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ये रातें ये मौसम, ये हँसना हँसाना...जब लता ने दी श्रद्धाजन्ली पंकज मालिक को

ओल्ड इस गोल्ड शृंखला # 751/2011/191

'ओल्ड इज़ गोल्ड’ के सभी श्रोता-पाठकों का मैं, सुजॉय चटर्जी, साथी सजीव सारथी के साथ हार्दिक स्वागत करता हूँ। श्री कृष्णमोहन मिश्र द्वारा प्रस्तुत पिछली शृंखला के बाद आज से हम अपनी १०००-वें अंक की यात्रा का अंतिम चौथाई भाग शुरु कर रहे हैं, यानी अंक-७५१। आज से शुरु होनेवाली नई शृंखला को प्रस्तुत करने के लिए हमने आमन्त्रित किया है ‘ओल्ड इज़ गोल्ड’ के नियमित श्रोता-पाठक व पहेली प्रतियोगिता के सबसे तेज़ खिलाड़ी श्री अमित तिवारी को। आगे का हाल अमित जी से सुनिए…
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नमस्कार! "ओल्ड इज गोल्ड" पर आज से आरम्भ हो रही श्रृंखला कुछ विशेष है.बिलकुल सही पढ़ा आपने. यह श्रृंखला दुनिया की सबसे मधुर आवाज को समर्पित है. एक ऐसी आवाज जो न केवल भारत बल्कि दुनिया के कोने कोने में छाई हुई है. जिस आवाज को सुनकर आदमी एक अलग ही दुनिया में चला जाता है. ये श्रृंखला लता दीदी पर आधारित है.२८ सितम्बर लता जी का जन्मदिवस है ओर इससे बेहतर तरीका क्या हो सकता है उनका जन्मदिन मनाने का कि पूरी श्रृंखला उनको समर्पित करी जाये.

मैं अमित तिवारी आप सब लोगों का स्वागत करता हूँ इस नयी श्रृंखला में जिसका नाम है "मेरी आवाज़ ही पहचान है ...". मुझे तो सचमुच एक आनंद की अनुभूति हो रही है, सवालों के उतर देने से शुरुआत कर एक पूरी कड़ी प्रस्तुत करने पर.मुझे आप सब लोगों की आलोचनाओं का इंतज़ार रहेगा जिससे मैं कुछ और बेहतर कर सकूं.

नाम गुम जाएगा, चेहरा ये बदल जाएगा। मेरी आवाज़ ही पहचान है, गर याद रहे। यह गीत लोग कभी नहीं भूल सकते और लता जी का व्यक्तित्व भी इस गीत से झलकता है कि भले ही नाम गुम जाय या चेहरा बदल जाये पर उनकी आवाज़ कोई नहीं भूल सकता।

"आवाज़" के सम्पादक सजीव सारथी तथा "ओल्ड इज गोल्ड" श्रृंखलाओं के संवाहक सुजॉय चटर्जी ने मुझे एक दायित्व दिया है, इसके लिए मैं इनके साथ-साथ अपने पाठकों-श्रोताओं के प्रति भी आभार प्रकट करता हूँ.

लता जी के बारे में जितना लिखा और कहा जाये कम है.

पंडित जसराज ने तो साफ़ साफ़ कहा "लताजी ने हम पर अहसान करा है कि वो क्लासिकल नहीं गाती".

उस्ताद बड़े गुलाम अली खान के शब्द थे "कमबख्त़ कभी बेसुरी नहीं होती...क्या अल्लाह की देन है ?"

नौशाद साहब ने लता जी की तारीफ़ में ये पंक्तियाँ कहीं हैं.

"राहों में तेरे नगमे, महफ़िल में सदा तेरी ,
करती है सभी दुनिया, तारीफ़ लता तेरी;
दीवाने तेरे फन के इन्सां तो फिर इन्सां हैं,
हद यह है कि सुनता है आवाज़ खुदा तेरी;
तुझे नग्मों की जाँ अहले-नजर यूँ ही नहीं कहते,
तेरे गीतों को दिल का हमसफ़र यूँ ही नहीं कहते;
सुनी सबने मुहब्बत की जबां आवाज में तेरी ,
धड़कता है दिल-ए-हिन्दोस्तां आवाज में तेरी.
"

जब यह पंक्तियाँ लता जी के एक विदेश में शो के दौरान कही गयीं तो इतनी तालियां बजीं कि लता जी अगले गाने की तैयारी करते हुई रुक गयीं और अपनी ऐनक उतर कर प्रश्नार्थ दृष्टी से देख कर मानो पूछ रहीं थी कि 'यह सब कहाँ से जुटा लाये?"

दोस्तों कुछ समय पहले मैं लता जी के ऊपर 'हरीश भिमानी जी " के द्वारा लिखी गयी किताब पढ़ रहा था तो सोचा क्यों न उसी किताब से कुछ आप सबके साथ साझा किया जाये.यूं तो लता जी के बारे में बहुत सी जानकारी मौजूद है पर फिर भी शायद कुछ नयी बातें आप सबके साथ बाँट सकूं.

लता जी को फिल्में देखने का बड़ा शौक है.थिएटर न सही तो घर पर ही सही.कौन सी फिल्म? चुनाव अगर लता जी पर ही छोड़ा जाए तो 'पड़ोसन' ही देखी जायेगी.चालीसवीं बार! क्यों नहीं? सबसे प्रिय फिल्म जो ठहरी. महीने में एक दो बार जरूर देखती हैं.कोई और? हाँ...लेकिन मारधाड़ की न हो, भूत प्रेत की तो बिलकुल नहीं चलेगी...प्रेतात्मा के गीत गाना और बात है.आज अगर गुरूवार है, तो 'शिर्डी के साईबाबा' फिल्म ही देखेंगे.विडियो पर फिल्में देखना जितना एकांत मैं अच्छा लगता है, उतना ही सबके साथ बैठ कर भी.

लता जी ने १९९९ में फ़िल्मी संगीत के अपने ५० साल पूरे होने के अवसर पर 'श्रद्धांजलि' एल्बम में अलग अलग गायकों के गाने गाये थे. लता जी ने उस एल्बम में एक बहुत अच्छी बात कही थी कि "मैं ये साबित नहीं करना चाहती कि मैं इन महान कलाकारों से अच्छा गा सकती हूँ, बल्कि ये कहूंगी कि इन ५० सालों में मैंने उनसे जो सीखा है उसे ही पेश करने की एक छोटी सी कोशिश कर रही हूँ."

पंकज मालिक के बारे में उन्होंने कहा था कि "आज के फ़िल्मी गीतों में जो पश्चिमी संगीत का जो रूप नज़र आता है उसे ५० साल पहले शुरू किया था पंकज मलिक ने".लता जी पहली बार पंकज मलिक से नागपुर में मिली थीं.पंकज जी ने लता से कहा कि मैं तुम्हारे लिए कुछ गीत बनाना चाहता हूँ पर जिंदगी ने उन्हें ये मौका ही नहीं दिया.

इस शृंखला में श्रोताओं के पसंदीदा गानों को बजाया जाना है.सबसे पहली पसंद प्रस्तुत है हमारी प्यारी 'गुड्डो दादी' की. उन्होंने फरमाइश करी है पंकज मालिक द्वारा मूल रूप से गाये गाने 'ये रातें ये मौसम ये हँसना हँसाना' लता जी की आवाज में, जिसे उन्होंने 'श्रद्धांजलि' एल्बम में गाया था. आनन्द लीजिए इस गाने का. कुछ और बातोँ के साथ कल फिर से हाज़िर होऊंगा.



इन ३ सूत्रों से पहचानिये अगला गीत -
१. लता जी की चुलबुली आवाज़ है गीत में.
२. संगीत है लक्ष्मीकांत प्यारेलाल का.
३. जॉय मुखर्जी है नायक, मुखड़े में शब्द है -"बहार"

अब बताएं -
फिल्म के निर्देशक कौन हैं - ३ अंक
गीतकार बताएं - २ अंक
नायिका कौन है - २ अंक
सभी जवाब आ जाने की स्तिथि में भी जो श्रोता प्रस्तुत गीत पर अपने इनपुट्स रखेंगें उन्हें १ अंक दिया जायेगा, ताकि आने वाली कड़ियों के लिए उनके पास मौके सुरक्षित रहें. आप चाहें तो प्रस्तुत गीत से जुड़ा अपना कोई संस्मरण भी पेश कर सकते हैं.

पिछली पहेली का परिणाम-
वाह इंदु जी, दूसरी बार में कैच लपक ही लिए, इस बार जाहिर है अमित जी नहीं होंगें मैदान में देखते हैं कि ये बाज़ी उनके किस उत्तराधिकारी के हाथ लगती है

खोज व आलेख- अमित तिवारी



इन्टरनेट पर अब तक की सबसे लंबी और सबसे सफल ये शृंखला पार कर चुकी है ५०० एपिसोडों लंबा सफर. इस सफर के कुछ यादगार पड़ावों को जानिये इस फ्लेशबैक एपिसोड में. हम ओल्ड इस गोल्ड के इस अनुभव को प्रिंट और ऑडियो फॉर्मेट में बदलकर अधिक से अधिक श्रोताओं तक पहुंचाना चाहते हैं. इस अभियान में आप रचनात्मक और आर्थिक सहयोग देकर हमारी मदद कर सकते हैं. पुराने, सुमधुर, गोल्ड गीतों के वो साथी जो इस मुहीम में हमारा साथ देना चाहें हमें oig@hindyugm.com पर संपर्क कर सकते हैं या कॉल करें 09871123997 (सजीव सारथी) या 09878034427 (सुजॉय चटर्जी) को

Comments

बहुत-बहुत बधाई, अमित जी स्वर-कोकिला लता दीदी के सम्मान में श्रृंखला की पहली कड़ी के प्रस्तुति-अवसर पर। आप यशस्वी हों।
हिन्दुस्तानी said…
kya Sameer Ganguli iske nirdeshak hain?
indu puri said…
This post has been removed by the author.
indu puri said…
This post has been removed by the author.
indu puri said…
चला गया थानदार अब डर काहे का? हा हा हा अमित भैया गए?चलो अच्छा हुआ अब तो मैं पवन के साथ उड़ कर चलूंगी.बस ज़रा बहार को रोक लीजिए प्लीज़.
ओके ओके सायरा बानू जी को आवाज़ देती हूँ वो इस काम में माहिर है हा हा हा
मैं?
अरे ऐसीच हूँ मैं तो भौंट-बुद्धी.
वैसे इस फिल्म के तीन और गाने मुझे बहुत पसंद है सुना दीजियेगा किसी दिन
indu puri said…
ये रातें ये मौसम,ये हँसना हँसाना' सुन नही पा रही.दस मिनट से बफरिंग किये जा रहा है दुष्ट!
ऑडियो सोंग्स की बेस्ट वेबसाईट का लिंक्स दीजिए न प्लीज़ जिसमे से इजिली गाने डाऊनलोड हो सके

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