Skip to main content

आज विशेष प्रस्तुति दुर्गा महाअष्टमी पर



नवरात्रि पर्व पर विशेष प्रस्तुति 

या देवी सर्वभूतेषु मातृरूपेण संस्थिता

नमस्तस्यै , नमस्तस्यै , नमस्तस्यै नमो नमः 



प्रिय मित्रों, इन दिनों पूरे देश में नवरात्रि पर्व धूमधाम से मनाया जा रहा है। दस दिनों के इस महाउत्सव का आज आठवाँ दिन है। इस दिन की महत्ता का अनुभव करते हुए हम आज के निर्धारित स्तम्भ 'सिने पहेली' के स्थान पर यह विशेष अंक प्रस्तुत कर रहे हैं। 'सिने पहेली' का अगला अंक अब अगले शनिवार को प्रकाशित होगा। जिन प्रतियोगियों ने पिछली पहेली का अभी तक जवाब नहीं भेजा है, वो अपना जवाब हमें बृहस्पतिवार शाम 5 बजे तक भेज सकते हैं। 
'सिने पहेली' के स्थान पर श्री श्री दुर्गा महाअष्टमी के पवित्र उपलक्ष्य पर आइए 'रेडियो प्लेबैक इण्डिया' के आर्काइव से एक अनमोल पोस्ट का दोबारा स्वाद लें, जो 'ओल्ड इज़ गोल्ड शनिवार विशेष' के अन्तर्गत 16 दिसम्बर 2010 को प्रकाशित किया गया था।



लावण्या शाह
दोस्तों, हमने महान कवि, दार्शनिक और गीतकार पण्डित नरेन्द्र शर्मा जी की सुपुत्री श्रीमती लावण्या शाह जी से सम्पर्क किया कि वो अपने पिताजी के बारे में हमें कुछ बताएँ जिन्हें हम अपने पाठकों के साथ बाँट सकें। तब लावण्या जी ने ही यह सुझाव दिया कि क्यों ना नवरात्रि के पावन पर्व पर पण्डित जी द्वारा संयोजित देवी माँ के कुछ भजन प्रस्तुत किए जाएँ। लावण्या जी के हम आभारी हैं कि उन्होंने हमारे इस निवेदन को स्वीकार किया और ईमेल के माध्यम से हमें माँ दुर्गा के विविध रूपों के बारे में लिख भेजा और साथ ही पण्डित जी के भजनों के बारे में बताया। तो आइए अब पढ़ते हैं लावण्या जी का भेजा आलेख। 



ॐ सर्वमंगल मांगल्ये शिवे सर्वार्थसाधिके 
शरण्ये त्र्यम्बके गौरी नारायणि नमोस्तुते। 
या देवी सर्वभूतेषु मातृरूपेण संस्थिता 
नमस्तस्यै , नमस्तस्यै , नमस्तस्यै नमो नमः। 


माँ दुर्गा के अनेक नाम

माता पार्वती , उमा , महेश्वरी, दुर्गा , कालिका, शिवा , महिषासुरमर्दिनी , सती , कात्यायनी, अम्बिका, भवानी, अम्बा , गौरी , कल्याणी, विंध्यवासिनी, चामुन्डी, वाराही , भैरवी, काली, ज्वालामुखी, बगलामुखी, धूम्रेश्वरी, वैष्णोदेवी , जगधात्री, जगदम्बिके, श्री, जगन्मयी, परमेश्वरी, त्रिपुरसुन्दरी ,जगात्सारा, जगादान्द्कारिणी, जगाद्विघंदासिनी ,भावंता, साध्वी, दुख्दारिद्र्य्नाशिनी, चतुर्वर्ग्प्रदा, विधात्री, पुर्णेँदुवदना, निलावाणी, पार्वती, सर्वमँगला,सर्वसम्पत्प्रदा,शिवपूज्या,शिवप्रिता, सर्वविध्यामयी, कोमलाँगी, विधात्री, नीलमेघवर्णा, विप्रचित्ता, मदोन्मत्ता, मातंगी, देवी , खडगहस्ता, भयँकरी,पद्मा, कालरात्रि, शिवरुपिणी, स्वधा, स्वाहा, शारदेन्दुसुमनप्रभा, शरद्`ज्योत्सना, मुक्त्केशी, नन्दा, गायत्री , सावित्री, लक्ष्मी , अलंकार, संयुक्ता, व्याघ्रचर्मावृत्ता, मध्या, महापरा, पवित्रा, परमा, महामाया, महोदया, इत्यादि देवी भगवती के अनेक नाम हैं।


भारत में देवी के शक्तिपीठ 

1- कामरूप पीठ
2- काशिका पीठ
3- नैपल्पिथ
4- रौद्र-पर्वत
5- कश्मीर पीठ
6- कान्यकुब्ज पीठ
7- पूर्णागिरी पीठ
8- अर्बुदाचल पीठ
9- अमृतकेश्वर पीठ
10- कैलास पीठ
11- शिव पीठ
12- केदार पीठ
13- भृगु पीठ
14- कामकोटी पीठ
15- चन्द्रपुर पीठ
16- ज्वालामुखी
17- उज्जयिनी पीठ इत्यादि

लता मंगेशकर और पं. नरेन्द्र शर्मा 
भारत के हर प्रान्त में देवी के विविध स्वरुप की पूजा होती है और भारत के कई शहर देवी के स्वरुप की आराधना के प्रमुख केन्द्र हैं। शक्तिपूजा की अधिष्ठात्री दुर्गा देवी पूरे बंगाल की आराध्या काली कलकत्ते वाली "काली" भी हैं और गुजरात की अम्बा माँ भी हैं। पंजाब की जालन्धरी देवी भी वही हैं तो विन्ध्य गुफा की विन्ध्यवासिनी भी वही माता रानी हैं जो जम्मू में वैष्णोदेवी कहलाती हैं। त्रिकुट पर्बत पर भी माँ का डेरा है। आसाम (असम) मेँ तांत्रिक पूजन मेँ कामाख्या मन्दिर बेजोड है। दक्षिण में वे कामाक्षी के मन्दिर में विराजमान हैं और चामुण्डी पर्वत पर भी वही हैं। शैलपुत्री के रूप में वे पर्बताधिराज हिमालय की पुत्री पार्वती कहलाती हैं। भारत के शिखर से लेकर पगनख तक आकर, कन्याकुमारी की कन्या के रुप में भी वही पूजी जाती हैं। महाराष्ट्र की गणपति की मैया गौरी भी वही हैं। गुजरात के गरबे और रास के नृत्य में 9 दिवस और 9 रात्रि को माता अम्बिके का आह्वान करते हैं। शिवाजी की वीर भवानी रण में विजय दिलवाने वाली वही हैं। गुजरात में, माँ खोडीयार स्वरूप से माता पूजी जातीं हैं। आइये देवी माँ की भक्ति में डूब जाएँ और स्वरसाम्राज्ञी सुश्री लता मंगेशकर के गाये ये भजन सुनिए, शब्द संयोजन पण्डित नरेन्द्र शर्मा (मेरे पिताजी) का है और संगीत से संवारा है पण्डित ह्रदयनाथ मंगेशकर जी ने ! ऐल्बम का नाम है- 'महिमा माँ जगदम्बा की'। 



आपको हमारी आज की यह प्रस्तुति कैसी लगी, हमारे ई-मेल आईडी- radioplaybackindia@live.com या cine.paheli@yahoo.com पर अवश्य लिखिए।

आलेख : लावण्या शाह
प्रस्तुति : सुजॉय चटर्जी

Comments

बहुत सुंदर, आनंद ही आनंद!

Popular posts from this blog

सुर संगम में आज -भारतीय संगीताकाश का एक जगमगाता नक्षत्र अस्त हुआ -पंडित भीमसेन जोशी को आवाज़ की श्रद्धांजली

सुर संगम - 05 भारतीय संगीत की विविध विधाओं - ध्रुवपद, ख़याल, तराना, भजन, अभंग आदि प्रस्तुतियों के माध्यम से सात दशकों तक उन्होंने संगीत प्रेमियों को स्वर-सम्मोहन में बाँधे रखा. भीमसेन जोशी की खरज भरी आवाज का वैशिष्ट्य जादुई रहा है। बन्दिश को वे जिस माधुर्य के साथ बदल देते थे, वह अनुभव करने की चीज है। 'तान' को वे अपनी चेरी बनाकर अपने कंठ में नचाते रहे। भा रतीय संगीत-नभ के जगमगाते नक्षत्र, नादब्रह्म के अनन्य उपासक पण्डित भीमसेन गुरुराज जोशी का पार्थिव शरीर पञ्चतत्त्व में विलीन हो गया. अब उन्हें प्रत्यक्ष तो सुना नहीं जा सकता, हाँ, उनके स्वर सदियों तक अन्तरिक्ष में गूँजते रहेंगे. जिन्होंने पण्डित जी को प्रत्यक्ष सुना, उन्हें नादब्रह्म के प्रभाव का दिव्य अनुभव हुआ. भारतीय संगीत की विविध विधाओं - ध्रुवपद, ख़याल, तराना, भजन, अभंग आदि प्रस्तुतियों के माध्यम से सात दशकों तक उन्होंने संगीत प्रेमियों को स्वर-सम्मोहन में बाँधे रखा. भीमसेन जोशी की खरज भरी आवाज का वैशिष्ट्य जादुई रहा है। बन्दिश को वे जिस माधुर्य के साथ बदल देते थे, वह अनुभव करने की चीज है। 'तान' को वे अपनी चे

कल्याण थाट के राग : SWARGOSHTHI – 214 : KALYAN THAAT

स्वरगोष्ठी – 214 में आज दस थाट, दस राग और दस गीत – 1 : कल्याण थाट राग यमन की बन्दिश- ‘ऐसो सुघर सुघरवा बालम...’  ‘रेडियो प्लेबैक इण्डिया’ के साप्ताहिक स्तम्भ ‘स्वरगोष्ठी’ के मंच पर आज से आरम्भ एक नई लघु श्रृंखला ‘दस थाट, दस राग और दस गीत’ के प्रथम अंक में मैं कृष्णमोहन मिश्र, आप सब संगीत-प्रेमियों का हार्दिक स्वागत करता हूँ। आज से हम एक नई लघु श्रृंखला आरम्भ कर रहे हैं। भारतीय संगीत के अन्तर्गत आने वाले रागों का वर्गीकरण करने के लिए मेल अथवा थाट व्यवस्था है। भारतीय संगीत में 7 शुद्ध, 4 कोमल और 1 तीव्र, अर्थात कुल 12 स्वरों का प्रयोग होता है। एक राग की रचना के लिए उपरोक्त 12 स्वरों में से कम से कम 5 स्वरों का होना आवश्यक है। संगीत में थाट रागों के वर्गीकरण की पद्धति है। सप्तक के 12 स्वरों में से क्रमानुसार 7 मुख्य स्वरों के समुदाय को थाट कहते हैं। थाट को मेल भी कहा जाता है। दक्षिण भारतीय संगीत पद्धति में 72 मेल प्रचलित हैं, जबकि उत्तर भारतीय संगीत पद्धति में 10 थाट का प्रयोग किया जाता है। इसका प्रचलन पण्डित विष्णु नारायण भातखण्डे जी ने प्रारम्भ किया

‘बरसन लागी बदरिया रूमझूम के...’ : SWARGOSHTHI – 180 : KAJARI

स्वरगोष्ठी – 180 में आज वर्षा ऋतु के राग और रंग – 6 : कजरी गीतों का उपशास्त्रीय रूप   उपशास्त्रीय रंग में रँगी कजरी - ‘घिर आई है कारी बदरिया, राधे बिन लागे न मोरा जिया...’ ‘रेडियो प्लेबैक इण्डिया’ के साप्ताहिक स्तम्भ ‘स्वरगोष्ठी’ के मंच पर जारी लघु श्रृंखला ‘वर्षा ऋतु के राग और रंग’ की छठी कड़ी में मैं कृष्णमोहन मिश्र एक बार पुनः आप सभी संगीतानुरागियों का हार्दिक स्वागत और अभिनन्दन करता हूँ। इस श्रृंखला के अन्तर्गत हम वर्षा ऋतु के राग, रस और गन्ध से पगे गीत-संगीत का आनन्द प्राप्त कर रहे हैं। हम आपसे वर्षा ऋतु में गाये-बजाए जाने वाले गीत, संगीत, रागों और उनमें निबद्ध कुछ चुनी हुई रचनाओं का रसास्वादन कर रहे हैं। इसके साथ ही सम्बन्धित राग और धुन के आधार पर रचे गए फिल्मी गीत भी सुन रहे हैं। पावस ऋतु के परिवेश की सार्थक अनुभूति कराने में जहाँ मल्हार अंग के राग समर्थ हैं, वहीं लोक संगीत की रसपूर्ण विधा कजरी अथवा कजली भी पूर्ण समर्थ होती है। इस श्रृंखला की पिछली कड़ियों में हम आपसे मल्हार अंग के कुछ रागों पर चर्चा कर चुके हैं। आज के अंक से हम वर्षा ऋतु की