी बड़ी ही सूनी और बेरंग होती। पर ऐसे कितने गीत होंगे जिनके बनने की कहानियों से, उनसे जुड़े दिलचस्प क़िस्सों से आप अवगत होंगे? बहुत कम, है न? कुछ जाने-पहचाने, और कुछ कमसुने फ़िल्मी गीतों की रचना प्रक्रिया, उनसे जुड़ी दिलचस्प बातें, और कभी-कभी तो आश्चर्य में डाल देने वाले तथ्यों की जानकारियों को समेटता है 'रेडियो प्लेबैक इण्डिया' का यह स्तम्भ, 'एक गीत सौ कहानियाँ'। इसकी 55वीं कड़ी में आज जानिये फ़िल्म 'बम्बई का बाबू' के मशहूर गीत "देखने में भोला है दिल का सलोना..." से जुड़ी कुछ दिलचस्प बातें। 

अनुराग शर्मा की लघुकथा व्यवस्था

लोकप्रिय स्तम्भ "बोलती कहानियाँ" के अंतर्गत हम हर सप्ताह आपको सुनवाते रहे हैं नई, पुरानी, अनजान, प्रसिद्ध, मौलिक और अनूदित, यानि के हर प्रकार की कहानियाँ। पिछली बार आपने अनुराग शर्मा के स्वर में दीपक मशाल की लघुकथा " परछाईं " का पाठ सुना था। आज हम आपकी सेवा में प्रस्तुत कर रहे हैं अनुराग शर्मा लिखित लघुकथा व्यवस्था , जिसे स्वर दिया है अनुराग शर्मा ने। प्रस्तुत लघुकथा " व्यवस्था " का गद्य बर्ग वार्ता ब्लॉग पर पढ़ा जा सकता है। इस कहानी का कुल प्रसारण समय 4 मिनट 25 सेकंड है। सुनें और बतायें कि हम अपने इस प्रयास में कितना सफल हुए हैं। यदि आप भी अपनी मनपसंद कहानियों, उपन्यासों, नाटकों, धारावाहिको, प्रहसनों, झलकियों, एकांकियों, लघुकथाओं को अपनी आवाज़ देना चाहते हैं तो अधिक जानकारी के लिए कृपया admin@radioplaybackindia.com पर सम्पर्क करें। हर इक ईंट में बसी है एक याद मेरी ज़िंदगी गिरती दीवार सी है  ~ अनुराग शर्मा हर सप्ताह यहीं पर सुनें एक नयी हिन्दी कहानी "... और पढने की मेज़? राम, राम! हर आकार के बीसियों कागज़ जिनपर तरह-तरह के

रंग ठुमरी के : SWARGOSHTHI – 210 : THUMARI

  स्वरगोष्ठी – 210 में आज भारतीय संगीत शैलियों का परिचय : 8 : ठुमरी ‘रस के भरे तोरे नैन...’ ‘रेडियो प्लेबैक इण्डिया’ के साप्ताहिक स्तम्भ ‘स्वरगोष्ठी’ के मंच पर लघु श्रृंखला ‘भारतीय संगीत शैलियों का परिचय’ की एक और नवीन कड़ी के साथ मैं कृष्णमोहन मिश्र, आप सब संगीत-प्रेमियों का हार्दिक स्वागत करता हूँ। पाठकों और श्रोताओं के अनुरोध पर आरम्भ की गई इस लघु श्रृंखला के अन्तर्गत हम भारतीय संगीत की उन परम्परागत शैलियों का परिचय प्रस्तुत कर रहे हैं, जो आज भी पीढ़ी-दर-पीढ़ी हमारे बीच उपस्थित हैं। भारतीय संगीत की एक समृद्ध परम्परा है। वैदिक युग से लेकर वर्तमान तक इस संगीत-धारा में अनेकानेक धाराओं का संयोग हुआ। इनमें से भारतीय संगीत के मौलिक सिद्धान्तों के अनुकूल जो धाराएँ थीं उन्हें स्वीकृति मिली और वह आज भी एक संगीत शैली के रूप स्थापित है और उनका उत्तरोत्तर विकास भी हुआ। विपरीत धाराएँ स्वतः नष्ट भी हो गईं। पिछली कड़ी से हमने भारतीय संगीत की सर्वाधिक लोकप्रिय खयाल शैली के अन्तर्गत ‘चतुरंग’ गायकी का सोदाहरण परिचय प्रस्तुत किया था। आज के अंक से हम उपशास्त्रीय संग

फ़िल्मों में क्रिकेट खिलाड़ी - वर्ल्ड कप स्पेशल

वर्ल्ड कप स्पेशल    फ़िल्मों में क्रिकेट खिलाड़ी 'रेडियो प्लेबैक इण्डिया' के सभी पाठकों को सुजॉय चटर्जी का प्यार भरा नमस्कार! दोस्तों, आजकल क्रिकेट का बुखार हर छोटे-बड़े पर सवार है। विश्वकप क्रिकेट टूर्नामेण्ट, जो कि क्रिकेट का सबसे लोकप्रिय टूर्नामेण्ट होता है, इन दिनों खेला जा रहा है। और भारत की पाकिस्तान, दक्षिन अफ़्रीका, वेस्ट इंडीज़, आयरलैण्ड और संयुक्त अरब अमीरात पर शानदार जीत के बाद भारतीयों के लिए यह टूर्नामेण्ट अब और भी ज़्यादा रोचक और रोमांचक हो उठा है। यूं तो ’रेडियो प्लेबैक इण्डिया’ साहित्य, संगीत और सिनेमा की पत्रिका है, पर क्रिकेट के इस बुखार से हम भी नहीं बच सके हैं। तो आइए टीम इण्डिया को विजय की शुभकामनाएँ देते हुए आज के इस विशेष प्रस्तुति में जाने कि भारत के किन किन क्रिकेट खिलाड़ियों ने फ़िल्म जगत में अपना हाथ आज़माया है।  सि नेमा एक ऐसा माध्यम है जिससे हर कोई आकर्षित होता है। सिनेमा जहाँ एक तरफ़ आम दर्शकों को एक मायाबी संसार में ले जाता है, वहीं दूसरी ओर विभिन्न व्यावसायों के प्रसिद्ध लोग इस क्षेत्र में अपनी क