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Showing posts from June, 2013

विदुषी मीता पण्डित से सुनिए राम-सिया की होली

स्वरगोष्ठी – 126 में आज भूले-बिसरे संगीतकार की कालजयी कृति – 6 राग काफी पर आधारित गीत- ‘कासे कहूँ मन की बात...’     ‘रेडियो प्लेबैक इण्डिया’ के साप्ताहिक स्तम्भ ‘स्वरगोष्ठी’ पर जारी लघु श्रृंखला ‘भूले-बिसरे संगीतकार की कालजयी कृति’ की इस छठी कड़ी में मैं कृष्णमोहन मिश्र आप सब संगीत-प्रेमियों का हार्दिक अभिनन्दन करता हूँ। इस श्रृंखला के अन्तर्गत हम आपको राग-आधारित कुछ ऐसे फिल्मी गीत सुनवा रहे हैं, जो आधी शताब्दी से भी अधिक अवधि बीत जाने के बावजूद सदाबहार गीत के रूप में हमारे बीच प्रतिष्ठित हैं। ये गीत सदाबहार तो हैं, परन्तु इनके संगीतकार हमारी स्मृतियों में धूमिल हो गए हैं। इस श्रृंखला को प्रस्तुत करने का उद्देश्य ही यही है कि इन कालजयी, राग आधारित गीतों के माध्यम से हम कुछ भूले-बिसरे संगीतकारों को स्मरण करें। आज के अंक में हम आपको राग काफी पर आधारित एक मधुर फिल्मी गीत सुनवाएँगे और इस गीत के संगीतकार एन. दत्ता का स्मरण करेंगे। इसके साथ ही सुप्रसिद्ध युवा गायिका विदुषी मीता पण्डित से इसी राग में निबद्ध रस से भरी एक होरी भी सुनेगे। एन. दत्ता 195

सिने पहेली में बूझिए आठवें दशक के फिल्म संगीत को

सिने पहेली – 70 सत्तर के दशक की फिल्मों पर केन्द्रित आज की पहेली     सि ने पहेली के 70वें अंक के प्रश्नों को लेकर मैं कृष्णमोहन मिश्र एक बार पुनः आपके समक्ष उपस्थित हुआ हूँ। आज की पहेली के प्रश्न सत्तर के दशक के पूर्वार्द्ध अर्थात 1970 से 1975 के बीच में प्रदर्शित फिल्मों से जुड़े हुए हैं। इस अंक से प्रतियोगिता में जुड़ने वाले नये खिलाड़ियों का स्वागत करते हुए हम उन्हें यह भी बताना चाहेंगे कि अभी भी कुछ देर नहीं हुई है। आज से इस प्रतियोगिता में जुड़ कर भी आप महाविजेता बन सकते हैं। यही इस प्रतियोगिता की विशेषता है। इस प्रतियोगिता के नियमों का उल्लेख नीचे किया गया है, ध्यान दीजियेगा। आज की पहेली परम्परागत सवाल-जवाब के रूप में नहीं है। नीचे दो वर्गों- A और B में फिल्म संगीत से जुड़े 5-5 सूत्र दिये गए हैं। पहले वर्ग के सूत्र को दूसरे वर्ग के सूत्र के साथ जोड़ना है। अर्थात पहले वर्ग में फिल्म संगीत से जुड़ा हुआ कोई विवरण या आडियो क्लिप दूसरे वर्ग में दिये विवरण या आडियो क्लिप से सम्बन्धित है। आपको इस परस्पर सम्बन्ध का कारण खोजना है। वर्ग A में दिये गए सभी सूत्र 70

सुरीला जादू चला कर दिल लूट गया "लुटेरा"

अ पने पूरे शबाब पर चल रहे संगीतकार अमित त्रिवेदी एक बार फिर हाज़िर हैं, एक के बाद एक अपने स्वाभाविक और विशिष्ट शैली के संगीत की बहार लेकर. पिछले सप्ताह हमने जिक्र किया घनचक्कर  का, आज भी अमित हैं अपनी नई एल्बम लूटेरा  के साथ, इस बार उनके जोडीदार हैं उनके सबसे पुराने साथ अमिताभ भट्टाचार्य. अमिताभ बेशक इन दिनों सभी बड़े संगीतकारों के साथ सफल जुगलबंदी कर रहे हैं पर जब भी उनका साथ अमित के साथ जुड़ता है तो उनमें भी एक नया जोश, एक नई रवानगी आ जाती है.  लूटेरा  की कहानी ५० के दशक की है, और यहाँ संगीत में भी वही पुराने दिनों की महक आपको मिलेगी. पहले गीत संवार लूँ  को ही लें. गीत के शब्द, धुन और गायिकी सभी सुनहरे पुराने दिनों की तरह श्रोताओं के बहा ले जाते हैं. गीत के संयोजन को भी पुराने दिनों की तरह लाईव ओर्केस्ट्रा के साथ हुआ है. मोनाली की आवाज़ का सुरीलापन भी गीत को और निखार देता है. आपको याद होगा मोनाली इंडियन आईडल में एक जबरदस्त प्रतिभागी बनकर उभरी थी, वो जीत तो नहीं पायी थी मगर प्रीतम के लिए ख्वाब देखे (रेस) गाकर उन्होंने पार्श्वगायन की दुनिया में कदम रखा. अमित ने इससे पहले उन्हें अगा

खरा सोना 01 - आपको प्यार छुपाने की बुरी आदत है...

गीत - आपको प्यार छुपाने की बुरी आदत है... फिल्म - नीला आकाश आवाजें - मोहम्मद रफ़ी, आशा भोसले गीतकार  - रजा मेहदी अली खान संगीतकार  - मदन मोहन स्क्रिप्ट - सुजॉय चट्टर्जी  पोडकास्ट - मीनू सिंह  प्रस्तुति - संज्ञा टंडन

अराधना चतुर्वेदी "मुक्ति" की रहस्य-कथा आदत

इस साप्ताहिक स्तम्भ "बोलती कहानियाँ" के अंतर्गत हम हर सप्ताह आपको सुनवाते रहे हैं प्रसिद्ध कहानियाँ। पिछले सप्ताह आपने अर्चना चावजी के स्वर में मुंशी प्रेमचंद की मर्मस्पर्शी कहानी " कायर " का पाठ सुना था। आज हम आपकी सेवा में प्रस्तुत कर रहे हैं आराधना चतुर्वेदी 'मुक्ति' की रहस्य-कथा आदत  जिसे स्वर दिया है माधवी चारुदत्ता ने जोकि हिन्दी और मराठी की एक सफल वॉइस ओवर आर्टिस्ट हैं। उनके स्वर में आचार्य विनोबा भावे द्वारा धुले जेल में मराठी भाषा में दिये गए गीता प्रवचन यहाँ सुने जा सकते हैं। कहानी आदत का गद्य " आराधना का ब्लॉग " पर उपलब्ध है।  "आदत" का कुल प्रसारण समय 8 मिनट 20 सेकंड है। सुनें और बतायें कि हम अपने इस प्रयास में कितना सफल हुए हैं। यदि आप भी अपनी मनपसंद कहानियों, उपन्यासों, नाटकों, धारावाहिको, प्रहसनों, झलकियों, एकांकियों, लघुकथाओं को अपनी आवाज़ देना चाहते हैं तो अधिक जानकारी के लिए कृपया admin@radioplaybackindia.com पर सम्पर्क करें। डॉ. आराधना चतुर्वेदी "मुक्ति" जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय

रिचा शर्मा के 'लेजी लेड' ताने से बिदके 'घनचक्कर'

आ मिर  और नो वन किल्ल्ड जस्सिका  के बाद एक बार फिर निर्देशक राजकुमार गुप्ता ने अपनी नई फिल्म के संगीत का जिम्मा भी जबरदस्त प्रतिभा के धनी अमित त्रिवेदी को सौंपा है. इमरान हाश्मी और विद्या बालन के अभिनय से सजी ये फिल्म है -घनचक्कर . फिल्म तो दिलचस्प लग रही है, आईये आज तफ्तीश करें कि इस फिल्म के संगीत एल्बम में श्रोताओं के लिए क्या कुछ नया है.  पहला गीत लेजी लेड अपने आरंभिक नोट से ही श्रोताओं को अपनी तरफ आकर्षित कर लेता है. संगीत संयोजन उत्कृष्ट है, खासकर बीच बीच में जो पंजाबी शब्दों के लाजवाब तडके दिए गए हैं वो तो कमाल ही हैं. बीट्स भी परफेक्ट है. अमिताभ के बोलों में नयापन भी है और पर्याप्त चुलबुलापन भी. पर तुरुप का इक्का है रिचा शर्मा की आवाज़. उनकी आवाज़ और गायकी ने गीत को एक अलग ही मुकाम दे दिया है. एक तो उनका ये नटखट अंदाज़ अब तक लगभग अनसुना ही था, उस पर एक लंबे अंतराल से उन्हें न सुनकर अचानक इस रूप में उनकी इस अदा से रूबरू होना श्रोताओं को खूब भाएगा. निश्चित ही ये गीत न सिर्फ चार्ट्स पर तेज़ी से चढेगा वरन एक लंबे समय तक हम सब को याद रहने वाला है. बधाई पूरी टीम को.  आगे बढ़

चर्चा राग कल्याण अथवा यमन की

    स्वरगोष्ठी – 125 में आज भूले-बिसरे संगीतकार की कालजयी कृति – 5 ‘आँसू भरी है ये जीवन की राहें...’ राग यमन के सच्चे स्वरों का गीत  ‘रेडियो प्लेबैक इण्डिया’ के साप्ताहिक स्तम्भ ‘स्वरगोष्ठी’ पर जारी लघु श्रृंखला ‘भूले-बिसरे संगीतकार की कालजयी कृति’ की यह पाँचवीं कड़ी है और इस कड़ी में मैं कृष्णमोहन मिश्र आप सब संगीत-रसिकों का एक बार पुनः हार्दिक स्वागत करता हूँ। आज हमारी चर्चा का विषय होगा, राग यमन पर आधारित एक सदाबहार गीत- ‘आँसू भरी है ये जीवन की राहें...’। 1958 में प्रदर्शित फिल्म ‘परिवरिश’ के इस कालजयी गीत के संगीतकार दत्ताराम वाडेकर थे, जिनके बारे में वर्तमान पीढ़ी शायद परिचित हो। इसके साथ ही आज के अंक में हम राग यमन पर चर्चा करेंगे और आपको सुप्रसिद्ध सारंगी वादक उस्ताद सुल्तान खाँ का बजाया, राग यमन का भावपूर्ण आलाप भी सुनवाएँगे।   दत्ताराम सं गीतकार दत्ताराम की पहचान एक स्वतंत्र संगीतकार के रूप में कम, परन्तु सुप्रसिद्ध संगीतकार शंकर-जयकिशन के सहायक के रूप में अधिक हुई। इसके अलावा लोक-तालवाद्य ढप बजाने में वे सिद्धहस्त थे। फिल्म ‘जिस देश में गंग