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गाइए गणपति जगवंदन- पारूल की पेशकश

सुनिए सिद्धि विनायक गणपति बप्पा की वंदना



आज गणेश चतुर्थी है, पूरे देश में इस त्योहार की धूम है। कोई नये कपड़े खरीद रहा होगा तो कोई अपने परिजनों के लिए नये-नये उपहार। हलवाई की दुकान पर भीड़ होगी तो गणेश के मंदिर में हुजूम। आवाज़ के मंच पर तो कुछ संगीतमयी होना चाहिए। इसीलिए हम लेकर आये हैं एक संगीतबद्ध भजन जिसे पेश कर रही हैं बोकारो से पारूल। यह भजन पारूल द्वारा तानपुरा (तानपूरा) पर संगीतबद्ध है।

सुनिए और खो जाइए भक्ति-संगीत में।





हिन्दू पौराणिक कथाओं के अनुसार बुद्धि के देवता श्री गणपति का जन्मोत्सव हम सब भाद्रपद की शुक्ल चतुर्थी को आनन्द व उल्लास के साथ विभिन्न तरीकों से मनाते हैं। अलग-अलग प्रांतों में इस पावन पर्व की महिमा विविध रंगों में दिखायी पड़ती है। भारत में गणेशोत्सव की धूम सबसे अधिक माहारा्ष्ट्र प्रान्त में गूँजती है। यहाँ गणपति बप्पा की मूर्ति की स्थापना से प्रारम्भ होकर दस दिनों तक यह त्यौहार जन-जन को भक्ति रस में सरोबार करने के बाद, अनंत चतुर्दशी को मूर्ति विसर्जन के साथ संपन्न होता है।

गणेश चतुर्थी की हमारे स्वतंत्रता संग्राम में अहम् भूमिका रही है. यह त्यौहार सन १८९३ से पहले घर की चारदीवारियों में मनाया जाता था. इसे जन-जन में लोकप्रिय करने का श्रेय श्री बाल गंगाधर तिलक को जाता है. श्री तिलक स्वतंत्रता संग्राम में सामाजिक एकता के महत्व को समझते थे। उन्होंने समझ लिया था की अंग्रेजों की "बाँटो और राज करो" की नीति को तोड़े बगैर स्वतंत्रता नहीं पायी जा सकती. समाज विभिन्न वर्गों में बँटा था और अंग्रेज इस बँटवारे को हवा दे रहे थे. श्री तिलक ने गणेश चतुर्थी के अवसर पर गणेश की प्रतिमा सार्वजनिक स्थलों पर स्थापित करवाई और इस बात पर जोर दिया की समाज के विभिन्न तबके के लोग आये और पूजा में सम्मिलित हों. दस दिनों तक संगीत सभाओं आदि का आयोजन किया जाने लगा जिसमें समाज के विभिन्न वर्गों के लोग भाग लेते थे. दसवें दिन सम्मिलित रूप से प्रतिमा विसर्जित करने के पीछे तिलक की भावना सामाजिक भेदभाव को दूर करना था. एकबार जब सामजिक एकता दृढ़ हुई तो तिलक ने स्वराज आन्दोलन का सूत्रपात किया.

गणेश चतुर्थी के माध्यम से तिलक ने एक ऐसे विशाल मंच को तैयार किया जहाँ से कालांतर में गाँधी ने स्वतंत्रता संग्राम की बिगुल फूंकी.

प्रस्तुति- पारूल


#pics of Ganapati Bappa Morya

Comments

पारुल जी, बहुत-बहुत बधाई, इतनी सुंदर प्रस्तुति के लिए.
सभी को गणेश चतुर्थी की बधाई!
SANTUUR KI JAGAH KRIPYAA..TAANPURA LIKH DIJIYE

DHANYAVAAD
यूनुस said…
एक अदभुत प्रस्‍तुति । पारूल जी अपनी आवाज़ को कहां छिपा कर रखा था अब तक आपने । अब तो आपको एक गायकी-ब्‍लॉग की दरकार है ।
पारूल जी,
आपकी आवाज़ बहुत मधुर है और गायकी भी मन को बाँध लेती है, मैं तो यही अनुरोध करूँगा कि कुछेक गीत-गज़लें आप आवाज़ के लिए भी कम्पोज करें।

सभी को गणेश चतुर्थी की बधाइयाँ।
सुमधुर आवाज में गणपति वन्दना सुनाने के लिए , आभार । हमने 'हंसध्वनि' में पहले सुना था । यह कौन सा राग है ?
शुक्रिया पारुल -
आभार आवाज़ ब्लोग का जो इतनी मधुर गणपति वँदना सुनने का आनँद प्राप्त हुआ ~~
पारुलसे तो मेरा अनुरोध है कि जल्द से जल्द अपने स्वरोँमेँ गाये चुँनिँदा गीतोँ की केसेट भी बनाये
और सँगीतमय ब्लोग भी !
जीते रहो ! शाबाश :)
बहुत स्नेह के साथ
- लावण्या
pooja said…
पारुल जी,
मैं तो सोच रही थी की गणपति वंदना सुनते हुए कुछ काम भी करती जाउंगी किंतु इसकी मधुरता में ऐसी खोयी कि जब तक समाप्त नहीं हुआ यहीं बैठी रही . बहुत अच्छी और मधुर आवाज़ है आपकी . आगे भी आपको सुनते रहने की मनोकामना है .शुभकामनाएँ
Manish Kumar said…
अति सुंदर मन प्रसन्न हो गया.. वैसे भी आपकी आवाज़ का तो मैं पहले से ही कायल हूँ।
पारुल जी वाकई आप पर माँ सरस्वती की आपार कृपा है, इस सुमधुर आवाज़ की वर्षा युहीं श्रोताओं पर करते रहिये, तहे दिल से शुभकामनायें...
Pratyaksha said…
पारुल .. मधुर मधुर !

प्रत्यक्षा
बहुत दिनो बाद ब्लॉग जगत पर आना हुआ और पारुल के मधुर स्वर
में वन्दना सुनकर मन आनन्द से भर गया... शैलेशजी और लावण्याजी की बात से हम भी सहमत हैं.. ढेरो शुभकामनाएँ
शोभा said…
वाह! बहुत सुंदर. पारुल जी बहुत मधुर आवाज कि स्वामिनी हैं आप और इससे भी अच्छी बात यह है कि आप संगीत को बखूबी समझती हैं. प्रभु गणपति इसीप्रकार आप पैर कृपा बनाये रखें और आप यूँ ही आनंद परोसती रहें. सस्नेह.
बहुत अच्छा लगा आपका यह भजन गायन पारुल जी । आवाज के साथ संगीत भी अच्छा दिया है ।
सदा said…
बहुत ही सुन्‍दर प्रस्‍तुति, बधाई ।
devendra said…
अदभुत प्रस्‍तुति
अदभुत प्रस्‍तुति
Parag said…
bahut achchi prastuti, madhur awaaz mein.

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